इस वर्ष जुलाई के महीने में जौनपुर पहुँचने पे मैं अपनी आदत अनुसार यहाँ की प्रतिभाओं की तलाश में लग गया और इसी तलाश में मेरी मुलाक़ात एक ऐसे समाज सेवक से हुई जो राजनीति से भी जुड़े हुए हैं और अपनी इस ताक़त का इस्तेमाल समाज की सेवा में किया करते हैं | नेता जी लालजीत चौहान जी से मुलाक़ात के बाद ऐसा महसूस हुआ की राजनीति से जुड़े सभी लोग भ्रष्ट हुआ करते हैं यह सत्य नहीं है |सादगी भरा जीवन ना घमंड ना दिखावा और हर समय समाज के लिए कुछ करने की चाह श्री लालजीत चौहान जी की पहचान है |
श्री लालजीत चौहान जौनपुर जिले के सैदपुर गडऊर के रहने वाले हैं और अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गाँव से ही प्राप्त की | बचपन में जब नेता जी अपने स्कूल जाते थे जो की एक डेढ़ किलोमीटर उनके घर से दूर था | उस स्कूल के रास्ते में एक नाला पड़ता था जिसे पार करवाने के लिए उनके घरवाले उनको अपने कंधे पे ले जाया करते थे | नेता जी को समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा वंही से मिली और उन्होंने सोंचा यदि मैं बड़ा हो कर कुछ करने लायक बन सका तो सबसे पहले तो इस नाले पे पुल बनवाऊंगा और जैसा उन्होंने प्रण किया था वैसा किया भी | वो नाला और वो उनका गाँव के लोगों के सहयोग से उनके श्रमदान से बनवाया पुल आज भी मौजूद है जिसे उनके गाँव सैदपुर गडऊर जा के मैंने खुद देखा |श्रमदान से बनी इस पुलिया को बाद में एक किलोमीटर की सड़क से जोड़ा गया जो गाँव ने अंदरूनी छोर तक को जोडती है |
श्री लालजीत जी को स्वंत्रता सेनानियों और समाजसेवकों की जीवनी पढने का शौक बचपन से ही था जिससे समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा उन्हें मिली |उनका गाँव सैदपुर गडऊर जौनपुर शहर से केवल 7 -8 किलोमीटर दूर है लेकिन १८७२ में पहले ग्रेजुएट श्री लालजीत जी ही थे | गाँव के विधुतीकरण से ले के गाँव में राजकीय विद्यालय की शुरुआत , शासकीय सहायता प्राप्त जयकरण पूर्व माध्यमिक विद्यालय का संचालन ,गाँव पे पोस्ट आफिस स्थापना का प्रयास इत्यादि श्री लालजीत जी की उपलभदियां हैं | आज भी उनकी समाजसेवा जैसे ४ जनवरी को विधवाओं और गरीबों को कम्बल का वितरण ,छात्रों में प्रतिस्पर्धात्मक शिछा हेतु शिछा समिति का गठन और मेघावी छात्रों को छात्रवृति देना | उनकी इस शिछा समिति की विशेषता यह है की इसमें सहयोग करने वाले लोगों के धन के ब्याज से ही छात्रवृति दे जाते हैं और कुछ वर्षों बाद जिसने जोया पैसा दिया था वो उन्हें वापस कर दिया जाता है | इसमें इतनी पारदर्शिता रखी जाती है कि धन जमा करवाने वाले को यह बताया दिया जाता है कि उनके धन से किसी ब्याज पढ़ाई के लिए दिया जा रहा है और वैसे ही छात्र को भी बता दिया जाता है की धन दे के उसके पढने में किसने सहयोग किया |
देश की आजादी के शहीदों की जीवनी पढना उसके बारे में दूसरों से चर्चा करके उसे दूसरों तक पहुंचाना उनका शौक आज भी है | उनकी कोशिशों के चलते जौनपुर जनपद के धनियामौऊ ,अगरौरा गाँव में शहीद स्मारक बना जहां १९४२ में वहाँ का पुल तोड़ते समय गाँव के कई लोगों को अंग्रेजों ने मार दिया था जिनकी लाश ३ दिन तक पड़ी रही थी | जौनपुर हौज़पुर गाँव में शहीद स्मारक बना जहाँ १८५७ में 16 लोगों को अंग्रेजों द्वारा सरे आम फांसी दे दी गयी थी | श्री लालजीत जी का यह कहना एक मायने रखता है की उन्हें उनकी राजनितिक ताक़त का , पढ़ाई का इस्तेमाल समाज सेवा में करने में बड़ा सुकून मिलता है |श्री लालजीत चौहान शुरू से ही कांग्रेस से जुड़े रहे और समय समय में अहम् पदों को संभाला | आज भी जौनपुर से कांग्रेस जिलाध्यक्ष के पद को संभाल रहे हैं |
आप सब भी उनके इस विडियो में उनके बारे में जाने और तस्वीरों से उनको पहचाने | समाजसेवक नेता जी श्री लालजीत चौहान से एक बात चीत
श्री लालजीत चौहान जौनपुर जिले के सैदपुर गडऊर के रहने वाले हैं और अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गाँव से ही प्राप्त की | बचपन में जब नेता जी अपने स्कूल जाते थे जो की एक डेढ़ किलोमीटर उनके घर से दूर था | उस स्कूल के रास्ते में एक नाला पड़ता था जिसे पार करवाने के लिए उनके घरवाले उनको अपने कंधे पे ले जाया करते थे | नेता जी को समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा वंही से मिली और उन्होंने सोंचा यदि मैं बड़ा हो कर कुछ करने लायक बन सका तो सबसे पहले तो इस नाले पे पुल बनवाऊंगा और जैसा उन्होंने प्रण किया था वैसा किया भी | वो नाला और वो उनका गाँव के लोगों के सहयोग से उनके श्रमदान से बनवाया पुल आज भी मौजूद है जिसे उनके गाँव सैदपुर गडऊर जा के मैंने खुद देखा |श्रमदान से बनी इस पुलिया को बाद में एक किलोमीटर की सड़क से जोड़ा गया जो गाँव ने अंदरूनी छोर तक को जोडती है |
श्री लालजीत जी को स्वंत्रता सेनानियों और समाजसेवकों की जीवनी पढने का शौक बचपन से ही था जिससे समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा उन्हें मिली |उनका गाँव सैदपुर गडऊर जौनपुर शहर से केवल 7 -8 किलोमीटर दूर है लेकिन १८७२ में पहले ग्रेजुएट श्री लालजीत जी ही थे | गाँव के विधुतीकरण से ले के गाँव में राजकीय विद्यालय की शुरुआत , शासकीय सहायता प्राप्त जयकरण पूर्व माध्यमिक विद्यालय का संचालन ,गाँव पे पोस्ट आफिस स्थापना का प्रयास इत्यादि श्री लालजीत जी की उपलभदियां हैं | आज भी उनकी समाजसेवा जैसे ४ जनवरी को विधवाओं और गरीबों को कम्बल का वितरण ,छात्रों में प्रतिस्पर्धात्मक शिछा हेतु शिछा समिति का गठन और मेघावी छात्रों को छात्रवृति देना | उनकी इस शिछा समिति की विशेषता यह है की इसमें सहयोग करने वाले लोगों के धन के ब्याज से ही छात्रवृति दे जाते हैं और कुछ वर्षों बाद जिसने जोया पैसा दिया था वो उन्हें वापस कर दिया जाता है | इसमें इतनी पारदर्शिता रखी जाती है कि धन जमा करवाने वाले को यह बताया दिया जाता है कि उनके धन से किसी ब्याज पढ़ाई के लिए दिया जा रहा है और वैसे ही छात्र को भी बता दिया जाता है की धन दे के उसके पढने में किसने सहयोग किया |
देश की आजादी के शहीदों की जीवनी पढना उसके बारे में दूसरों से चर्चा करके उसे दूसरों तक पहुंचाना उनका शौक आज भी है | उनकी कोशिशों के चलते जौनपुर जनपद के धनियामौऊ ,अगरौरा गाँव में शहीद स्मारक बना जहां १९४२ में वहाँ का पुल तोड़ते समय गाँव के कई लोगों को अंग्रेजों ने मार दिया था जिनकी लाश ३ दिन तक पड़ी रही थी | जौनपुर हौज़पुर गाँव में शहीद स्मारक बना जहाँ १८५७ में 16 लोगों को अंग्रेजों द्वारा सरे आम फांसी दे दी गयी थी | श्री लालजीत जी का यह कहना एक मायने रखता है की उन्हें उनकी राजनितिक ताक़त का , पढ़ाई का इस्तेमाल समाज सेवा में करने में बड़ा सुकून मिलता है |श्री लालजीत चौहान शुरू से ही कांग्रेस से जुड़े रहे और समय समय में अहम् पदों को संभाला | आज भी जौनपुर से कांग्रेस जिलाध्यक्ष के पद को संभाल रहे हैं |
आप सब भी उनके इस विडियो में उनके बारे में जाने और तस्वीरों से उनको पहचाने | समाजसेवक नेता जी श्री लालजीत चौहान से एक बात चीत