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जमैथा गाँव परशुराम की जन्मस्थली जहां रामचंद्र जी दो बार आये थे |

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Paramhans jee ki samadhi aur mandir 

जौनपुर जनपद मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूर गोमती नदी के किनारे बसा गाँव  जमैथा केवल खरबूजे के लिए ही नहीं मशहूर  है बल्कि इसका धार्मिक महत्व भी है |इस गांव में गोमती के किनारे परशुराम के पिता यमदग्नि ऋषि की तपोभूमि थी। नाराज परशुराम के पिता यमदग्नि ने अपने सभी पुत्रों से बारी-बारी अपनी मां रेणुका का सिर धड़ से अलग कर देने को कहा। जिसमें परशुराम ने पिता की आज्ञा का पालन किया और यहीं पर माता रेणुका का सिर काटकर हत्या कर दिया। आज्ञाकारी पुत्र परशुराम से खुश हो के पिता यमदग्नि ऋषि ने उन्हें वरदान देना चाहा तो उन्हीने अपनी माता रेणुका को पुनर्जीवित करने का वरदान माँगा जो पूर्ण हुआ | रशुराम ने अपनी मां के लिए पिता से अखंड का वरदान मांगा। जिससे माता रेणुका को अखंडो देवी कहा जाने लगा। अखड़ो देवी अर्थात अखंडी देवी मां रेणुका हैं। जिनकी पूजा आज भी जमैथा गांव में की जाती है।

जमैथा गांव की मिंट्टी पावन है क्योंकि यहां भगवान राम ने यमदग्नि की तपोभूमि पर दो बार अपना पांव रखा था। पहली बार अपने गुरु वशिष्ठ के साथ बचपन में राजा कीर्तिवीर जो यमदग्नि के तप को भंग करता था उसका वध करने और दूसरी बार 14 वर्ष का वनवास जाते समय यमदग्नि से मिलते हुए गए।

अखंडो देवी 

यही पे एक मदिर है जो बाबा परमहंस की समाधि है | गाँव के लोग बताते हैं की अठारहवीं शताब्दी में यमदग्नि की तपोभूमि जमैथा में बाबा परमहंस का आगमन हुआ। यहीं रहकर वह अपनी साधना करते रहे। सन् 1904 में  उन्होंने पद्मासन लगाकर अपनी नाभि से अग्नि पुंज प्रज्ज्वलित कर खुद को अग्नि में समाहित कर लिया। कालांतर में स्वप्न आने पर गांव निवासी वरिष्ठ चिकित्सक डा.विनोद कुमार सिंह के दादा चौहरजा सिंह ने यहां बाबा परमहंस की समाधि स्थल बनवाया। जहां लोग मुराद मांगते हैं। वर्तमान में यहां भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया है जो अत्यंत सुंदर है। इसमें राम, लक्ष्मण, हनुमान, शिव, मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है।


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जौनपुर और आस पास के प्रसिद्ध मंदिर |

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 महाभारत काल में वर्णित महर्षि यमदग्नि की तपोस्थली जमैथा ग्राम जहां परशुराम ने धर्नुविद्या का प्रशिक्षण लिया था। गोमती नदी तट परस्थित वह स्थल आज भी क्षेत्रवासियों के आस्था का केन्द्र बिन्दु बना हुआ है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण तो यह है कि उक्त स्थल के समुचित विकास को कौन कहे वहां तक आने-जाने की सुगम व्यवस्था आज तक नहीं की जा सकी है|

रेणुका माता मंदिर जमैथा जौनपुर




विजय थुआ महावीर मंदिर


जौनपुर शहर से करीब 65 किमी  दूर सीमावर्ती कस्बा सूरापुर (सुल्तानपुर जनपद) के पास हनुमान जी का भव्य मंदिर विजेथुआ महावीरन के नाम से प्रसिद्ध है.यह पौराणिक स्थल के रूप में मान्य है.कहा जाता है कि संजीवनी बूटी लेने जा रहे हनुमान जी को रोकने के लिए रावण द्वारा भेजे गये कालनेमि का हनुमान जी ने यहीं वध किया था.मंदिर के बगल में मकरी कुण्ड है जहां मकरी रूपी शापित अप्सरा को हनुमान जी के हाथों निर्वाण प्राप्त हुआ था.इसे सिद्ध स्थल की मान्यता है और यहां मंगलवार,शनिवार,बुढवा मंगल आदि अवसरों पर भारी भीड़ होती है |

मंदिर के बगल में मकरी कुण्ड है जहां मकरी रूपी शापित अप्सरा को हनुमान जी के हाथों निर्वाण प्राप्त हुआ था.इसे सिद्ध स्थल की मान्यता है और यहां मंगलवार,शनिवार,बुढवा मंगल आदि अवसरों पर भारी भीड़ होती है |



 बावन बियर हनुमान मंदिर बलुआ घाट जौनपुर

जौनपुर शहर में मानिक चौक-बलुआघाट बाईपास रोड पर बावनवीर हनुमान मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थापित विशाल प्रतिमा लोगों का ध्यान खींचती है.अब आस-पास के लोग इस विशाल हनुमान प्रतिमा का जिक्र अपने घर की लोकेशन बताने में करने लगे हैं.प्रतिमा की ऊँचाई लगभग 28 फुट है.|

बड़े हनुमान मंदिर

'बड़े हनुमान मंदिर'के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर शहर के बलुआ घाट क्षेत्र में है.इस प्राचीन मंदिर का नवनिर्माण उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री पं0 कमलापति त्रिपाठी के संरक्षण एवं आर्थिक सहयोग से हुआ था.नवनिर्माण का शिलान्यास 8 अप्रैल 1968 को उन्हीं के हाथों से हुआ था|



मार्कंडेय मंदिर

मार्कण्डेय महादेव मंदिर

जौनपुर शहर से करीब 70 किमी0 दूर कैथी (वाराणसी)में गोमती और गंगा के संगम के पास पौराणिक महत्व का मार्कण्डेय महादेव मंदिर है| 'बाल्यावस्था में अल्पायु मार्कण्डेय ऋषि को यमराज के पाश से छुड़ा कर भगवान शिव द्वारा की गयी जीवन रक्षा'का कथानक इसी स्थल (मंदिर) से सम्बद्ध है|


त्रिलोचन महादेव मंदिर

त्रिलोचन महादेव मंदिर वाराणसी राजमार्ग पर जौनपुर से करीब 22 किलोमीटर दूर स्थित है| यह भगवान शिव को समर्पित प्राचीन मंदिर है| यह बाबतपुर से 16 किमी0 और वाराणसी से 36 किमी0 पर स्थित है| मंदिर के बगल में एक बड़ा तालाब भी स्नान-ध्यान के लिए है| इस धार्मिक स्थल की विशेष रूप से वाराणसी और जौनपुर में काफी मान्यता है। प्रत्येक सोमवार,शिवरात्रि और श्रावण मास में यहाँ काफी भीड़ हो


जागेश्वरनाथ मंदिर


प्राचीन जागेश्वरनाथ मंदिर जौनपुर शहर के आलमगंज में स्थित है|भगवान शिव का यह मंदिर करीब 100 मीटर दूर स्थित मध्य काल में निर्मित जामा मस्ज़िद(बड़ी मस्ज़िद) का समकालीन माना जाता है| स्थानीय लोगों में इस मंदिर के प्रति गहरी आस्था है| कुछ वर्षों पूर्व इसका जीर्णोद्धार हुआ है|

पाँचों शिवाला मंदिर

जौनपुर शहर के पुरानी बाजार मुहल्ले में स्थित प्राचीन'पाँचों शिवाला मंदिर'आस्थावानों के बीच काफी प्रसिद्ध है। यह एक ही परिसर में आमने-सामने स्थित पाँच शिवालयों(शिव मंदिरों) का समूह है।


मैहर मंदिर


मैहर(मध्य प्रदेश)में स्थित देवी शारदा मंदिर और उनके विग्रह(प्रतिमा)की अनुकृति जौनपुर शहर के शास्त्रीनगर मुहल्ले में स्थापित है| मैहर देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर का निर्माण जाने-माने व्यवसायी राधेश्याम गुप्त ने कराया था| मंदिर की व्यवस्था एक ट्र्स्ट करता है| जिसके प्रधान न्यासी व्यापारी नेता एवं समाजसेवी सूर्यप्रकाश जायसवाल हैं| यह मंदिर पूर्वी उत्तर प्रदेश के श्रद्धालुओं में काफी लोकप्रिय है|




शीतला चौकियां

पूर्वी उत्तर प्रदेश में जौनपुर के शीतला चौकियां धाम की काफी मान्यता है| श्रद्धालु विभिन्न संस्कारों के लिए यहां आते है| साथ ही चौकियां माई को पूज कर देवी शक्तिपीठों की यात्रा पर आगे निकलने की परम्परा भी है|देवी शीतला को संक्रामक रोगों से बचाव के लिए भी पूजा जाता है। नवरात्र में शीतला चौकियां धाम दिन-रात श्रद्धालुओं से भरा रहता है। श्रद्धालु दर्शन-पूजन के साथ मुण्डन,यज्ञोपवीत,विवाह आदि संस्कारों के लिए भी यहां आते हैं।

मार्कण्डेय पुराण में उल्लिखित 'शीतले तु जगन्माता, शीतले तु जगत्पिता, शीतले तु जगद्धात्री-शीतलाय नमोनम:'से शीतला देवी की ऐतिहासिकता का पता चलता है। शीतला माता का मंदिर स्थानीय व दूरदराज क्षेत्रों से प्रतिवर्ष आने वाले हजारों श्रद्घालु पर्यटकों के अटूट आस्था व विश्वास काकेन्द्र बिन्दु बना हुआ है लेकिन इसके भी सौन्दर्यीकरण की और लोगों का ध्यान नहीं जाता और यदि कभी जाता भी है तो सरकारी फाइलों में दब के रह जाता है |

शीतला चौकियां धाम में स्थित यह तालाब जलाशयों के निर्माण की हमारी समृद्ध परम्परा का प्रतीक है|इस तालाब में हमेशा पानी रहता है|


 पंचमुखी हनुमान मंदिर गुलर घाट जौनपुर

जौनपुर शहर स्थित गूलर घाट पर प्राचीन रामजानकी मंदिर में पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा स्थापित है.जनपद में अपने तरह की यह अकेली प्रतिमा बतायी जाती है.आस्थावान लोगों में इसकी काफी मान्यता है.


अब भोलेनाथ को गेंदे कनेर गुडहल के फूलों की जगह चाईनीज बल्बों से सजाते हैं |

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शिवरात्रि के दिन सुबह नहा धोके ऊख बईर बेलपत्र और बताशे के साथ निमिया के डरिया नीचे सालिकराम पर गाँव की काकी, माई, आजी, भउजी, फुआ बहिनी सब पहुँचती। पियरी पहिने गाती हुयी......
का देइ के सिउ के मनाई हो सिउ मानत नाही।
घोड़ा अउ गाडी सिउ के मनही न भावे
बौरहवा बैल कहाँ पाई हो क़ि सिउ मानत नाही। का.......
पूड़ी मिठाई सिउ के मनही न भावे
भांग धतूरा कहाँ पाई हो कि सिउ मानत नाही।
का.....
सोना अउ चांदी सिउ के मनही न भावे
कीरा अउ बिच्छी कहाँ पाई हो कि सिउ मानत नाही।
का...
भोलेनाथ को गेंदे कनेर गुडहल के फूलोंसे खूब सजाया जाता। आज चाईनीज बल्बों से क्या सजावट होगी जो हम सब फूल पत्तों से सालिकराम को सजाते थे। गाँव में पूजन के बाद तेरस देखने गौरी शंकर मंदिर की और पलटन रवाना होती। तब कांवरियों का आतंक नही होता था। सब प्रेम से दर्शन कर मेले में घूमते और दैनिक खरीददारी कर वापस आते। होली के लिए रंग चोटहिया जलेबी और किस्सा शीत बसन्त का या इसी तरह की किस्से कहानियों वाली किताबें साथ में दया की दुकान से फ़ोटू लिए मैं कमलेश भैया के साथ कूदते फांदते घर आता।
रात में रसभंगा चढ़ाये के गुरु ढोल और मंजीरा के साथ दे फगुआ दे फगुआ और फगुये में शिव बियाह।
बैठ बरधा पे भोले बियाहन चले...😂😂😂😂
बम भोले। सिउबरात के गाढ़ा गाढ़ा बधाई।

डॉ पवन विजय

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जौनपुर के डी एम् भानुचन्द्र गोस्वामी का तबादला

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जौनपुर डी एम भानुचन्द गोस्वामी को निर्वाचन आयोग ने हटाया| एडीशनल चीफ इलेक्शन ऑफिसर श्री बलकार सिंह  बने जौनपुर के फिर से डी एम   |

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जौनपुर के नए जिलाधिकारी हुए बलकार सिंह |

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जौनपुर। नये जिलाधिकारी डा0 बलकार सिंह ने आज रात करीब दस बजे अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया। वे लखनऊ से सीधे जौनपुर पहुंचकर ट्रेजरी आफिस पहुंचकर पदभार ग्रहण किया। आज से ही डा0 बलकार अपनी दूसरी पारी की शुरूआत कर दिया। डा0 बलकार इससे पूर्व 30 मार्च 2012 से 30 सितम्बर 2012 तक जिले की कमान सम्भाली थी। अपने छः माह के कार्यकाल में उन्होने अपनी साथसुथरी छवि बनाया था।

मालूम हो कि गुरूवार की देर रात चुनाव आयोग ने यहा डीएम भानुचंद्र गोस्वामी का तबादला कर दिया था। उनके स्थान पर डा0 बलकार सिंह को जिले का नया डीएम बनाया था। आज देर रात वे जौनपुर पहुंचकर चार्ज ले लिया। 

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चुनाव को निष्पक्ष सम्पन्न कराना ही प्राथमिकता होगी । जिलाधिकारी डा0 बलकार सिंह

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जौनपुर । नवागत जिलाधिकारी डा0 बलकार सिंह ने कहा कि विधान सभा चुनाव को निष्पक्ष सम्पन्न कराना ही उनकी प्राथमिकता होगी ।  उन्होंने कहा कि मेरा प्रयास होगा कि निष्पक्ष चुनाव के साथ साथ मतदान का प्रतिशत भी बढ़े ।  किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो। उन्होने कहा कि यहां के लोग प्रदेश में सबसे अधिक शिक्षित है। पत्रकारों का भी पूरा सहयोग प्रशासन को मिलता है।  उन्होने कहा कि चुनाव में किसी प्रकार की शिथिलता बर्दात नहीं किया जायेगा। प्रत्याशियों द्वारा मतदाताओं को प्रलोभन देने के लिए यदि कुछ वितरण कराया जाता है और उसकी शिकायत मिलती है तो तत्काल कार्यवाही की जायेगी। उन्होने कहा कि चुनाव की बैठकों के दौरान यदि मोबाइल नहीं उठाता तो एडीएम और एसडीएम से समस्या बताये निस्तारण होगा। शिकायत एवं सुविधा के निस्तारण के लिए सुबह-शाम प्रभारी अधिकारी कन्ट्रोल रुम को निस्तारित कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।

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पीले कनेर के फूल --पवन विजय

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पीले कनेर के फूल 
असाढ़ की बारिश 
भीगी हुयी गंध। 
जी करता है,
अंजुरी भर भर पी लूँ 

गीली खुशबुओं वाली भाप। 
और चुका दूँ सारी किश्तें 
चक्रवृद्धि ब्याज सी 
बरस दर बरस बढ़ती प्यास की।


चूर चूर झर रही
चंद्रमा की धूल, कुरुंजि के फूलों पे 
कच्ची पगडंडियों से गुजरती 
स्निग्ध रात उतर जाती है। 
स्वप्नों की झील में 
कंपित जलतरंग, दोलित प्रपात 
फूट रहे ताल कहीं राग भैरवी के।

ओह्ह …
यह परदा किसने हटाया ?
कि धूप में पड़ी दरार 
घाम में विलुप्त ख्वाब ।
रेत हुयी तुहिन बिंदु
ऐंठती हैं वनलताएं निर्जली प्रदेश में
सूखे काठ सा हुआ मन। 
कौन है यवनिका?



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फेसबुक पर फेक प्रोफाइल और 'फेक लाइक"का धोका देने वालों से होशियार |

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सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक का क्रेज युवाओं पर ऐसा  छाया हुआ है की वो इस आभासी  दुनिया पे बनायी गयी अपनी पहचान को वास्तविक पहचान समझने लगे हैं और फेसबुक पे यह पहचान मानी जाती है इस बात से की आपकी फोटो पे कितने अधिक  लाइक  आते हैं या आपके पेज को कितने अधिक लाइक मिले हैं | फेसबुक के आपके पेज पे अगर अधिक लाइक मिले हैं तो बहुत सी  कंपनी आपको एफिलिएट बना के मार्केटिंग के लिए धन भी देती है जिस से एक मोटी  कमाई की जा सकती है | हमारे जौनपुर में अपने अपने पोर्टल को फेसबुक पे शेयर करने और इसके द्वारा अपनी वेबसाईट के विसिटर बढाने का क्रेज बहुत अधिक है |

अब जब इन लाइक के कारण इतने फायदे होने वाले हों तो अवश्य ही इसमें फ्रॉड या धोका धडी  करने वाले भी आयेंगे क्यूँ की आज के नौजवानों का एक बड़ा हिस्सा बिना मेहनत बहुत कुछ पा लेना चाहता है और उसके शोर्टकट तलाशने में ही लगा रहता है और दूसरों के साथ साथ खुद को भी धोका देता रहता है | 

दरअसल अब फेसबुक पर अपनी किसी पोस्ट पर फेक  लाइक करवाना लोगों को बहुत भारी पड़ सकता है। एक फेक लाइक के चक्कर में आपको कोर्ट के चक्कर काटने पड़ सकते है। इतना ही नहीं बल्कि अगर इसमें दोषी पाया गया तो जेल भी हो सकती है। फेसबुक ने ऐलान किया है कि उसने फेक लाइक करने वालों को पहचानना शुरू कर दिया है। फेसबुक पर फेक लाइक करवाकर लोगों ने इसे अपना पेशा बना लिया है।लेकिन अब इनलोगों को कंट्रोल करने के लिए फेसबुक टीम ने काम शुरु कर दिया है। फेसबुक ने कहा है कि बिजनेस के तौर पर फेसबुक को यूज करते हुए "फेक लाइक"करवाने वालों के खिलाफ वह कोर्ट में भी जाएगी। जिसके बाद दोषी पाए जाने पर आरोपी को जेल भी जाना पड़ सकता है।


यदि आपको कोई  'फेक लाइक"के रास्ते बताय तो उस से होशियार रहे यूँ की फेसबुक आपका अकाउंट ब्लाक भी कर सकता है और आपकी मेहनत बर्बाद हो सकती है और इसी प्रकार से ऐसे लोगों से भी बचें जो एक दिन में हज़ार और दो हज़ार लाइक की बातें किया करते हैं | हकीकत में  'फेक लाइक"की बहुत सी वेबसाइट बनी हुयी है जो सिर्फ एक धोका हैं लेकिन नौजवान अपनी शान बताये के लिए इसका इस्तेमाल किया करता और यह भूल जाता है की इस से लोगों में उसके प्रति विश्वसनीयता में कमी आती है |

सही फेसबुक लाइक के लिए काफी समय लगता है और लोग उसी समय लाइक करते हैं जब वो आपकी पोस्ट को या काम को पसंद करने लगते हैं | आभासी दुनिया या सोशल नेटवर्किंग में बहुत से धोके  हैं और इसके द्वारा समाज के हित में या अपने वतन के हित में काम उसी समय किया जा सकता है जब आपके पास वास्तविक विजिटर या लाइक हो |

इसी के साथ साथ फेक प्रोफाइल भी एक समस्या बनती जा रही है जिसका इस्तेमाल आज  अफवाहें फैलाने  और लड़कियों को धोका देने अधिक होता है | वैसे तो आज बहुत से सॉफ्टवेर इत्यादि मौजूद हैं जिनके सहारे फेक लाइक को पकड़ा जा सकता है लेकिन सबसे पहला तरीका यह है की यदि फेसबुक के पेज पे पोस्ट की क्वालिटी नहीं है और लाइक अधिक है जिनका इस्तेमाल पोस्ट  शेयरिंग के लिए या प्रोडक्ट की मार्केटिंग के लिए होता दिखे तो साझ लीजे की यह फेक लाइक हैं या फेक आईडीई है | ध्यान रहे फेक लाइक वाले वाले से आपकी वेबसाइट के न तो विजिटर बढेंगे और ना ही आपका प्रोडक्ट लोगों तक पहुंचेगा क्यूँ की सारे लाइक वास्तविक मेम्बर या लोगों के नहीं बल्कि फेक हैं जिसके पीछे इन्सान नहीं सॉफ्टवेर है |


फेक प्रोफाइल और फेक लाइक  से धोका तो दिया जा सकता है लेकिन समाज के हित में काम नहीं किया जा सकता इसलिए रहे होशियार ऐसे धोका देने वालों से और उनके झांसे में ना  आयें |

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जौनपुर के वो ऐतिहासिक नज़ारे जिनमे छुपे हैं गहरे रहस्य |

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जौनपुर शहर के इतिहास और आज के जौनपुर के बारे में आप सभी जौनपुर सिटी की अंग्रेजी और हिंदी की वेबसाईट पे पढ़ा करते हैं लेकिन बहुत बार ऐसा होता है की अपने वतन जौनपुर के चित्र आपको बहुत आकर्षित कर जाते हैं |

आज आपको जौनपुर का नज़ारा यहाँ के नए पुराने चित्रों द्वारा दिखता हूँ | पसंद आय तो अवश्य बताएं |















अगली  कड़ी  का  इंतज़ार  करें |




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गाय के गोबर से बने उपले आपको बना सकते हैं करोडपति |

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जो लोग गाँव या छोटे शहरों में रह चुके हैं वो अवश्य गाय के गोबर के बने कंडे या उपले को देख चुके होंगे और जौनपुर में रहने वालों को तो हर दिन हर जगह इसे देखने का अवसर प्राप्त हुआ करता है |

गाँव की महिलाएं गाय  भैंस  के  गोबर में भूसा मिला के उपला पाथ  के जगह जगह अपने घरों के सामने ढेर लगा दिया करती है | उनके लिए यह काम आसान हुआ करता है और यह उनकी दिनचर्या में शामिल है | लेकिन बेचने पे उन्हें आज के समय में क्या कीमत मिला करती है क्या इसका किसी को अंदाज़ा है ?

कहीं पे एक रूपए का एक उपला कहीं दो उपला और  बड़े शहरों के आस पास पांच  रूपए के एक या दो | लेकिन देखिये कैसे  इस उपले की कीमत रातों रात ४०-5- और ६० रूपए प्रति उपला हो गयी जैसे ही इसे बड़े बड़े ऑनलाइन मार्केटिंग वालों ने बेचना शुरू किया |

आज यह उपले,गोइठा  या कंडे आपको बेहतरीन तरीके से पैक किये ebay, Amazon,shopclues, indiamart, जैसे बड़े बड़े ऑनलाइन मार्किट में प्रति पैकेट १०० से ५०० रूपए में मिल जायेंगे जिसमे २ से १० पीस उपले होंगे |
बड़े शहरों में हवन इत्यादि के लिए या भारत के बाहर इसकी डिमांड बहुत अधिक है | क्या आपको नहीं लगता की जौनपुर में यह एक बड़े  व्यापार का रूप ले सकता है जहां यह  उपले केवल एक रूपए में मिला करते हैं और बाज़ार भाव इसका ४० -५० रूपए है |



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शार्की और मुग़ल समय के बने कुछ प्रसिद्ध जौनपुर के इमाम बाड़े |

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आदि गंगा गोमती के पावन तट पर बसा जौनपुर भारत के इतिहास में अपना विषेष स्थान रखता है। जौनपुर एक दशक तक शार्की राज की राजधानी रहा है और उस समय यह खूब फुला फला | इतिहास के जानकार मानते हैं की शार्की समय के पहले भी यह बोद्ध धर्म के लोगों का एक बड़ा व्यापार केंद्र जौनपुर हुआ करता था |

जौनपुर में चारों तरफ आपको शार्की ,मुग़ल और तुगलक के समय के किले, मस्जिद, शाही पुल, महलात, और क़ब्रों पे बने रौज़े देखने को मिलेंगे जिनमे से बहुत ऐसे भी हैं जिनका अब नाम ओ निशान नहीं रहा और बहुत से ऐसे भी हैं जो अब खंडहर की शक्ल ले चुके हैं और ख़त्म होने की कगार पे हैं | जौनपुर की इस बर्बादी का अधिक ज़िम्मेदार इब्राहीम लोधी था जिसने इस शानदार जौनपुर को खंडहर में बड़ा दिया | इसे भारतवर्ष का मध्युगीन पेरिस तक कहा गया है और शिराज-ए-हिन्द होने का गौरव भी प्राप्त हैं।

यहाँ इन किलों और मस्जिदों के साथ साथ आपको शार्की और मुग़ल समय के बने कुछ धार्मिक स्थल भी मिलेंगे जिनके बारे में अक्सर पर्यटकों को जानकारी नहीं होती | इन्ही इमारतों में इमाम हुसैन (अ.स) की शान में बने ख़ूबसूरत इमामबाड़े जौनपुर में देखने को मिलते हैं | जिनमे से ख़ास हैं इमाम पुर अ इमामबाडा, हमजा पुर का इमामबाड़ा , शाह का पंजा इत्यादि जो की देखने लायक है |




यह इमामबाड़े पर्यटकों की नज़र में नहीं आते क्यूँ की लोग इनके बारे में नहीं जानते | जिस प्रकार से मस्जिद अल्लाह की इबादत की जगह है उसे प्रकार से इमामबाड़े भी इबादत की जगह है जहां हम अल्लाह के चुने  हुए इमामो के बारे में पूरी दुनिया को बताते हैं और उनकी क़ुरबानी और मकसद ,और उनके द्वारा दिए गए इंसानियत के पैग़ाम को लोगों पहुंचाते हैं|

इमामबाडा कर्बला में मौजूद हजरत इमाम हुसैन (अ.स) के रौज़े की छवि, छाया, नकल या शबीह है |ताजिया इमाम हुसैन (अ.स) की कब्र की और ‘अलम’ इमाम हुसैन (अ.स) के भाई हजरत अब्बास जो उनके सेनापति भी थे उनके झंडे की छाया या शबीह है |जब यजीद जैसे ज़ालिम बादशाह ने इस्लाम धर्म के नाम पे दहशतगर्दी और ज़ुल्म का इस्लाम चलाया तो उस समय यह दो चेहरे वाले मुसलमान इतने ताक़तवर हो चुके थे की हजरत मुहम्मद (स.अ.व) के घर वालों पे ही हमला करने लगे थे और दुनिया में यह पैग़ाम जाने लगा था की इस्लाम जालिमों का धर्म है | ऐसे में वो मुसलमान जो हजरत मुहम्मद (स.अ.व) के घराने से और उनकी बेटी फातिमा (स.अ),नवासे इमाम हुसैन (अ.स) से मुहब्बत करते थे और जालिमाना इस्लाम से तंग आ चुके थे उन्होंने “आशूर खाना “ बनाया जहां दुनिया का हर इंसान चाहे वो किसी भी धर्म को हो आ जा सकता था और मुसलमानों से सीधे संपर्क कर सकता था | इसी आशूर खाने को बाद में इमाम बाड़ा या इमामबारगाह कहा जाने लगा | हिन्दुस्तान में आज भी इन इमामबाड़ो में हजारों हिन्दू आते हैं और इमाम हुसैन (अ.स) को श्रधांजलि अर्पित करते हैं |
शाह आलम के दौर का इमामबाडा पंजे शरीफ 
शार्की  समय का इमामबाडा इस्लाम का चौक 
शाह अलम के दौर का सदर इमामबाडा 
sharqi समय का इमामबाडा इमाम पुर 
शाह आलम के दौर का हमजा पुर



जौनपुर को और अपने भविष्य को सुन्दर बनाने के लिए अपने वोट का सही इस्तेमाल करें | एस एम् मासूम

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इलेक्शन आते ही नेताओं के वादे और अन्य पार्टियों पे दोषारोपण का काम शुरू हो जाता है औr उसके बाद शुरू होता है २५-५० सूत्रीय वादों का प्रोग्राम और आश्चर्य तो तब होता है की रूलिंग पार्टी जिसने पिछले कई सालो  सत्ता में रहने के बाद कुछ नहीं कर सकी फिर से उन्ही पुराने वादों को ले के चुनाव के मैदान में आ जाती है |


जौनपुर ने बहुत से बड़े बड़े नेता देश को दिए हैं लेकिन दुःख की बात यह है की जौनपुर को इन नेताओं ने बहुत अधिक कुछ नहीं दिया | कभी शार्की राज्य की राजधानी रहा जौनपुर आज अपना अस्तित्व बचाने के लिए लड़ रहा है और इतने सुदर पर्यटक स्थल होने के बाद भी इसे पर्यटक छेत्र घोषित नहीं करवाया जा सका या कह लें किसी नेता ने इसकी चिंता ही नहीं की | सडकें ,होटल ,ट्रेन और बस की काम चलाऊ सुविधाओं से अधिक जौनपुर कुछ नहीं पा सका | ऐसे पर्यटक कैसे यहाँ आयेंगे और कैसे 2-४ दिन रुकेंगे |

आज रोज़ी रोटी की तलाश में अपने खेतों को सूना करके पलायन करते यह नौजवान देख के दुःख होता है | 

अधिकतर इलेक्शन में होता यह है की लोग अपना अपना फायदा देख वोट देने जाया करते हैं या बहुत से लोग अधिक दुखी हो के वोट देने जाते ही नहीं | 

अभी भी समय है वोट देने के अपने अधिकार का सही इस्तेमाल करें और अपने फायदे से पहले अपने वतन जौनपुर की तरक्की के बारे में सोचें | जौनपुर की तरक्की आपकी तरक्की है इसबात को गाँठ बाँध लें और अपने वोट का उपयोगकरते हुए अपना भविष्य सुन्दर बनाएं |

एस एम् मासूम 

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मैहर देवी मंदिर का दो दिवसीय वार्षिक श्रृंगार महोत्सव

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  जौनपुर। नगर के परमानतपुर में स्थित श्री माँ शारदा शक्तिपीठ (मैहर देवी मंदिर) का दो दिवसीय वार्षिक श्रृंगार महोत्सव व विशाल भण्डारा में भव्य रंगारंग झाकियाँ व भजन-गायन से महोत्सव में आए भक्तों का मन मोह लिया। प्रातः काल से माता का श्रृंगार व पूजन कर प्रसाद वितरण प्रारभ्म हुआ तथा विशाल भण्डारा 1.30 बजे से देर रात तक चली। भारी संख्या में भक्तों ने माँ का प्रसाद ग्रहण किया। इस महोत्सव में मंदिर की साजो सज्जा में फूल-माला व बिजली के झालरों से सजाया जो आकर्षक का केन्द्र बना है।



4 मार्च को इलाहाबाद व जौनपुर से आये कलाकार सुमधुर भजनों गायिका व गायक रीता सिंह, कुसुमलता सोनकार, दुर्गा पाण्डेय, ओमी साहू, आशीष पाठक, मंशा गुरू, मनोज सोनी कब्बाजी, रमेश, आषीश चैबे, रमेश, सुनील विश्वजीत, शनि, पवन नत्य कला मंदिर से डब्बू यादव, पवन व भवर भवरा गु्रप के कलाकारों ने ब्रज की होली, कृष्ण राधा व सूदामा नृत्य और शिव विवाह, श्री हनुमान जी, श्री काली जी, श्री दुर्गा जी आदि देवी- देवताओं की झाकियाँ प्रस्तुत किया।

 संस्थापक पूर्वांचल वन्दनीय सन्त श्री राधेश्याम गुप्त जी महाराज के वर्षो की तपस्या से श्री मां शारदा शक्तिपीठ, जनपद जौनपुर में एक नये पहचान के रूप में वर्तमान व भविष्य में मंदिर अपने विकास की ओर अग्रसर है। इसी कारण जनपद जौनपुर ही नहीं पूर्वांचल के हजारों ऐसे संकटग्रस्त परिवार, पारिवारिक कलह, धनाभाव, असाध्य रोग, व्यापार क्षति एवं पुत्र प्राप्ति कामना को लेकर मां शारदा के मनोहर स्वरूप के सम्मुख खड़े होकर मां रानी का स्मरण कर कार्य पूर्ण होने की कामना करते हैं। माता रानी की कृपा से उनके भक्त संकट से मुक्ति पाते हैं। जिसके कारण शुभेच्छु भक्तजनों का ताता लगा हुआ है।



मां शारदा शक्तिपीठ के महंथ सूर्य प्रकाश जायसवाल ने कलाकरों को सम्मान दे कर उनकी प्रशंसा की। श्रृंगार महोत्सव एवं भण्डारे में शामिल होने वाले सभी भक्तजनों का आभार व्यक्त करते हुए कहा की आप पर माँ का आशीर्वाद हमेशा आप लोगों पर बनी रहे और कार्यक्रम के समापन पर आये सभी भक्तजनों से आग्रह किया कि हमारे सामने लोकतन्त्र का सबसे बड़ा त्योहार 8 मार्च को आने वाला है जिसमें आपसभी अपने कर्तव्यों का पालन करें वोट जरूर देने जायें।


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जानिये जौनपुर में विधानसभावार वोट प्रतिशत क्या रहा |

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विधानसभावार वोट प्रतिशत



364 बदलापुर                                58.53 प्रतिशत
365 शाहगंज                                 61.6 प्रतिशत
366 जौनपुर                                 55.89 प्रतिशत
367 मल्हनी                                59.38 प्रतिशत
368 मुंगराबादशाहपुर                  55.23 प्रतिशत
369 मछलीशहर                          58.59 प्रतिशत   
370 मड़ियाहूं                               60.30 प्रतिशत
371 जफराबाद                            62.60 प्रतिशत

372 केराकत                                56.21 प्रतिशत

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वोट देने के मामले में यूपी की जनता ने स्वर्णिम इतिहास रच दिया और तोडा आजादी के बाद का हर रिकॉर्ड |

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इस बार सातों चरण के चुनाव को मिलाकर यूपी में कुल 61.03 % वोट पड़े, जो इस चुनाव से पहले कभी नहीं हुआ |


इलेक्शन  कमीशन के मुताबिक यूपी चुनाव में…

पहला चरण- 64.2 % वोटिंगदूसरा चरण- 66.5 % वोटिंगतीसरा चरण- 61.16 % वोटिंगचौथा चरण- 61 % वोटिंगपांचवां चरण-57.4 % वोटिंगछठा चरण- 57.03 % वोटिंगसातवां चरण- 60.03 % वोटिंग


यानि सभी चरणों की वोटिंग का एवरेज निकाला जाए तो 61.03 फीसदी होता है. जो अब तक का सर्वाधिक है.


उत्तर प्रदेश में आजादी के बाद अब तक हुए चुनाव में वोट प्रतिशत…


साल 1951 – 38.01 %साल 1957 – 44.77 %साल 1962 – 51.44 %साल 1967 – 54.55 %साल 1969 – 54.06 %साल 1974 – 56.91 %साल 1977 – 46.41 %साल 1980 – 44.92 %साल 1985 – 45.64 %साल 1989 – 51.43 %साल 1991 – 48.51 %साल 1993 – 57.13 %साल 1996 – 55.73 %साल 2002 – 53.80 %साल 2007 – 45.96 % साल 2012 – 59.40 %



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पंजा ,साइकिल ,हाथी सब बन जायें एक दुसरे के साथी |

जौनपुर की संस्कृति में 'कौहड़ौरी अनुष्ठान' | डॉ अरविन्द मिश्रा

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जौनपुर की संस्कृति में 'कौहड़ौरी अनुष्ठान'

होली की आहट लिये फागुनी रीति-रिवाजों में हमारे यहां एक कौहड़ौरी अनुष्ठान भी पूरे उत्साह के साथ महिलायें मनाती हैं। कोहड़ौरी बोले तो बरी/बरियां या आंग्लभाषा में बोले तो स्पाइसी चंक्स (spicy chunks). विश्व भर में मसालों और उनके बहुतेरे मिश्रणों के लिए भारत की तूती बोलती है। कौहड़ौरी भी मसालों का एक मिश्रण है जिसकी लम्बे समय तक की उपयोगिता के लिए उसे खास पाक विधि से तैयार किया जाता है।
इनके बनाते समय महिलायें आत्मविभोर हो देवी गीत गाती हैं। पहले की सात बरियां देवी को समर्पित होती हैं। और इससे जुड़े सहन - असहन (शुभ अशुभ) की मान्यता भी घर घर में है। मतलब इसका बनना कहीं शुभकारी है तो कहीं अशुभ भी। पत्नी हिचक रहीं थीं, कुछ तो इससे जुड़े टिटिम्में (झंझट) के कारण मगर मेरे निरन्तर मनुहार के चलते आखिर मान ही गईं। और कौहड़ौरी आखिर बन ही गई है।एक साल तक के लिये सब्जी को खास फ्लेवर देने का इंतजाम।
उन्होंने हमारी ओर कौहड़ौरी से जुड़े एक प्रसिद्ध फागुनी गीत की भी याद दिलाई -
उचटल नींद सेजरिया हो हमरी कौहड़ौरी
उरद के दलिया धो धो पिसली तामे गरम मसाला हो
सात सुहागन काढ़े बैठी गांवईं मंगलचारा हो
हमरी कौहड़ौरी
इस समय कोहड़ौरी से घर गमगमा गया है, सुवासित सुगंध चारो ओर फैल रही है।
और हां जिस दिन कौहड़ौरी बनती है एक बोनस भी साथ में रहता है एक अद्भुत जायकेदार व्यंजन'रिकवच', सो उसका भी आनन्द लिया गया।
मित्रगण रेसिपी के लिए यहां शाम तक फिर लौंटे।
कोहड़ौरी बनाने की विधि
सामग्री
1-पेठा कोहड़ा (कुष्मान्ड, winter melon) से लगभग तीन सौ ग्राम गूदा कद्दूकस करें
2 - छिलके वाली उड़द की दाल 1 किलो
3-गरम मसाला, धनिया पाउडर, हींग, खड़ा मेथी
विधि
उड़द की दाल रात भर भिगो लें। सुबह धोकर छिलका थोड़ा निकालें थोड़ा रहने दें। बिना पानी के मिक्सी में पीस लें। भगोने में ढक कर रख लें। कद्दूकस किये कद्दू से पानी निचोड़ लें। अदरख हरा मिर्च कूट लें और गर्म मसाला धनिया पाऊडर हींग खड़ा मेथी और स्वादानुसार नमक सभी पीछे उर्द मिलाकर फेंट दें। अब चित्र के अनुसार छोटी कोहड़ौरी बना बना धूप में सूखने को डाल दें। इसे खोटना या काढ़ना कहते हैं।
रिकवच - ऊपर की थोड़ा पिसी दाल पहले ही अलग रखें। कड़ाही में मेथी का तड़का लगाये और अदरख लहसुन मिर्चा का पेस्ट और गर्म मसाला मिलायें। ढ़ेर सा पानी मिलाकर गरम करें। इसी खौलते पानी में हाथ से उर्द की पीठियां भी डालें। स्वादानुसार नमक डालें। 
कौहड़ौरी 

और हां जिस दिन कौहड़ौरी बनती है एक बोनस भी साथ में रहता है एक अद्भुत जायकेदार व्यंजन'रिकवच', सो उसका भी आनन्द लिया गया।

लेखकडॉ अरविन्द मिश्रा 
जौनपुर

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भाजपा प्रत्याशी डॉ 0 हरेंद्र प्रताप सिंह जफराबाद विधानसभा सीट से जीते |

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जौनपुर। जफराबाद विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी डॉ 0 हरेंद्र प्रताप सिंह जीत गए है। उन्होंने सपा को को 18806 वोटो के अंतर से जीत दर्ज किया है।












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मड़ियाहूं विधानसभा सीट पर अपना दल की लीना तिवारी विजयी |

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जौनपुर। मड़ियाहूं विधानसभा सीट पर अपना दल की लीना तिवारी ने जीत गयी है। उन्हे कुल 48 हजार 230 वोट मिला है। सपा प्रत्याशी श्रध्दा यादव को 40 हजार 121 वोट मिला है। बसपा के भोलानाथ शुक्ला को 30 हजार 635 वोट मिला है।











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शाहगंज विधानसभा सीट से शैलेंद्र यादव ललई ने अपनी जीत दर्ज की

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