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कुलाधिपति एवं राज्यपाल उत्तर प्रदेश श्री रामनाईक जौनपुर आये |

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जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं राज्यपाल उत्तर प्रदेश श्री रामनाईक ने विश्वविद्यालय परिसर में नवप्रवेशित विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को सम्बोधित किया।
कुलाधिपति श्री रामनाईक ने कहा कि स्वराज को सुराज में बदलने के लिए शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके लिए शिक्षक, विद्यार्थी को चिंतन करना होगा कि वह शिक्षा की गुणवत्ता में कैसे सुधार लाए। उन्होंने कहा कि आज विद्यार्थी का जीवन कड़ी स्पर्धा का है, इसलिए ऐसी शिक्षा अर्जित करें जिससे लक्ष्य की प्राप्ति हो सके। उन्होंने एक श्लोक के माध्यम से विद्यार्थियों को दीक्षित करते हुए कहा कि क्षण-क्षण, कण-कण से आप विद्या और धन अर्जित कर सकते है, जिसने समय बर्बाद किया उसे यह दोनों नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि ऐसी विद्या अर्जित करो जिससे आप सदा अग्रणी रहो। विद्यार्थी का कर्तव्य घर, परिवार, समाज, गांव से लेकर देश सेवा तक है। अगर विद्यार्थी इन दायित्वों को पूरा कर लें तो अवश्य ही देश में अच्छे दिन आ सकते हैं और शिक्षकों का भी कर्तव्य हैं कि विद्यार्थियों के अंदर शिक्षा ग्रहण करने का भाव जागृत करें।


    उन्होंने कहा कि मैं प्रदेश के विश्वविद्यालयों और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा हूं। इसके लिए सभी विश्वविद्यालयों में जाकर वहां कुलपति, शिक्षक और विद्यार्थियों से बातचीत करके सुझाव मांग रहा हूं। स्वामी विवेकानन्द के शिकागो उद्बोधन की याद दिलाते हुए उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम् की सम्पूर्ण व्याख्या विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के समक्ष की। उन्होंने कहा कि यहां के विद्यार्थियों को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हम ऐसे आदर्श वाले देश के निवासी हैं। ऐसे में विद्यार्थियों को सोकर नहीं जागकर देखने वाले सपने को लक्ष्य बनाकर सफलता अर्जित की जा सकती है। नींद के सपने भूल जाते है और जागकर देखने वाले सपने को लक्ष्य बनाकर सफलता अर्जित की जा सकती है।



    कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि विद्यार्थी देश की सर्वोच्च नैसर्गिक संपत्ति हंैं। प्रतिस्पर्धा के युग में, शिखर की ओर अग्रसर होने के लिए उन्हें अनेक कसौटियों से गुजरना होता है। अभी आप उस कच्ची मिट्टी के समान हैं जिसे अध्यापकांे द्वारा आकार दिया जाना है एवं परिपक्व बनाया जाना है ताकि आप समाजोपयोगी एवं देशोपयोगी बनें और जिसका आधार है आपकी पूर्ण शिक्षा। आज जिस दहलीज पर हैं आपको संयमित एवं अनुशासित रहकर ज्ञानार्जन करना है। सर्वोच्चता पर पहुंचने के लिए, निरंतर प्रयास करना आवश्यक है। तपा हुआ सोना और प्रयत्नशील विद्यार्थी ही सुदपयोगी सिद्ध होता है। इसी प्रकार कौशल-निपुण एवं सेवाभावी विद्यार्थियों का निर्माण किया जा सकता है। फलतः यही विद्यार्थी राष्ट्रीय एवं सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अपना योगदान देकर सकारात्मक भूमिका का निर्वाह करने में सक्षम बन पाते हैं।

इसी क्रम में अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. बी.बी. तिवारी ने कहा कि आज का दिन विश्वविद्यालय के लिए एक ऐतिहासिक महत्व का दिन है कि माननीय कुलाधिपति द्वारा नवप्रवेशित विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को प्रथम बार आशीर्वचन एवं सम्बोधन दिया गया। उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर के शैक्षणिक परिवेश की रूपरेखा प्रस्तुत की।
इसके पूर्व कुलाधिपति द्वारा विश्वविद्यालय परिसर स्थित महात्मा गांधी एवं वीर बहादुर सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। राष्ट्रगान एवं विश्वविद्यालय के कुलगीत से प्रारम्भ होने वाले कार्यक्रम की शुरूआत मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन करके की गयी। सम्बोधन समारोह में प्रमुख सचिव राज्यपाल सुश्री जूथिका पाटणकर मंचस्थ रही। अंत में कुलपति ने कुलाधिपति को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्रम् देकर सम्मानित किया।

 इस अवसर पर मंडलायुक्त, डीआईजी, डीएम, एसपी, वित्त अधिकारी अमरचंद्र, कार्यपरिषद एवं विद्या परिषद के सदस्यगण, डा. लालजी त्रिपाठी, डा. शिवशंकर सिंह, डा. अखिलेश सिंह, डा. बजरंग त्रिपाठी, प्रो. रामजी लाल, प्रो. वीके सिंह, प्रो. एके श्रीवास्तव, डा. मानस पांडेय, डा. अजय प्रताप सिंह, डा. मनोज मिश्र,, डा. एच.स.ी पुरोहित, डा. वंदना राय, डा. प्रदीप कुमार, डा. अविनाश पाथर्डिकर, संगीता साहू, डा. रामनारायण, डा. एसके सिन्हा, डा. दिग्विजय सिंह, डा. अवध बिहारी सहित विश्वविद्यालय परिसर के शिक्षकगण एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव वी.के. पांडेय ने किया।अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रो. डी.डी. दुबे ने किया।
सम्बोधन समारोह के पश्चात कुलाधिपति रामनाईक कुलपति सभाकक्ष में विश्वविद्यालय के शिक्षकों से रूबरू हुए एवं उच्च शिक्षा के विभिन्न आयामों पर चर्चा की।

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