इनका देहांत ५ मुहर्रम को हुआ था इसलिए आज भी वहाँ के लोग ५ मुहर्रम के यहां बड़ी अक़ीदत से आते हैं । एवज़ अली खान की यह मज़ार पीर दमकी या सय्यद बाबा के नाम से मशहूर है ।
इनका देहांत ५ मुहर्रम को हुआ था इसलिए आज भी वहाँ के लोग ५ मुहर्रम के यहां बड़ी अक़ीदत से आते हैं । एवज़ अली खान की यह मज़ार पीर दमकी या सय्यद बाबा के नाम से मशहूर है ।