जौनपुर में आज से तेज धूप होने के कारण जहां किसान अपने भीगे गेहूं की फसलों को सुखवाकर मड़ाई में जुट गये हैं वहीं कुम्हार गरीबों की फ्रीज कहे जाने वाले सुराही बनाने में जी जान से लग गये है। इस बार गर्मी देर से पड़ने के कारण बनायी गयी सुराही बर्बाद होने से अब फिर वे नये सिरे से कार्य में जुटे हुए है। शहर के खासनपुर में सुराही बनाने का काम आधा दर्जन लोग करते है। तैयार सुराहियों को जिले के बाजारों में छोटे दुकानदार खरीदकर बेचते है।
वैसे तो आधुनिक युग में फ्रीज का उपयोग सपन्न लोग कर रहंे है लेकिन अब भी गरीबों की बड़ी तादात होने के कारण सुराही की मांग बाजारों में बनी हुई है। विशेषकर ग्रामीणों क्षेत्रों में जहां बिजली की समस्या विकराल रहती है वहां लोग सुराही का प्रयोग अधिक करते है। सुराही का पानी शीतल और अच्छा माना जाता है। इसका पानी पीने से संतुष्टि और मन को तृप्ति मिलती है। पहले की अपेक्षा सुरहियों की कीमत भी अधिक हो गयी है। 50-60 रूपये सुराही मिलती है। दुकानदार कहते है अधिक सुराही लाने पर बच जाती है तो उसे साल भर रखना पड़ता है। टूटने का भय रहता है इसलिये कीमत अधिक वसूलने की मजबूरी है। उधर चटक धूप के कारण सुराहियों को बनाने और पकाने का काम कुम्हार जोरों पर कर रहे है यदि मौसम इसी प्रकार खुला रहा तो जल्द ही बाजार में सुराहियों की बिक्री तेज हो जायेगी।
धूप की तीब्रता ने एक बार फिर जनमानस को बेहाल कर दिया है। भीषण गर्मी व उमस का माहौल फिर चल पड़ा है। कई दिन तक आसमान साफ रहने और तेज धूप की वजह से गर्मी बढ़ गयी है और दोपहर में सड़कों पर सन्नाटा परसने लगा है और लोग घरों में दुबक जा रहे है। ज्ञात हो कि चार दिन पहले बरसात के बाद मौसम सुहावना हो गया था। धूप की तल्खी में कमी आयी थी और लोगों को गर्मी से राहत मिल गयी थी। लेकिन रविवार को फिर वही तेज धूप और उमस ने लोगों में हाहाकार मचा दिया। धूप में कुछ ही देर रहने पर लोग पसीने से तरबतर होकर व्याकुल हो जा रहे थे। अब लोगों ने गर्मी से बचने के लिए कूलर और एसी भी चलाना शुरू कर दिया है। रविवार होने के कारण दुकाने आदि बन्द होने से शहर के प्रमुख उन स्थानों पर जहां चहल पहल रहती थी दोपहर में सियापा छाया रहा। रिक्शा वाले भी इस दौरान छांव में आराम फरमा रहे थे।
वैसे तो आधुनिक युग में फ्रीज का उपयोग सपन्न लोग कर रहंे है लेकिन अब भी गरीबों की बड़ी तादात होने के कारण सुराही की मांग बाजारों में बनी हुई है। विशेषकर ग्रामीणों क्षेत्रों में जहां बिजली की समस्या विकराल रहती है वहां लोग सुराही का प्रयोग अधिक करते है। सुराही का पानी शीतल और अच्छा माना जाता है। इसका पानी पीने से संतुष्टि और मन को तृप्ति मिलती है। पहले की अपेक्षा सुरहियों की कीमत भी अधिक हो गयी है। 50-60 रूपये सुराही मिलती है। दुकानदार कहते है अधिक सुराही लाने पर बच जाती है तो उसे साल भर रखना पड़ता है। टूटने का भय रहता है इसलिये कीमत अधिक वसूलने की मजबूरी है। उधर चटक धूप के कारण सुराहियों को बनाने और पकाने का काम कुम्हार जोरों पर कर रहे है यदि मौसम इसी प्रकार खुला रहा तो जल्द ही बाजार में सुराहियों की बिक्री तेज हो जायेगी।
धूप की तीब्रता ने एक बार फिर जनमानस को बेहाल कर दिया है। भीषण गर्मी व उमस का माहौल फिर चल पड़ा है। कई दिन तक आसमान साफ रहने और तेज धूप की वजह से गर्मी बढ़ गयी है और दोपहर में सड़कों पर सन्नाटा परसने लगा है और लोग घरों में दुबक जा रहे है। ज्ञात हो कि चार दिन पहले बरसात के बाद मौसम सुहावना हो गया था। धूप की तल्खी में कमी आयी थी और लोगों को गर्मी से राहत मिल गयी थी। लेकिन रविवार को फिर वही तेज धूप और उमस ने लोगों में हाहाकार मचा दिया। धूप में कुछ ही देर रहने पर लोग पसीने से तरबतर होकर व्याकुल हो जा रहे थे। अब लोगों ने गर्मी से बचने के लिए कूलर और एसी भी चलाना शुरू कर दिया है। रविवार होने के कारण दुकाने आदि बन्द होने से शहर के प्रमुख उन स्थानों पर जहां चहल पहल रहती थी दोपहर में सियापा छाया रहा। रिक्शा वाले भी इस दौरान छांव में आराम फरमा रहे थे।