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शान्ति दूत इमाम हुसैन (अ.स) की अज़ादारी शांतिपूर्ण तरीके से करें | ...एस एम् मासूम

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मुहर्रम का महीना  आते ही जौनपुर में पूरे विश्व की तरह शान्ति दूत इमाम हुसैन (अ.स) की कर्बला में शहादत को याद करते हुए इमाम बाड़ो को सजा दिया जाता है और मजलिस, मातम नौहा ,अज़ादारी के जुलुस निकालने का सिलसिला शुरू हो जाता है |उनके दुःख को याद करना हुआ करता था |

इन अज़ादारी के जुलुस का ख़ास मकसद शान्ति दूत इमाम हुसैन (अ.स) की कुबानी के बारे में लोगों को बताना और उनके दुःख को याद करना हुआ करता है |ये जुलूस शहर के हर कोने, पन्दरिबा, कल्लू का इमाम बाड़ा, नकी फाटक, बलुआ घाट, सिपाह , भंडारी , शाह का पंजा इत्यादि जगहों से निकलना है और शहर के कोने कोने तक शांति का पैगाम देता है |

इस जुलूस में अशांति की कल्पना करना भी पाप माना जाता है | इसलिए जो लोग इस जुलुस को निकालते हैं उन्हें इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए की जुलुस निकालने के दौरान जनता को कोई परेशानी ना होने पाए, जुलुस समय से और शान्ति पूर्ण तरीके से से निकले |

प्रशासन ने भी इन जुलुस को शांतिपूर्ण तरीके से निकालने के लिए बहुत से इंतज़ाम किये हैं और जनता को चाहिए की उनका सहयोग करें |


जब इमाम ने देखा के मदीने में भी उनके दुश्मन हैं तो वे हज के लिए मक्का चले गए। यहां भी हाजियों के वेष में यजीदी फौज के लोग मौजूद थे, मक्के की पवित्रता को ध्यान में रखते हुए इमाम वहां से भी निकल दिए। दुनिया को इमाम ने अहिंसा व इंसानियत का संदेश दिया।

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