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विज्ञान परिषद इलाहाबाद शताब्दी सम्मान डॉ अरविन्द मिश्र जी को|

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                  (News from the File Previously published on 27/04/2013)
विज्ञान परिषद, प्रयाग, इलाहाबाद की चर्चित संस्‍था है, जिसकी स्‍थापना 10 मार्च 1913 को हुई थी। इसके संस्‍थापक थे डॉ0 गंगानाथ झा (संस्‍कृत), प्रो0 सालिगराम भार्गव (भौतिकी), प्रो0 रामदास गौड़ (रसायन विज्ञान) तथा प्रो0 हमीदुद्दीन (अरबी-फारसी), जो अपने-अपने विषयों के विशेषज्ञ थे और जनसामान्‍य में विज्ञान व प्रोद्योगिकी के प्रचार-प्रसार तथा विज्ञान लोकप्रिय के लिए प्रयत्‍नशील थे।



विज्ञान को सरल भाषा में आम जन तक पहुंचाने के उद्देश्‍य से सन 1915 में विज्ञान परिषद ने 'विज्ञान'नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्‍भ किया, जिसका पहला अंक अप्रैल माह में प्रकाशित हुआ। इस प्रत्रिका के प्रथम सम्‍पादक का गौरव प्राप्‍त हुआ हिन्‍दी के उत्‍कृष्‍ट विद्वान पं0 श्रीधर पाठक को।



सन 1958 में विज्ञान परिषद से 'विज्ञान परिषद अनुसंधान पत्रिका'का प्रकाशन प्रारम्‍भ हुआ। इसे हिन्‍दी की प्रथम त्रैमासिक शोध पत्रिका के रूप में जाना जाता है। इस पत्रिका के बारे में कहा जाता है कि यह भारत की सभी प्रमुख सरकारी और अर्धसरकारी वैज्ञानिक संस्‍थाओं के अतिरिक विश्‍व के 25 देशों में प्रसारित होती है।



1913 से लेकर आजतक के अपने सफर में 'विज्ञान परिषद'प्रयाग ने 100 साल का सफर तय किया है। इस सफर को यादगार बनाने के उद्देश्‍य से पिछले दिनों इलाहाबाद में परिषद का शताब्‍दी समारोह मनाया गया, जिसका उद्घाटन देश के मुख्‍य वैज्ञानिक एवं पूर्व राष्‍ट्रपति डॉ0 ए0पी0जे0 अब्‍दुल कलाम ने किया था। उस अवसर पर परिषद ने भारत के विभिन्‍न भाषाओं के 50 लेखकों को शताब्‍दी सम्‍मान से विभूषित किया था। इस अवसर पर परिषद ने 300 पृष्‍ठों की 'शताब्‍दी वर्ष स्‍मारिका'का भी प्रकाशन किया था, जिसमें परिषद की विभिन्‍न गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है।

शताब्‍दी सम्‍मान के समापन के अवसर पर 27 अप्रैल 2013 को आयोजित कार्यक्रम में विज्ञान परिषद ने पुन: 02 दर्जन से अधिक विज्ञान लेखकों को उनकी सुदीर्घ सेवाओं के लिए सम्‍मानित किया।



आज विज्ञान परिषद इलाहाबाद के शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों का समापन समारोह था . इस अवसर पर विज्ञान संचार के क्षेत्र में सुदीर्घ सेवाओं के लिए शताब्दी सम्मान महामहिम राज्यपाल छत्तीसगढ़ श्री शेखर दत्त जी के कर कमलों से प्रदान किये गए | ख़ुशी की बात यह है कि जौनपुर जनपद निवासी डॉ अरविन्द मिश्रा को  भी पुरस्कृत किया गया |महामहिम   श्री शेखर दत्त जी  पूर्व रक्षा सचिव भी रहे हैं .यह सुखद संयोग है कि वर्तमान में माननीय मुख्य न्यायाधीश छत्तीसगढ़ श्री यतीन्द्र सिंह जी एवं महामहिम दोनों की विज्ञान कथाओं में विशेष रूचि है|

आप सभी डॉ अरविन्द मिश्रा  को उनके ब्लॉग पे पढ़ा करते हैं लेकिन यह बहुत ही कम लोग जानते हैं कि इनकी परवरिश कैसे परिवार में हुई.  डॉ अरविन्द मिश्रा जी का परिवार जौनपुर जनपद का चिकित्सा परिवार के रूप में जाना जाता है. इनके परिवार की चार पीढीयाँ चिकित्सा कर्म में पिछले सौ सालों से लगी है.आप के परदादा पंडित द्वारिका प्रसाद मिश्र,दादा पंडित उदरेश मिश्र पूर्वांचल के महान वैद्य थे.आपके चाचा भी जहाँ चिकित्सा कर्म से जुड़े हैं वहीं दूसरे चाचा डॉ सरोज कुमार मिश्र लम्बे समय तक नासा अमेरिका में उच्च पदस्त वैज्ञानिक थे और आज भी वे अपनेँ अनुसन्धान से भारत का नाम अमेरिका में रोशन कर रहे है|

डॉ अरविन्द मिश्रा जी के परिवार के बारे में और जानिए |


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