एक जर्सी गाय किसी भी देसी गाय या भैंस से अधिक दूध देती है और यही कारन है कि पशुपालकों की पहली पसंद बनती जा रही है ये जर्सी गाय | पहले लोग देशी गाय का पालन करते थे, जिससे उसके बछड़े जब बैल होते थे तो वह खेत जोतने में हल चलाने और बैलगाड़ी खींचने का कार्य करते थे। जर्सी गाय पलक की आर्थिक स्थिति को तो बेहतर बना रही है लेकिन इसके बछड़े एक बेहतरीन बैल नहीं बन सकते जिन्हें पालने पे भी नुकसान का अंदाज़ा लगाते हुए किसान बचपन में ही बेच देता है |
अब बाजार में दूध की मांग बढ़ने से दूध का कारोबार बढ़ा है, भैंस की अपेक्षा जर्सी गाय ज्यादा दूध देती है इसलिए इसका पालन फायदेमंद रह रहा है और जोताई के लिए कृषि यंत्रों के विकसित हो जाने के कारण किसान को इस बात की चिंता भी नहीं रह गयी की बछड़े बैल बनें या नहीं |
गायों के दूध पर किए शोध से पता चला है की सेहत के लिए सबसे अधिक लाभदायक होता है देसी गाय का दूध जिसमे केवल 0-1 प्रतिशत कैसिन प्रोटीन पाया जाता है | ये कैसिन प्रोटीन पूर्ण रूप से पच नहीं पाता। इससे डायबिटीज, ओस्टियोपोरोसिस, अनिद्रा, मोटापा एवं दिमाग से जुड़ी कई बीमारियों के होने का खतरा बढ़ता है।
गायों के दूध पर किए शोध से पता चला है की सेहत के लिए सबसे अधिक लाभदायक होता है देसी गाय का दूध जिसमे केवल 0-1 प्रतिशत कैसिन प्रोटीन पाया जाता है | ये कैसिन प्रोटीन पूर्ण रूप से पच नहीं पाता। इससे डायबिटीज, ओस्टियोपोरोसिस, अनिद्रा, मोटापा एवं दिमाग से जुड़ी कई बीमारियों के होने का खतरा बढ़ता है।