जौनपुर में एक समय ऐसा भी था जब यहाँ ज्ञान का समंदर बहता था | आज भी उसका असर यहाँ देखा जा सकता है | इस शहर में आज भी एक से एक मशहूर साहित्यकार और शायर मौजूद हैं |
एक ऐसा ही मशहूर नाम था “जनाब वामिग़ जौनपुरी” का |
वामिग़ जौनपुरी का पूरा नाम था अहमद मुजतबा जैदी अल वास्ती और इनका जन्म जौनपुर शहर के ग्राम कजगांव में २३ अक्टोबर १९०९ में हुआ था और इनका निधन २१ नवम्बर १९९८ में हुआ |
जनाब वामिग़ जौनपुरी ने अपनी शिक्षा उत्तेर प्रदेश के लखनऊ शहर से की और एल.एल.बी कर के यहीं वकालत करने लगे | वकालत इनको पसंद नहीं आयी तो इन्होने सरकारी नौकरी कुबूल क्र ली लेकिन यहाँ भी उनका दिल नहीं लगा |
जनाब वामिग़ जौनपुरी साहब की शायरी अपने में इस दुनिया का दर्द समेटे हुए थी |
जिन्हें आप यहाँ पढ़ सकते हैं |
इनको बहुत से अवार्ड से भी नवाज़ा गया|
मिर्ज़ा ग़ालिब अवार्ड ,सोविअत लैंड नेहरु अवार्ड, इम्तियाज़ इ मीर |
पेशकर्ता : एस एम् मासूम
एक ऐसा ही मशहूर नाम था “जनाब वामिग़ जौनपुरी” का |
वामिग़ जौनपुरी का पूरा नाम था अहमद मुजतबा जैदी अल वास्ती और इनका जन्म जौनपुर शहर के ग्राम कजगांव में २३ अक्टोबर १९०९ में हुआ था और इनका निधन २१ नवम्बर १९९८ में हुआ |
जनाब वामिग़ जौनपुरी ने अपनी शिक्षा उत्तेर प्रदेश के लखनऊ शहर से की और एल.एल.बी कर के यहीं वकालत करने लगे | वकालत इनको पसंद नहीं आयी तो इन्होने सरकारी नौकरी कुबूल क्र ली लेकिन यहाँ भी उनका दिल नहीं लगा |
जनाब वामिग़ जौनपुरी साहब की शायरी अपने में इस दुनिया का दर्द समेटे हुए थी |
जिन्हें आप यहाँ पढ़ सकते हैं |
इनको बहुत से अवार्ड से भी नवाज़ा गया|
मिर्ज़ा ग़ालिब अवार्ड ,सोविअत लैंड नेहरु अवार्ड, इम्तियाज़ इ मीर |
पेशकर्ता : एस एम् मासूम