Quantcast
Channel: हमारा जौनपुर हमारा गौरव हमारी पहचान
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2088

सोन बरीस सिपाह जौनपुर जहाँ होती थी कभी सोने की बारिश |

$
0
0


वो टीम जो मुझे शेख अबुल फतह सोन बरीस की मज़ार पे ले गयी |

जौनपुर क़ब्रों का शहर है और अधिकतर लोगो के लिए यह एक रहस्य ही बना हुआ है की आखिर यह कब्रें किसकी हैं ? अधिकतर कब्रें या तो उन सूफियों संतों की हैं जो तमूर लंग के उपद्रव के चले दिल्ली से जौनपुर अमन और शान्ति की तलाश में आये और यहीं बस गए या फिर बादशाहों के सिपहसालारों के  घराने वालों की है जो लड़ाइयों में मारे गए |


मशहूर है की जौनपुर में शार्की समय में १४२९ सूफियों की पालकियां बकरा ईद पे निकला करती थी आज इन्ही की कब्रें पूरे जौनपुर में मौजूद हैं और उनमे से अधिकतर की मजारों पे उर्स लगता है या चादरें चढ़ती हैं या मुरादें मनागी जाती है लेकिन जब आस पास के  लोगों से पूछो तो कोई इनके बारे में नहीं जानता | बस इतना जानता है कहीं सय्यद बाबा थे, तो कहीं गाजी बाबा और कहीं तो सिर्फ रौज़ा कहलाता है |

जौनपुर के सिपाह मोहल्ले और बल्लोच टोले में तुग़लक़ समय के सिपाहियों ,सेनापतियों और सिपाहसलारों की क़ब्रों के अम्बार हैं जिसमे से कुछ सूफियों और संतों के भी हैं |

ऐसे ही इतिहास की परतों को खोलने की ख्वाहिश लिए मैं जा पहुंचा सिपाह मोहल्ले के"सोन बरीस"मोहल्ले में जो रेलवे लाइन के करीब बताया जाता है | इस इलाके को सोन बरीश भी कहा जाता है | वहाँ पहुँचने पे वहाँ एक क़दमे  रसूल मिला और एक बड़े से इलाके में किसी महल जैसी इमारत के पथ्थर खम्बे और खंडहर मिले जिसमे बहुत सी कब्रें थी | आस पास हिन्दू आबादी अधिक है लेकिन वहाँ के लोगों से पूछने पे इस जगह का कोई पता नहीं मिला की यह किसके खंडहर और कब्रें है | लेकिन लोगों ने बताया यहाँ लोग एक कब्र पे जाते हैं और मुरादें मांगते हैं जिसे रौज़ा कहते हैं जिस से यह पता लगा की कभी इस कब्र के ऊपर रौज़ा भी रहा होगा |


सोन बरीस मैंने जब इतिहास के पन्नो में तलाशा तो पता लगा जिनकी यह कब्र है यह एक मशहूर सूफी और ज्ञानी हैं जिनका आगमन तैमूर के उपद्रव के समय हुआ था और इनका नाम शेख अबुल फतह सोन बरीस था जो मालेकुल उलेमा क़ाज़ी शहाबुद्दीन के समकालीन थे |आपको अरबी और फारसी भाषा का अच्चा ज्ञान था और आपके हाथों में चमत्कार था | मशहूर है की आप जन्म के समय अपनी माता के गर्भ में १४ महीने रहे और आप के पिता शेख अबुल फतह सह्वार्दी से स्वप्न देखा की जो पुत्र आपके यहाँ होगा वो बड़ा ज्ञानी और चमत्कारी होगा |  सन १३७० ई में आपका जन्म दिल्ली में हुआ | उसके बाद तैमूर के उप्द्र्वाव के समय आप जौनपुर आये और सिपाह मोहल्ले में एक दीवार के साए में रहने लगे | भूख से कभी कभी आपका हाल खराब हो जाता हाथ पैर कांपने लगते लेकिन आप किसी की मदद नहीं लेते थे | अचानक आप को गुप्त धन मिला और आप ने उसी जगह पे खानकाह और अपना निवास स्थान बनाया |

मशहूर किताब गंज अर्शदी में दर्ज है की एक दिन आपने कवाली की गोष्टी आयोजित किया लेकिन जब गोष्टी ख़त्म हो गयी तो आपके पास क़वालों को पुरस्कार देने के लिए कुछ नहीं  था तो आपने ध्यान लगाया और ध्यान लगाते ही सोने की अशर्फियों की बारिश होने लगी | इसी दिन से इस इलाके का नाम और आपका नाम सोन बरीस पडगया |

आपका देहांत १४५३ ई में हुआ और आप की मज़ार सिपाह मोहल्ले के सोंबरीस इलाके में ५० वर्ग फीट के इलाके में है जो आज एक खंडहर का रूप ले चुकी है | यहाँ पहले और भी बहुत से कब्रें थी जिनपे अल्लाह का नाम और कुरान की आयतें लिखी होती थी जो आज वहाँ मौजूद नहीं हैं |

लेखक एस एम् मासूम


 Admin and Founder 
S.M.Masoom
Cont:9452060283

Viewing all articles
Browse latest Browse all 2088

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>