Quantcast
Channel: हमारा जौनपुर हमारा गौरव हमारी पहचान
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2088

शाह सम्मन सुहरवर्दी सैदपुर गाजीपुर

$
0
0

शाह सम्मन सुहरवर्दी सैदपुर गाजीपुर 


मनाकिब दुर्वेशिया के अनुसार एक बार हज़रत मख़्दूम चिराग़-ए-हिन्द एक बार बिहार में घूम रहे थे . एक ब्राह्मण के घर के पास से उनका गुजर हुआ तो ब्राह्मण ने प्राथना की कि वह संतानहीन है. आप ने ईश्वर से प्रार्थना की और उस से कहा कि तुम्हारे सात पुत्र होंगे. पर जो सबसे बड़ा पुत्र होगा वह हमें दे देना. ब्राह्मण ने ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार कर लिया. सात साल बाद जब मख़्दूम वहां से गुजरे तो ब्राह्मण के सात बेटे थे. जब उन्होंने बड़े बेटे की मांग की तो पुत्र मोह में उस ने मना कर दिया. मख़्दूम ने फरमाया – अगर यह हमारा लड़का होगा तो खुद चला आएगा. यह कह कर आप ने अपनी राह ली. कुछ ही दूर पहुंचे होंगे कि वह लड़का जिस का नाम सुमन था वह भागता हुआ उनके पास आ गया. आप उसे अपने साथ ज़फ़राबाद ले गए, उसे तसव्वुफ़ का ज्ञान दिया और अपने देहांत के पूर्व उसे सैदपुर भीतरी की विलायत प्रदान की| विलायत हासिल होते ही हजरत मखदूम शेख सदरूद्दीन चिरागे हिंद ने अपने मुर्शीद शेख शाह सम्मन को आदेश दिया कि विलायत के इस चीराग की रोशनी को चारों ओर फैलाओ और दीन दुखियों की मदद करो। शेख शाह सम्मन अपने पीर से इजाजत लेकर बलिया की सीमा से होते हुए सैदपुर गाजीपुर पहुंचे।

यहां आपके चिरागे विलायत की रौशनी दूर दूर तक फैल गई, दीन दुखी लोग मनौती मांगने और अपने कष्टों के निवारण के लिए आपके पास आने लगे। शेख शाह सम्मन ने कई करामातें की है। जिससे आपकी प्रसिद्धि चारों ओर फैली गई।
आप की दरगाह वहीं स्थित है| हर साल आप की दरगाह पर उर्स होता है जिसमे हिन्दू –मुसलमान दोनों सम्मिलित होते हैं. यह मेला एक महीने तक रहता है. यह उर्स रामनवमी के ठीक बाद मनाया जाता है .|

शाह सम्मन सुहरवर्दी

सम्मन बाबा के विषय में प्रचलित है कि एक बार कोई राजा कोढ़ की बीमारी से पीड़ीत था हर उपाय कर आखिरकार थक कर काशी में देह त्यागने की इच्छा रख कर नाव से काशी जा रहा था . रात में नाविक को आग की ज़रुरत पड़ी और उस ने नाव नदी के किनारे लगायी . उसने देखा कि एक फकीर अपनी साधना में लिप्त है और आग जल रही है। नाविक ने फकीर के तेज से प्रभवित हो कर राजा को उनसे मिलने की सलाह दी. राजा ने न चाहते हुए भी नाविक की बात पर फकीर के सामने जा कर अपनी व्यथा कहने लगा.उन्होने राजा को पास पड़ी राख उठा कर दी और फ़रमाया कि इसे लगा कर देखना। राजा को पहले विश्वास न हुआ मगर उसने बाबा के कहे अनुसार किया और कोढ़ मुक्त हो गया। सम्मन बाबा के बार में अनेक किस्से प्रचलित है।
  • Jaunpur Azadari Network Channel


Viewing all articles
Browse latest Browse all 2088

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>