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बेटी के साथ छ साल तक पिता करता रहा बलात्कार |

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महिलाओं के पारिवारिक शोषण की खबरें अब आम होती जा रही है  | कभी औरत ससुर का शिकार बनती है, कभी बाप का और कभी करीबी रिश्तेदारों का| आज हम इस बात को भूलते जा रहे हैं की औरत एक शरीर भी होती है जिसकी तरफ मर्द का आकर्षण हमेशा रहता है|

एक जवान औरत को मर्द से इतनी दुरी अवश्य बना के रखनी चाहिए की मर्द कोई चाहे भी हो उसके शारीरिक संपर्क में ज़रा सा भी ना आ पाए चाहे उसका रिश्ता उस मर्द से किसी भी प्रकार का भी हो | दुसरे यह ज़िम्मेदारी भी औरत की और उसके घर की महिलाओं की है की कोई भी जवान औरत किसी भी मर्द के साथ अकेले में ना रह पाए | बाप बेटी ,भाई बहन में तो ऐसे मामले प्रकाश में अभी भी कम आते हैं लेकिन ससुर-बहु, चचेरे भाई बहन में ऐसे मामले बहुत अधिक आने लगे हैं |पारिवारिक व्यभिचार की दर आज हर दिन बढती जा रही है यह तो मीडिया वाले कहीं से तलाश लाते हैं वरना ९९% तो प्रकाश में ही नहीं आते ऐसे बलात्कार के मामले |


वाराणसी लोहता के कोटवा गांव में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक बाप ने पिता-बेटी के रिश्ते को शर्मशार कर दिया है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य मुख्‍तार अहमद अंसारी अपनी ही बेटी को लगातार छह साल से हवस का शिकार बना रहा था। बेटी ने छह साल बाद हिम्मत दिखाकर पिता के खिलाफ आवाज उठाई है। पुलिस ने रेप का मामला दर्ज कर पिता को गिरफ्तार कर लिया है। इतना ही नहीं यह मामला इतना संगीन है कि पुलिस जांच में चौंकाने वाली बातें सामने आई है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य ने चार शादियां की हैं। पहली पत्नी ने उससे तंग आकर जहर खा लिया था। दूसरी पत्‍नी ने अपनी ही बेटी के साथ उसको आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था। पति की इस करतूत पत्‍नी ने आत्महत्या कर ली थी। तब उसकी बेटी की उम्र मात्र 13 साल थी। बेटी ने बताया, '13 साल की उम्र से मेरे पिता मेरे साथ रेप कर रहा है। मां के सामने गलत काम किया करता था। मेरे खेलने की उम्र में वह मेरे शरीर से खेलता था। जान से मारने की धमकी देता था। शादी के बाद भी वह नहीं माने हमेशा मेरे साथ संबंध बनाने के फिराक में रहते थे। कई बार पति के न रहने पर मुझे घर पर बुलाकर मेरे साथ गलत काम भी किया। उन्‍हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए। पति की वजह से थाने आकर सबकुछ बताने की हिम्मत जुटा पाई हूं।


यह सच है पारिवारिक व्यभिचार या कौटुम्बिक व्यभिचार पश्चिमी सभ्यता की देन है | पोर्न का आसानी से उपलब्ध हो जाना भी इसका एक कारण हो सकता है लेकिन यह हकीकत में मानसिक रोग है और आपके परिवार में ऐसा रोगी कोई भी हो सकता है जिसका पता आपको तब लगेगा जब वो रोगी किसी को अपना शिकार बना चूका होगा | इसलिए परिवार में भी महिलाओं को मर्द के संपर्क में कम से कम आने दिया जाए और चाचा ,मामी बुआ के जवान बच्चों को तो सगे भाई बहनों की संज्ञा देने से पहले सौ बार सोंचा अवश्य जाए | जब यह बीमारी हमारे समाज में आ चुकी है तो हमारे पास सतर्क रहने के अलावा कोई रास्ता नहीं है चाहे वो रास्ता हमें पसंद हो या न हो |

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