जौनपुर। भारत में काला व भूरा नाग, फेटार, करैत, घुड़करैत, वाइपर, कोरल, समुद्री सांप मुख्य रूप से जहरीले और घातक होते हैं जो लाखों लोगों की जान ले लेते हैं। सांप उसी को काटते हैं जिसका काल आ जाता है। सांप भगवान शिव के आभूषण हैं जो हलाहल पीकर विषैले हुये हैं और वातावरण में व्याप्त विष सोख करके वातावरण विषमुक्त करते रहते हैं। उक्त बातें नगर के रिजवी खां मोहल्ले में स्थित एक होटल में बुधवार को खतरनाक सांपों और सर्पदंश पर आयोजित परिचर्चा में जूरी जज डा. दिलीप सिंह ने कही। इसके अलावा डा. आरके त्रिपाठी, प्रधानाचार्य डा. रामदत्त सिंह, प्रो. राहुल सिंह, इंजीनियर दिव्येन्दु सिंह, प्रबंधक जनार्दन सिंह, सांपों के जानकार राम आसरे सहित अन्य वक्ताओं ने अपना विचार व्यक्त करते हुये कहा कि सांप काटने के बाद यदि किसी सहायता की आशा न हो तो झाड़-फूंक एवं देशी जड़ी-बूटियों की सहायता लेने में संकोच न करें, क्योंकि उससे मनोवैज्ञानिक लाभ एवं संबल मिलता है तथा मिट्टी का तेल सप्ताह में एक बार छिड़कने से सांप सहित सब जहरीले जीव भाग जाते हैं। इस अवसर पर हेमलता, डा. एमएल मौर्य, अलका सिंह, विपिन मौर्य, पद्मा सिंह, सीताराम चैरसिया, शिप्रा सिंह, मनीष, सुनील दूबे, अशोक उपाध्याय, संजय, नरसिंह, शुभम् आदि उपस्थित रहे।
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