जौनपुर शहर गोमती नदी के किनारे बसा एक सुंदर शहर है जो अपना एक विशिष्ट ऐतिहासिक, धार्मिक एवं राजनैतिक अस्तित्व रखता है| यहाँ पे गोमती नदी की सुन्दरता आज भी देखते ही बनती है और आज भी इसके शांतिमय तट लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं |कभी यह तट तपस्वी, ऋषियों एवं महाऋषियों के चिन्तन व मनन का एक प्रमुख स्थल हुआ करता था था। इसी कारण से आज भी गोमती किनारे यहाँ बहुत से मंदिर देखे जा सकते हैं जहां जा के शांति का एहसास हुआ करता है | यहीं महर्षि यमदग्नि अपने पुत्र परशुराम के साथ रहा करते थे |बौध सभ्यता से ले कर रघुवंशी क्षत्रियों वत्सगोत्री, दुर्गवंशी तथा व्यास क्षत्रिय,भरो एवं सोइरियों का यहाँ राज रहा है | कन्नौज से राजा जयचंद जब यहाँ आया तो गोमती नदी की सुन्दरता से मोहित हो के उसने यहाँ अपना एक महल जाफराबाद जौनपुर में नदी किनारे बनाया जिसके खंडहर आज भी मौजूद हैं |
गोमती नदी का उद्गम पीलीभीत जनपद के माधोटान्डा कसबे में होता है| "पन्गैली फुल्हर ताल"या "गोमत ताल" इस नदी का स्रोत्र है | इस ताल से यह नदी मात्र एक पतली धारा की तरह बहती है। इसके उपरान्त लगभग २० कि.मी. के सफ़र के बाद इससे एक सहायक नदी "गैहाई"मिलती है। लगभग १०० कि. मी. के सफ़र के पश्चात यह लखीमपुर खीरी जनपद की मोहम्मदी खीरी तहसील पहुँचती है जहां इसमें सहायक नदियाँ जैसे सुखेता, छोहा तथा आंध्र छोहा मिलती हैं और इसके बाद यह एक पूर्ण नदी का रूप ले लेती है। गोमती नदी की लंबाई उद्गम से लेकर गंगा में समावेश तक लगभग ९०० कि.मी. है। इसके जलग्रहण क्षेत्र में स्थित 15 शहर में से सबसे प्रमुख हैं लखनऊ, सुल्तानपुर तथा जौनपुर प्रमुख हैं। नदी जौनपुर शहर को दो बराबर भागों मे विभाजित करती है और जौनपुर में व्यापक हो जाती है।
जौनपुर में तो गोमती नदी बेहद प्रदूषित है। इसका पानी तो सई नदी से भी खराब है।जौनपुर जिले के 80 किलोमीटर इलाके में गोमती अपना सफर तय करती है। इस दौरान यहां पर ये नदी इतनी गंदी हो जाती है कि वाराणसी के सैदपुर में गंगा में मिलने से पहले ये गंगा के लिए ही खतरा बनते जा रही है। जौनपुर में मौजूद रबड़ और बैटरी की कई छोटी-बड़ी कंपनियों का कचरा हो या शहर से निकलने वाले गंदे नाले सभी गोमती में मिलते हैं।
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Beauty of Gomti and view of Mandirs |
गोमती नदी का उद्गम पीलीभीत जनपद के माधोटान्डा कसबे में होता है| "पन्गैली फुल्हर ताल"या "गोमत ताल" इस नदी का स्रोत्र है | इस ताल से यह नदी मात्र एक पतली धारा की तरह बहती है। इसके उपरान्त लगभग २० कि.मी. के सफ़र के बाद इससे एक सहायक नदी "गैहाई"मिलती है। लगभग १०० कि. मी. के सफ़र के पश्चात यह लखीमपुर खीरी जनपद की मोहम्मदी खीरी तहसील पहुँचती है जहां इसमें सहायक नदियाँ जैसे सुखेता, छोहा तथा आंध्र छोहा मिलती हैं और इसके बाद यह एक पूर्ण नदी का रूप ले लेती है। गोमती नदी की लंबाई उद्गम से लेकर गंगा में समावेश तक लगभग ९०० कि.मी. है। इसके जलग्रहण क्षेत्र में स्थित 15 शहर में से सबसे प्रमुख हैं लखनऊ, सुल्तानपुर तथा जौनपुर प्रमुख हैं। नदी जौनपुर शहर को दो बराबर भागों मे विभाजित करती है और जौनपुर में व्यापक हो जाती है।
Beauty of Gomti at Jaunpur |
जौनपुर में तो गोमती नदी बेहद प्रदूषित है। इसका पानी तो सई नदी से भी खराब है।जौनपुर जिले के 80 किलोमीटर इलाके में गोमती अपना सफर तय करती है। इस दौरान यहां पर ये नदी इतनी गंदी हो जाती है कि वाराणसी के सैदपुर में गंगा में मिलने से पहले ये गंगा के लिए ही खतरा बनते जा रही है। जौनपुर में मौजूद रबड़ और बैटरी की कई छोटी-बड़ी कंपनियों का कचरा हो या शहर से निकलने वाले गंदे नाले सभी गोमती में मिलते हैं।
Gomti ki Sundarta aur aas paas ka pradushan |
वर्षो से सुनता आ रहा हूँ की गोमती का पानी प्रदूषित है और इसी के साथ साथ ना जाने कितनी संस्थाएं आयी ना जाने कितने शोध हुए , सरकार की तरफ से आश्वासन दिया गया लेकिन वर्षों से इसे प्रदूषित किया जा रहा है जिसपे आज तक कोई रोक नहीं लग सकी है और ना ही इसके प्रदूषण को ख़त्म करने का कोई सार्थक प्रयास ही हो रहा है |
आज भी जौनपुर में गोमती नदी का प्रवाह बहुत अधिक है और सुन्दरता देखते ही बनती है बस आवश्यकता है किसी इमानदार प्रयास की और इसके किनारे घाट बनवा के पर्यटकों को आकर्षित करने की और तब देखिये कैसे यह गोमती आपकी प्यास के साथ साथ मानसिक शांति प्रदान करती है |
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इस वीडियो में देखिये कैसे यह सुंदर गोमती प्रदूषित हुयी ?
आज भी जौनपुर में गोमती नदी का प्रवाह बहुत अधिक है और सुन्दरता देखते ही बनती है बस आवश्यकता है किसी इमानदार प्रयास की और इसके किनारे घाट बनवा के पर्यटकों को आकर्षित करने की और तब देखिये कैसे यह गोमती आपकी प्यास के साथ साथ मानसिक शांति प्रदान करती है |
इस वीडियो में देखिये कैसे यह सुंदर गोमती प्रदूषित हुयी ?
