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सदर इमामबाड़ा जौनपुर

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सदर इमामबाड़ा जौनपुर 

दिल्ली के बादशाह मुहम्मद शाह के शासन काल में राजा शेख हाशिम अली मछली शहर के पूर्वज शेख फतह  मुहम्मद उर्फ़ मंगली  मंगली मियाँ जौनपुर जो इलाहबाद में प्रबंधक सैनिक अधिकारी थे । उस समय जौनपुर इलाहाबाद के अधीन था । मंगली मियाँ बड़े ही धनवान और प्रतिष्ठित व्यक्तियों में से थे । उसी समय इन्होने गोमती किनारे इसकी नीव डाली ।

इमामबाड़े में भीतर इमाम हुसैन का ,हज़रत अब्बास का रौज़ा और क़दम ऐ रसूल है । इसकी तामीर फिर से बड़े पैमाने पे १८७८ इ हुयी और इसके फाटक पे लखनऊ के मशहूर  शायर नफीस का शेर लिखा है ।

ऐ जाहे कर्बला पाख इमाम ,या करो गिरया फ़र्ज़ ऍन  यह है
यह जो इसमें  इमामबाड़ा है।,जाय फरियादी शोरो शॉन यह है
बाद जिसका हुआ है नौ तामीर ,मोमिनो के दिलों का चैन यह है
है बजा कहिये गर डरे फ़िरदौस बाग़ ऐ जन्नत का जेब औ जीन यह है
साल ऐ तारिख कई नफीस हज़ी ख़ानए मातम ऐ हुसैन यह है (१२९५ हिजरी)






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