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जौनपुर मछलीशहर की शान थे मौलवी सैय्यद ज़ैनुल आब्दीन|

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मछलीशहर के गाजीपुर से उप-न्यायाधीश (उ०प्र०) पद से सेवानिवृत्त हुए मौलवी सैय्यद ज़ैनुल आब्दीन को आज जौनपुर मछलीशहर के बहुत ही कम लोग जानते हैं |अलीगढ़ विश्वविद्यालय ने तो परिसर में रोड का नाम उसके नाम पे रख के उन्हें जीवित रखा है और इन्हें अलीगढ़ विश्वविद्यालय के जामा मस्जिद में ही सर सैयद अहमद खान के करीब ससम्मान दफन किया गया।

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मौलवी सैय्यद ज़ैनुल आब्दीन सैय्यद मुहम्मद हुसैन के सैयद परिवार में मछलीशहर, जौनपुर में 14,जून 1832 ई० को हुआ था। उनकी माँ के, सर सैयद अहमद खान दूर की रिश्तेदार थे। गृहनगर मछलीशहर में अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद वह संस्कृत कॉलेज बनारस में शामिल हो गए और अरबी में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय में शामिल हो गए और प्रथम श्रेणी के साथ अपने कानून की डिग्री पूरी की। इसके बाद वे न्यायिक सेवाओं में शामिल हो गये और वैसे ही गाजीपुर से उप-न्यायाधीश (उ०प्र०) पद से सेवानिवृत्त हुए।

1864 ई० में सर सैयद गाजीपुर में साईंटिफिक सोसायटी की स्थापना की थी। तब मौलवी जैनुल आब्दीन गाजीपुर में ही सेवारत रहते हुए पुरज़ोर ढंग से सर सैय्यद के नज़रिये और उद्दैश्य का खुल कर समर्थन किया। दूर की रिश्तेदारी और अलीगढ़ आंदोलन में नज़दीकी बढ़ने से सर सैय्यद के आग्रह पर अलीगढ़ चले आए। जहाँ पर मौलवी ज़ैनुल साहब ने "तार वाला बंगला "खरीदा था उसे बाद में 1897 ई० में मोहम्मडन एंग्लो ओरियंटल कॉलेज को दान कर दी। मौलवी ज़ैनुल साहब ने सर सैय्यद का हर जगह समर्थन किया, विशेष रूप से जब कॉलेज के कोषाध्यक्ष द्वारा वित्तीय कुप्रबंधन के कारण मुसीबत पड़े थे। वह इतना सर सैय्यद के सहायक रहे की सर सैय्यद भी उनकी अनुमति पुछा करते थे और मौलवी ज़ैनुल आब्दीन साहब ने भी सर सैय्यद की घौषणाओं का पालन कॉलेज के विकास में योगदान कर किया। सैय्यद ज़ैनुल आब्दीन ने मछलीशहर, जौनपुर की अपनी पैतृक संपत्ति बेच दिया और इसका हिस्सा भी कॉलेज कोष के लिए दान कर दी। सर सैय्यद के अंतिम क्षणों के दौरान, वह सर सैय्यद के साथ अपना बहुत समय व्यय कर रहे थे। 
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मौलवी सैयद जै़नुल आब्दीन 27, सितंबर 1905 को मृत्यु हो गई और अलीगढ़ विश्वविद्यालय के जामा मस्जिद में ही सर सैयद अहमद खान के करीब ससम्मान दफन किया गया। एएमयू प्रसाशन ने उनके तार वाला बंगला को महिला शिक्षण केन्द्र के रूप में परिवर्तित कर दिया है जब की मौलवी ज़ैनुल आब्दीन साहब के नाम से एएमयू परिसर में रोड का नाम रख कर उनके अतुल्य योगदान को जीवंत किया है।
लेखक एस एम मासूम 
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"बोलते पथ्थरों के शहर जौनपुर का इतिहास  "लेखक एस एम मासूम 


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