सरसों के तेल में यूज़्ड मोबिल आयल मिलाने वाले । घी में जानवरों की चर्बी मिलाने वाले । नकली दवा बनाने वाले, यूरिया से दूध और खोआ बनाने वाले, नकली मसाले बनाने वाले, लंबी फेहरिस्त है ,जिनके बारे मैं हम हर दिन सुना करते हैं. लेकिन इन से बच पाना हमारे बस की बात नहीं ,यह काम तो केवल सरकार ही कर सकती है ऐसों के खिलाफ सख्त कानून को अमल मैं ला कर|
आम इंसान इतनी मिलावटों के बाद इस ख्याल मैं रहता था की चलो कुदरत की दी दुई चीजें, अन्न, फल और सब्जिया ही मिलावटों से दूर हैं. लेकिन यह विश्वास भी अब टूटता नज़र आ रहा है. अभी हाल ही में एक हिंदी न्यूज़ चैनल पर खबर आई कि किसान हरी सब्जियों और मौसमी फलो में आक्सीटोसिन इंजेक्सन लगाकर उसे जहरीला बना रहे है इन हरी सब्जियों और मौसमी फलो को खाने वाले ला इलाज बीमारियों का शिकार हो रहे है किसान ऐसा इस लिए कर रहे है कि उन्हें कम समय में जादा मुनाफा कमाना है इस खबर को देखने के बाद एक बार फिर हर आदमी दहल गया है उसे समझ नही पा रहा है कि अब क्या खाए .कभी हरी सब्जी को मानव जीवन के लिए स्वास्थ्यप्रद मना जाता था लेकिन अब वह भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो गई है.आज सब्जियों को चमकदार तथा ज्यादा हरा दिखाने के लिए केमिकल में डुबाया जाता है... केले एवं पपीते को केमिकल में डुबाकर ही पकाया जाता है जो जहर बनकर सीधे शरीर में प्रवेश कर जाता है. तालाब एवं डबरो में सिंघाडो की खेती के लिए भी खतरनाक केमिकल एवं दवाईया पानी में डाली जाती है. सब्जियों को ज्यादा चमकदार और हरी दिखाने के लिए रासायनिक रंगों का प्रयोग भी किया जा रहा है. भिन्डी, करेला, परवल, मटर आदि रंगों एवं केमिकल के प्रयोग के बिना इतने चमकदार नहीं दिख सकते.
पशु पालन एवं दुग्ध डेयरी में गाय,भैसों आदि को पालने वाले ज्यादा लाभ कमाने के चक्कर में ऑक्सीटोसिन का इंजेक्सन प्रतिदिन लगाकर दूध दुह रहे है. जिससे ज्यादा दूध निकलता है और इस इंजेक्सन के कारण दूध भी जहरीला हो जाता है और फिर इस दूध को पीने वालो की सेहत पर बुरा असर पड़ता है. सब्जिओं मैं ऑक्सीटोसिन का इंजेक्सन लगा के समय से पहले ही फसल काट ली जाती है और अधिक मुनाफा किसान कमा लेता है.
सरकार कब अपनी जिमेदारी उठाते हुए इन इन खतरनाक एवं जहरीले रसायनों के सब्जी ,फलों और दूध पे इसके इस्तेमाल के खिलाफ क़दम उठाएगी कौन जाने? लेकिन हमें तो अपने सेहत का ख्याल करना है.
कोशिश करें की अपने गाँव या आसपास के इलाकों से ही सब्जिया खरीदें और फलों या सब्जी की खूबसूरती पे अधिक ध्यान ना दें. एक बड़ी खूबसूरत लौकी या तरबूज के मुकाबले पतली लौकी और छोटा या आम तौर पे पुराने अंदाज़ का तरबूज बेहतर हैं.
और सब से अहम् बात यह है की समय से पहले आने वाले फलों या सब्जिओं के इस्तेमाल से बचें. क्यूंकि यह बाज़ार मैं समय से पहले आ ही इसी लिए गए हैं क्यों की इनपर खतरनाक एवं जहरीले रसायनों का इस्तेमाल किया गया है.
आम इंसान इतनी मिलावटों के बाद इस ख्याल मैं रहता था की चलो कुदरत की दी दुई चीजें, अन्न, फल और सब्जिया ही मिलावटों से दूर हैं. लेकिन यह विश्वास भी अब टूटता नज़र आ रहा है. अभी हाल ही में एक हिंदी न्यूज़ चैनल पर खबर आई कि किसान हरी सब्जियों और मौसमी फलो में आक्सीटोसिन इंजेक्सन लगाकर उसे जहरीला बना रहे है इन हरी सब्जियों और मौसमी फलो को खाने वाले ला इलाज बीमारियों का शिकार हो रहे है किसान ऐसा इस लिए कर रहे है कि उन्हें कम समय में जादा मुनाफा कमाना है इस खबर को देखने के बाद एक बार फिर हर आदमी दहल गया है उसे समझ नही पा रहा है कि अब क्या खाए .कभी हरी सब्जी को मानव जीवन के लिए स्वास्थ्यप्रद मना जाता था लेकिन अब वह भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो गई है.आज सब्जियों को चमकदार तथा ज्यादा हरा दिखाने के लिए केमिकल में डुबाया जाता है... केले एवं पपीते को केमिकल में डुबाकर ही पकाया जाता है जो जहर बनकर सीधे शरीर में प्रवेश कर जाता है. तालाब एवं डबरो में सिंघाडो की खेती के लिए भी खतरनाक केमिकल एवं दवाईया पानी में डाली जाती है. सब्जियों को ज्यादा चमकदार और हरी दिखाने के लिए रासायनिक रंगों का प्रयोग भी किया जा रहा है. भिन्डी, करेला, परवल, मटर आदि रंगों एवं केमिकल के प्रयोग के बिना इतने चमकदार नहीं दिख सकते.
पशु पालन एवं दुग्ध डेयरी में गाय,भैसों आदि को पालने वाले ज्यादा लाभ कमाने के चक्कर में ऑक्सीटोसिन का इंजेक्सन प्रतिदिन लगाकर दूध दुह रहे है. जिससे ज्यादा दूध निकलता है और इस इंजेक्सन के कारण दूध भी जहरीला हो जाता है और फिर इस दूध को पीने वालो की सेहत पर बुरा असर पड़ता है. सब्जिओं मैं ऑक्सीटोसिन का इंजेक्सन लगा के समय से पहले ही फसल काट ली जाती है और अधिक मुनाफा किसान कमा लेता है.
सरकार कब अपनी जिमेदारी उठाते हुए इन इन खतरनाक एवं जहरीले रसायनों के सब्जी ,फलों और दूध पे इसके इस्तेमाल के खिलाफ क़दम उठाएगी कौन जाने? लेकिन हमें तो अपने सेहत का ख्याल करना है.
कोशिश करें की अपने गाँव या आसपास के इलाकों से ही सब्जिया खरीदें और फलों या सब्जी की खूबसूरती पे अधिक ध्यान ना दें. एक बड़ी खूबसूरत लौकी या तरबूज के मुकाबले पतली लौकी और छोटा या आम तौर पे पुराने अंदाज़ का तरबूज बेहतर हैं.
और सब से अहम् बात यह है की समय से पहले आने वाले फलों या सब्जिओं के इस्तेमाल से बचें. क्यूंकि यह बाज़ार मैं समय से पहले आ ही इसी लिए गए हैं क्यों की इनपर खतरनाक एवं जहरीले रसायनों का इस्तेमाल किया गया है.