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17 रबीउल अव्वल को जौनपुर में मनाया गया ईद ऐ मिलादुन नबी

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शिया और सुन्नी समुदाय में 17 रबीउल अव्वल को जौनपुर में मनाया गया ईद ऐ मिलादुन नबी 

जौनपुर। शाही ईदगाह से उठकर तारापुर मस्जिद पहुंचने वाला 17 रबीउल अव्वल का ऐतिहासिक जलसा रविवार की देर रात तक चला। जलसे में शहर की अंजुमन  ने हिस्सा लिया। शाही ईदगाह पर मौलान हस्सान ने जलसे को खेताब भी किया।
मगरिब की नमाज के बाद 17 रबीउल अव्वल का जुलूस कुरान की तेलावत के साथ शुरू हुआ। इसके बाद शहर की अंजुमनों ने रास्ते भर नबी की सीरत पर नातख्वानी की। साथ चल रहे अखाड़ा शफीक उस्ताद के खिलाडि़यों ने फने सिपहगिरी दिखाकर लोगों को आकर्षित किया। पूरे रास्ते पर सजावट की गई थी और अखाड़ों को ईनाम से नवाजा गया। शाही ईदगाह से मछलीशहर पड़ाव होता हुआ जुलूस तारापुर मस्जिद के पास पहुंचा।


जौनपुर। जौनपुर अजादारी काउंसिल की ओर से हजरत मोहम्मद के जन्मदिन 17 रबीउल अव्वल पर उर्दू बाजार में महफिल व मिलादुन्नबी का आयोजन हुआ जिसकी शुरूआत तेलावते कुरान-ए-मजीद से की गयी। इस मौके पर कौंसिल के अध्यक्ष सैयद मोहम्मद हसन ने बताया कि हजरत मोहम्मद मुस्तफा का जन्म 17 रबीउल अव्वल 570 ईस्वी में सऊदी अरब के मक्का में हुआ था। कार्यक्रम का संचालन कर रहे असलम नकवी ने कहा कि 17 रबीउल अव्वल की महत्ता इसलिये भी बहुत अधिक है कि इसी दिन मोहम्मद साहब को उत्तराधिकारियों में से उनके छठें वंशज हजरत इमाम जाफरे सादिक का जन्म भी 17 रबीउल अव्वल को हुआ था। इस दौरान शायरों ने नातखानी व कसीदाखानी से कार्यक्रम के रौनक को बढ़ा दिया। इस अवसर पर मो. मुस्लिम हीरा, एएम डेजी, नजमी, मुस्तफा शम्सी, नेहाल अहमद, जेडी, कम्बर अली प्यारे, सरफराज अहमद, शकील अहमद मौजूद रहे। अन्त में कार्यक्रम संयोजक तहसीन अब्बास ने सभी के प्रति आभार जताया।


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