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एपार जौनपुर-ओपार जौनपुर: उत्खनन की प्रतीक्षा में एक और स्थल.

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जौनपुर जिला मुख्यालय से करीब ४५ किलोमीटर की दूरी पर उत्तर -पश्चिम में खुटहन थानान्तर्गत स्थित गांव गढा-गोपालापुर अपने ऐतिहासिक अतीत को लेकर काफी समृद्ध रहा है.३५ एकड़ भूमि में एक विशाल टीले परस्थित यह गांव जनश्रुति के अनुसार कभी भर राजाओं की राजधानी था.स्थानीय लोग बताते हैं कि एक बार नदी इस पार और उस पर के राजाओं में हाथियों के नहलाने के सवाल पर विवाद हो गया,नदी उस पर का राजा ज्यादा शक्तिशाली था सो उसनें पूरी नदी के मुंह को ही मोड़ दिया .जो नदी पहले इस टीले से सट कर उत्तर से बहती थी उसकी धारा को दक्षिण से कर दिया गया जो कि आज भी दृष्टव्य है.बाढ़ के समय ही नदी अपनी पुरानी धारा और डगर पर आ पाती है.

इसी टीले में छुपे है कई ऐतिहासिक रहस्य



गोमती नदी की पुरानी डगर जो कि टीले से सट कर जाती थी

मौके पर आज भी ऐसा लगता भी है कि नदी की धारा मोड़ी गयी है ,वर्तमान में वह राजधानी नष्ट हो कर एक टीले के रूप में है जहाँ करीब पचास-साठ परिवारों का रहन-सहन स्थापित हो चुका है तथा वहां ऊपरी तौर से कुछ भी नहीं दीखता परन्तु दंत कथाओं में वह आज भी जीवित है ,जो आज भी उत्खनन की प्रतीक्षा है .इस सन्दर्भ में इस तथ्य का प्रगटीकरण करना समीचीन है कि समुद्रगुप्त के प्रयाग प्रशस्ति की २१ वीं लाइन में आटविक राजस्य शब्द मिलता है जिसे इतिहासकारों ने आटविक राज्य माना है .इतिहासकार फ्लीट और हेमचन्द्र राय चौधरी ने इन्हें जंगली राज्य मानते हुए इसकी सीमा उत्तर में गाजीपुर (आलवक) से लेकर जबलपुर (दभाल) तक माना है .संक्षोभ में खोह ताम्रलेख (गुप्त संवत २०९ -५२९ AD ) से भी ज्ञात होता है कि उसके पूर्वज दभाल ( जबलपुर ) के महाराज हस्तिन के अधिकार-क्षेत्र में १८ जंगली राज्य सम्मिलित थे .ऐसा प्रतीत होता है कि प्रयाग प्रशस्ति में इन्ही जंगली राज्यों की ओर संकेत किया गया है ,जिसे समुद्रगुप्त ने विजित किया था .इस सम्भावना को माना जा सकता है कि जौनपुर भी कभी इन जंगली राज्यों के अधीन रहा हो तथा संभव है कि यह भी तत्कालीन समय में भरों या अन्य जंगल में रहने वाली बनवासी जातियों के भोग का साधन बना हो.इस तथ्य के प्रगटी करण के नजरिये से भी गढ़ा-गोपालपुर में पुरातात्विक उत्खनन ,जौनपुर के प्राचीन ऐतिहासिक स्वरुप को और भी समृद्ध करेगा.


जौनपुर वालों "अबकी बार वोट किसे "

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वोट करेगा जौनपुर |
एलक्शन आते ही आज नेताओं का  सत्ता की लालच में पार्टियों से  जुड़ना और टूटना देखते हुए आम आदमी यह अवश्य एक बार सोंचता है की अबकी बार वोट किसे ? 

कभी आम आदमी अपनी जान पहचान के नेता को वोट दे  देता है तो कभी  किसी  एक पार्टी का वर्षों से वफादार होने की बात ध्यान में रखते हुए बिना यह देखे कि उस पार्टी का आपके यहाँ नेता  कैसा है वोट दे दिया करता है और नतीजा यह होता है की आपका शहर तरक्की की आशा में हर बार नयी पार्टी की तरफ देखता है क्यूँ की नेता वोट ले के जौनपुर की तरक्की को भूल जाता है और अपनी तरक्की या अपने कुछ सहयोगियों को ही फायदा पहुँचाने तक सीमित रहता है | 

आज आवश्यकता है जौनपुर वासियों को यह समझने की की जब जौनपुर तरक्की करेगा तभी आप की तरक्की होगी आपके बच्चों का भविष्य सुनहरा होगा इसलिए इस बार वोट जौनपुर की तरक्की के नाम पे दें जिस से आने वाले साल जौनपुर के सुनहरे साल हों | 

और केवल इतना ही नहीं हमारे नेताओं को यह बात समझ में आ जाय की जो करेगा जौनपुर की तरक्की वही रहेगा सत्ता में क्यूँ की वही होगा जौनपुर की जनता की पहली पसंद |  




इसलिए 

"जौनपुर वासियों अबकी बार वोट उसे  " 

१. जो जौनपुर को पर्यटक छेत्र  घोषित करवाय |  
2. जो यहाँ गोमती किनारे सुंदर घाट बनवाय और  पूरे शहर में सुन्दर गार्डन बनवाय |
३. जो यहाँ की सडको की हालत और पर्यटक स्थलों की हालत को सुधारे जिस से पर्यटक एक बार आ जाय तो बार बार आय |
४. जो यहाँ इंडस्ट्री खुलवाय जिस से रोज़गार के अवसर बढें |
५. जो जौनपुर को ऐसी मेडिकल सुविधा दिलवाय जिस से यहाँ के लोगों को बड़े शहरों की तरफ इलाज के लिए ना जाना हो |
6. जो यहाँ के रेलवे स्टेशन पे ट्रेन रुकने के समय को बढवाए  और अधिक ट्रेन चलवाय |
7. जो यहाँ प्रदुषण मुक्त पानी दिलवाय |
८. जो यहाँ के सरकारी दफ्तरों को भ्रष्टाचार मुक्त करवाय |

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पांचो शिवाला पानदरीबा जौनपुर दीवान काशी नरेश बन्धुलाल के बनवाया था|

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पांचो शिवाला , पानदरीबा जौनपुर 



यह मंदिर जौनपुर के पानदरीबा मोहल्ले में स्थित है जिसे दीवान काशी नरेश बन्धुलाल के बनवाया था । ये पहले वहाँ पे उप दीवान थे फिर जब  राजा चेट सिंह ने रियासत संभाली तो इन्हे दीवान बना दिया ।इन्होने दीवान रहते समय प्रचुर धन एकत्रित किया और जौनपुर के पुरानी बाजार इलाक़े में कुछ भवन और एक शिवाला बनवाया जिसमे से आज केवल शिवाला बचा है |

इस शिवाले में पांच गुम्बद नुमा मंदिर बने हैं जो इस प्रकार से है की एक मुख्या मंदिर बीच में और किनारे चार कोनो पे अन्य चार मंदिर हैं | यहाँ की देख रेखा करने वाले तो पुराने लोग हैं लेकिन पुजारी पुराने नहीं है| आज कल इस मंदिर में स्कूल चला करता है और समय समय पे मंदिर में पूजा पाठ भी होती है | जहां तक मेरा अनुभव है यह जौनपुर का सबसे बड़ा शिव मंदिर है जिसे पानदरीबा इलाके में पहुँचते ही ऊंची गुम्बद से पहचान जा सकता है |




आज जा पहुचा ऋषि दुर्वासा के आश्रम मे आशिर्वाद लेने --एस एम मासूम

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आज आजमगढ के एक गांव खुरासो से दो किलो मीटर और फूलपूर गांव से ६ किलोमीटर दूर गांव मे दुर्वासा ऋषि के आश्रम आशीर्वाद लेने जा पहुंचा | वहा उस महंत से बातचीत और ज्ञान प्राप्त किया जिसके वंशज पिछली ६ पीढीयो से दुर्वासा ऋषि के मंदिर की सेवा कर रहे है | ऐतिहासिक द़ष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण था। यह जिला माऊ, गोरखपुर, गाजीपुर, जौनपुर, सुल्तानपुर और अम्बेडकर जिले की सीमा से लगा हुआ है। पर्यटन की द़ष्टि से महाराजगंज, दुर्वासा, मुबारकपुर, मेहनगर, भवरनाथ मंदिर और अवन्तिकापुरी आदि विशेष रूप से प्रसिद्ध है।



ऋषि मुनियों की परंपरा में दुर्वासा ऋषि का अग्रीण स्थान रहा है ऋषि दुर्वासा सतयुग, त्रैता एवं द्वापर युगों के एक प्रसिद्ध सिद्ध योगी महर्षि माने गए हैं हिंदुओं के एक महान ऋषि हैं जो अपने क्रोध के लिए जाने जाते रहे ऋषि दुर्वासा को भगवान शिव का अवतार माना जाता है |

किसी समय मे ये इलाक़ा जौनपुर का हिस्सा था जो आज आजमगढ मे चला गया | जौनपुर एक ऐसा शहर है जिसे ऋषि मुनियो की तप स्थली भी कहा जाता है |


 महर्षि अत्रि जी सृष्टिकर्ता ब्रह्माजी के मानस पुत्र थे। उनकी पत्नी अनसूयाजी के पातिव्रत धर्म की परीक्षा लेने हेतु ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही पत्‍ि‌नयों के अनुरोध पर श्री अत्री और अनसूयाजी के चित्रकुट स्थित आश्रम में शिशु रूप में उपस्थित हुए। ब्रह्मा जी चंद्रमा के रूप में, विष्णु दत्तात्रेय के रूप में और महेश दुर्वासा के रूप में उपस्थित हुए। बाद में देव पत्नियों के अनुरोध पर अनसूयाजी ने कहा कि इस वर्तमान स्वरूप में वे पुत्रों के रूप में मेरे पास ही रहेंगे। साथ ही अपने पूर्ण स्वरूप में अवस्थित होकर आप तीनों अपने-अपने धाम में भी विराजमान रहेंगे। यह कथा सतयुग के प्रारम्भ की है। पुराणों और महाभारत में इसका विशद वर्णन है। दुर्वासा जी कुछ बडे हुए, माता-पिता से आदेश लेकर वे अन्न जल का त्याग कर कठोर तपस्या करने लगे। विशेषत: यम-नियम, आसन, प्राणायाम, ध्यान-धारणा आदि अष्टांग योग का अवलम्बन कर वे ऐसी सिद्ध अवस्था में पहुंचे कि उनको बहुत सी योग-सिद्धियां प्राप्त हो गई। अब वे सिद्ध योगी के रूप में विख्यात हो गए।

तत्पश्चात् मझुई  व तमसा नदी किनारे इसी स्थल पर उन्होंने एक आश्रम का निर्माण किया और यहीं पर रहकर आवश्यकता के अनुसार बीच-बीच में भ्रमण भी किया।

 प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। हजारों की संख्या में विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करने यहां आया करते थे।





पूर्व मंत्री दीपचन्द सोनकर को मिला उत्तर प्रदेश राज्य कार्यकारिणी में सचिव पद|

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जौनपुर।समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने पूर्व मंत्री दीपचन्द सोनकर को उत्तर प्रदेश राज्य कार्यकारिणी में सचिव पद पर मनोनीत किया है। मालूम हो कि श्री सोनकर वर्ष 1985 में शाहगंज सुरक्षित विधानसभा सीट से बीकेडी से विधायक चुने गये
थे। इसके बाद वर्ष 1989 में इसी सीट से वे जनता दल से चुनाव जीत करके विधानसभा पहुंचे जहां सरकार बनने उन्हें उन्हें श्रम मंत्री बनाया गया था।
उसके बाद समाजवादी पार्टी का जन्म होने पर वे इसी पार्टी में रहे। उनकी कर्मठता व पार्टी के प्रति समर्पण को देखते हुये पार्टी हाईकमान ने उन्हें प्रदेश सचिव से जैसे पद का दायित्व सौंपा। इधर जानकारी होने पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व चेयरमैन प्रो. बाबू राम बिन्द, पूर्व विधायक ज्वाला प्रसाद यादव, शाहगंज नगर पालिका अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह, जिलाध्यक्ष राज नारायण बिन्द, सुशील दूबे, राम प्रसाद गुप्ता, बृजेश कुमार, अरविन्द गुप्ता, इन्द्रजीत मौर्य, सतीश कुमार, त्रिभुवन यादव सहित तमाम पार्टीजनों व शुभचिंतकों ने श्री सोनकर को बधाई दी है।  



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कीर्तिलता से जानिये शार्की समय का जौनपुर कैसा था |

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कीर्तिलता में पुराने जौनपुर के रमणीक दृश्यों का वर्णन|

विद्यापति का कीर्तिलता में जौनपुर कर रमणीक दृश्यों का वर्णन एक बार अवश्य पढ़ें ।चौदहवीं शताब्दी के जौनपुर को विद्यापति कुछ इस प्रकार देखते है ।


 "जूनापुर नामक यह नगर आँखों का प्यारा तथा धन दौलत का भण्डार था । देखने में सुन्दर तथा प्रत्येक दृष्टिकोण से सुसज्जित था । कुओं और तालाबों का बाहुल्य था । पथ्थरों का फर्श ,पानी निकलने की भीतरी नालिया ,कृषि , फल  फूल और पत्तों से हरी भरी लहलहाती हुयी आम और जामुन के पेड़ों की अवलियाँ ,भौंरो की गूँज मन को मोह लेती थीं । 

गगनचुम्बी और मज़बूत भवन थे । रास्ते में ऐसी ऐसी गालियां थीं की बड़े बड़े लोग रुक जाते थे । चमकदार लम्बे लम्बे स्वर्ण कलश मूर्तियों से सुसज्जित सैकड़ो शिवाले दिखते थे । कँवल के पत्तों जैसे बड़ी बड़ी आँखों वाली स्त्रियां जिन्हे पवन स्पर्श कर रहा था मौजूद थी ,जिनके लम्बे केश उत्तरी ध्रुव से बातें कर रहे थे । उनके नेत्रों में लगा हुआ काजल ऐसा दीख पड़ता था मानो चन्द्रमा के अंदर एक दाग़ है ।


पान का बाजार ,नान बाई की दूकान ,मछली बाजार ,और व्यवसाय में व्यस्त लोग ऐसा लगता था हर समय एक जान समूह उमड़ा रहता था । "……।  कीर्तिलता 

इस नगर की आबादी बहुत घनी थी । लाखों घोड़े और सहस्त्रो हाथी हर समाज मजूद रहते थे । दोनों ओर सोने ,चांदी की दुकाने थी । उस समय सम्पूर्ण आबादी सिपाह, चचकपुर ,पुरानी बाजार ,लाल दरवाज़ा,  पान दरीबा,
तथा प्रेमराज पूर आदि मुहल्लों में सिमटी हुयी थॆ। व्यावसायी लोग जौनपुर की ख्याति और इब्राहिम शाह के स्वागत से इतने अधिक प्रभावित  थे की अपना सामान यहां बेचने आया करते थे ।



अटाला मस्जिद से क़िला होते हुए सिपाह तक सेनाएं रहती थी । अटाला मस्जिद के क़रीब ढाल तथा तलवारें बनती थी जो दुनिया भर में प्रसिद्ध थी । इसी लिए यह मोहल्ला ढालघर टोले के नाम से प्रसिद्ध हो गया ।

कीर्तिलता में विद्यापति  ने बाजार और खरीददारी का वर्णन भी इस प्रकार   किया है ।

"दोपहर की भीड़ को देख कर यही ज्ञात होता था की यहां सम्पूर्ण दुनिया की वस्तुएं यहां बिकने के लिए आ गयीं हैं । मनुष्यों का सर परस्पर टकराता था और एक का तिलक छूट दुसरे के  लग जाता था । रास्ता चलने में महिलाओं की चूड़ियाँ टूट जाती थीं ।लोगों की भीड़   देख ऐसा आभास होता था जैसे समुन्दर उमड़  पड़ा हो । बेचने वाले जो  भी सामान लाते सेकंडो में बिक जाता था । 
ब्राह्मण , कायस्थ , राजपूत, तथा अन्य बहुत सी जातियां ठसा ठस भरी रहती और सभी सज्जन और धनी  थे । 

इब्राहिम शाह अपने महल के ऊपरी भाग में रहता था ।अपने घर आये हुए अथितियों के देख प्रसन्न होता था । "……।  कीर्तिलता


इसी  प्रकार बहुत  से बाजार थे । शाही महल, खास हौज़, के समीप अमीरो के विराट गगन चुम्बी भवन थे । उस काल में सभी प्रसन्न और संपन्न थे । इब्राहिम शाह के समय में यह सब देख के लोग सुख का आभास करते थे । जौनपुर में प्रत्येक स्थान  पे लोगो के ठहरने और खाने का इंतज़ाम था ।

 कीर्तिलता में विद्यापति इब्राहिम शाह की सेना का सुंदर चित्रण किया है । 

"सेना की संख्या कौन जाने । सैनिक पृथ्वी पे इस तरह बिखरे हुए थे जैसे कमल का फूल तालाब में बिखरा हुआ हो । सारांश ये की बादशाही फ़ौज ने प्रस्थान का नक्कारा बजा दिया । सुलतान इब्राहिम शाह की सेना बादशाह के साथ रवाना हुयी । भय के कारण पर्वत अपना स्थान छोड़ने लगे ,पृथ्वी में कम्पन होने लगा ,सूर्या धुल कणो  में चुप गया । प्रत्येक ओर से युद्ध के नगाड़े बजने लगे ,ऐसा लगता था मानो प्रलय आ गयी हो । सेना ने पैदल चल के नदी का पानी सुखा दितथा या । "……।  कीर्तिलता 

 शार्की सेना में   ब्राहम्मण और राजपूत बहुत थे और बादशाह के न्याय से सभी प्रसन्न थे । 

शार्की बादशाह ने संगीत का भी संरछण किया । उनका दरबार कवियों और कलाकारों से सदैव भरा रहता था । हुसैन शाह के समय में जौनपुर संगीत का केंद्र बन गया जिसका नायक स्वम बादशाह था । हुसैन शाह ने अनेक राग तथा ख्याल का आविष्कार किया । शर्क़ी काल में काव्य साहित्य ,संगीत तथा सुलेख कला में जौनपुर का अपना एक महत्व था । 

शाजहाँ इसे बड़े गौरव से शीराज़ ऐ हिन्द कहा करता था लेकिन आज इस जौनपुर का प्राचीन वैभव बिलकुल नष्ट को के रह गया है । इसमें कोई संदेह नहीं की जौनपुर अपने विद्या भंडारों को, अपनी धरोहरो को बचाने में नाकाम  रहा है । आज  आवश्यकता है इस  धरोहरों को संरछित करनी की और इसे प्रयटको के आने योग्य   बनाने की  । 

लेखक और  सर्वाधिकार सुरछित ---एस .एम मासूम

जिला निर्वाचन अधिकारी श्री भानु चन्द्र गोस्वामी की अध्यक्षता मे मतदाता जागरूकता कार्यक्रम |

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वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्व विधालय मे मतदाता जागरूकता कार्यक्रम जिला निर्वाचन अधिकारी श्री भानु चन्द्र गोस्वामी की अध्यक्षता मे आयोजित हुआ मुख्य अतिथि प्रो पीयूष रंजन अग्रवाल,  कुलपति, विशिष्ट अतिथि श्री अतुल सक्सेना पुलिस अधीक्षक रहे।


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भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार रवि किशन BJP में हुए शामिल |

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जी हाँ इसे को राजनीति कहते हैं | 2014 का लोकसभा चुनाव  कांग्रेस के टिकट से जौनपुर सीट से लड़ने वाले  रवि किशन भाजपा में शामिल होंगे | रवि किशन के  भाजपा में शामिल होने के बारे में दिल्ली से सांसद और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने अपने ट्वीट में बताया और जल्द ही अखबार वालोंके पोर्टल पे खबर बन गया |

ख़बरों के अनुसार चर्चित भोजपुरी अभिनेता रवि किशन रविवार को भाजपा में शामिल होंगे । हिंदी व भोजपुरी की फिल्मों में चर्चित चेहरा रहे रवि किशन ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में दिल्ली में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।

इसके पहले रवि किशन ने कांग्रेस पार्टी भी ज्वाइन की थी. 2014 का लोकसभा चुनाव वो कांग्रेस के टिकट पर जौनपुर सीट से लड़े थे

चलिए कुछ देर  मनोज तिवारी जी के साथ करें मनोरंजन |

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न्यायिक अधिकारी और चिकित्सकों के बीच क्रिकेट प्रतियोगिता मतदाताओं को जागरूक करने के लिए |

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D>M>Jaunpur
जौनपुर।  आज प्रातः 9 बजे टी.डी. कालेज के ग्राउड में मतदाता जागरुकता के अन्तर्गत न्यायिक अधिकारी बनाम चिकित्सकों के बीच क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें जिला जज नन्दलाल एवं डा0 आइ.एम.ए के अध्यक्ष डा0एच.डी सिहं के बीच टास किया गया । जजेज टीम ने टास जीता।जिला जज ने आइ.एम.ए टीम को बैटिगं करने का मौका दिया। आइ.एम.ए टीम ने 15 ओवर में 105 रन का लक्ष्य दिया इसके बाद जजेज टीम ने 13.4ओवर में 3 विकेट खोकर ही लक्ष्य को प्राप्त कर जीत हासिल किया।बेस्ट बालर सी जे एम अभिनव मिश्र,बेस्ट बैटसमैन एडीजे सुनील कुमार,बेस्ट फील्डर वाइ पी सिहं एसीजेएम रहे। मतदाता जागरूकता के लिए सभी खिलाडियों ने जनपद वासियों से शत प्रतिशत मतदान करने की अपील किया। जिलाधिकारी भानुचन्द्र गोस्वामी एवं पुलिस अधीक्षक अतुल सक्सेना ने विजेता एवं उपविजेता टीम को शील्ड प्रदान किया ।प्रारम्भ में जिलाधिकारी ने बल्लेबाजी एवं पुलिस अधीक्षक ने गेदबाजी किया।मैच की कमेन्ट्री डा0 एस.एन वर्मा,सलमान शेख ,अम्पायरिगं डा0 जितंेन्द्र सिहं ने किया ।इस अवसर पर आइ.एम.ए के अध्यक्ष डा0 एन के सिहं,सचिव डा0 ए.ए.जाफरी,डा0मनमोहन सिहं,डा0 अजीत कपूर,डा0 बी.एस उपाध्याय, डा0 राकेश सिहं,डा0ए.के सिहं,डा0 शुधान्सु टन्डन,डा0 अभिषेक सिहं के अलावा न्यायिक अधिकारी गण भी उपस्थित रहें। विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव राजीव कुमार पालीवाल ने विधिक सेवा प्राधिकरण के बारे में लोगो को जानकारी दिया तथा 8 मार्च 2017 को अधिक से अधिक मतदान करने के लिए अपील किया 

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जौनपुर के बल्लोच टोला की मकबरों का रहस्य खोलता ये फौजदार जमाल खान का मकबरा |

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जौनपुर तो वैसे भी  मकबरों और क़ब्रों का शहर है | जिधर देखिये मकबरे और कब्रें बनी पड़ी हैं जिनका इतिहास अब  बहुत की कम लोगों को मालूम है | हाँ यह अवश्य यहाँ के लोग जानते हैं की यह कब्रें ,मकबरें शार्क़ि  समय की या तुगलक और लोधी परिवार की होती है| जौनपुर के सिपाह मोहल्ले के पास  एक इलाका है बल्लोच टोला जहां आपको अनगिनत कब्रें और मकबरे मिल जायेंगे | जिनके बारे में आप अगले लेख में बताया जाएगा |

इनमे से एक मकबरा है लोधी समय के जौनपुर के फौजदार जमाल  खान का  जो अफगानिस्तान से हिन्दुस्तान आया और सिकंदर लोधी के बेटे जलाल के टीचर बने बाद में सुलतान बर्बख्श ने शाज़दा जलाल को जौनपुर का हाकिम बना दिया और उसके अपने टीचर जमाल खान को जौनपुर का फौजदार बनाया और बाद में वज़ीरों में शामिल कर लिया |

जमाल खान इब्राहीम लोधी के समय में मारे गए और शहजादा जलाल फरार हो गया | जमाल खान का मकबरा आज भी जौनपुर के बल्लोच टोला में हैं जिसकी हालत बदहाल है और कभी भी खंडहर में बदल सकता है |

जौनपुर के फौजदार जमाल  खान का मकबरा सिपाह-बल्लोच टोला






जौनपुर में बहती उस गोमती की दुखद कहानी जहां करते थे कभी ऋषि मुनि तपस्या |

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जौनपुर शहर गोमती नदी के किनारे बसा एक सुंदर शहर है जो अपना एक वि‍शि‍ष्‍ट ऐति‍हासि‍क, धार्मिक  एवं राजनैति‍क अस्‍ति‍त्‍व रखता है| यहाँ पे गोमती नदी की सुन्दरता आज भी देखते ही बनती है और आज भी इसके शांतिमय  तट लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं |कभी यह तट तपस्‍वी, ऋषि‍यों एवं महाऋषि‍यों के चि‍न्‍तन व मनन का एक प्रमुख  स्‍थल हुआ करता था था। इसी कारण से आज भी गोमती किनारे यहाँ बहुत से मंदिर देखे जा सकते हैं जहां जा के शांति का एहसास हुआ करता है | यहीं महर्षि‍ यमदग्‍नि‍ अपने पुत्र परशुराम के साथ रहा करते थे |बौध सभ्यता से ले कर रघुवंशी क्षत्रि‍यों वत्‍सगोत्री, दुर्गवंशी तथा व्‍यास क्षत्रि‍य,भरो एवं सोइरि‍यों का यहाँ राज रहा है | कन्नौज से राजा  जयचंद जब यहाँ आया तो गोमती नदी की सुन्दरता से मोहित हो के उसने यहाँ अपना एक महल जाफराबाद जौनपुर में नदी किनारे बनाया जिसके खंडहर आज भी मौजूद हैं |
Beauty of Gomti  and view of Mandirs

गोमती नदी का उद्गम पीलीभीत जनपद के माधोटान्डा कसबे में होता है| "पन्गैली फुल्हर ताल"या "गोमत ताल" इस नदी का स्रोत्र है | इस ताल से यह नदी मात्र एक पतली धारा की तरह बहती है। इसके उपरान्त लगभग २० कि.मी. के सफ़र के बाद इससे एक सहायक नदी "गैहाई"मिलती है। लगभग १०० कि. मी. के सफ़र के पश्चात यह लखीमपुर खीरी जनपद की मोहम्मदी खीरी तहसील पहुँचती है जहां इसमें सहायक नदियाँ जैसे सुखेता, छोहा तथा आंध्र छोहा मिलती हैं और इसके बाद यह एक पूर्ण नदी का रूप ले लेती है। गोमती नदी की लंबाई उद्गम से लेकर गंगा में समावेश तक लगभग ९०० कि.मी. है। इसके जलग्रहण क्षेत्र में स्थित 15 शहर में से सबसे प्रमुख हैं लखनऊ, सुल्तानपुर तथा जौनपुर प्रमुख हैं। नदी जौनपुर शहर को दो बराबर भागों मे विभाजित करती है और जौनपुर में व्यापक हो जाती है।
Beauty of Gomti at Jaunpur

जौनपुर में तो गोमती नदी बेहद प्रदूषित है। इसका पानी तो सई नदी से भी खराब है।जौनपुर जिले के 80 किलोमीटर इलाके में गोमती अपना सफर तय करती है। इस दौरान यहां पर ये नदी इतनी गंदी हो जाती है कि वाराणसी के सैदपुर में गंगा में मिलने से पहले ये गंगा के लिए ही खतरा बनते जा रही है। जौनपुर में मौजूद रबड़ और बैटरी की कई छोटी-बड़ी कंपनियों का कचरा हो या शहर से निकलने वाले गंदे नाले सभी गोमती में मिलते हैं।
Gomti ki Sundarta aur aas paas ka pradushan

वर्षो से सुनता आ रहा हूँ की गोमती का पानी प्रदूषित है और इसी के साथ साथ  ना जाने कितनी संस्थाएं आयी ना जाने कितने शोध हुए , सरकार की तरफ से आश्वासन दिया गया लेकिन वर्षों से इसे प्रदूषित किया जा रहा है जिसपे आज तक कोई रोक नहीं लग सकी है और ना ही इसके प्रदूषण को ख़त्म करने का कोई सार्थक प्रयास ही हो रहा है |

आज भी जौनपुर में गोमती नदी का प्रवाह बहुत अधिक है और सुन्दरता देखते ही बनती  है बस आवश्यकता है किसी इमानदार प्रयास की और इसके किनारे घाट बनवा के पर्यटकों को आकर्षित करने की और तब देखिये कैसे यह गोमती आपकी प्यास के साथ साथ मानसिक शांति प्रदान करती है |

इस वीडियो में देखिये कैसे यह सुंदर गोमती प्रदूषित हुयी ?




जौनपुर के मशहूर इत्र का ज़िक्र विध्यापति की अपभ्रंश काव्य रचना में भी हुआ है|

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जौनपुर शहर  के इत्र की खुशबू पूरे तो भारत मशहूर थी |


जौनपुर कभी "शिराज़-ए-हिंद"के नाम से मशहूर था, और इसके  इत्र की खुशबू पूरे तो भारत मशहूर थी | लेकिन अब लचर बिजली व्यवस्था ,टूटी सड़कें और अनियंत्रित यातायात इसकी पहचान है | इस वर्ष जौनपुर जाने पे मुझे लगा कि यहाँ के कुछ इलाके अब तरक्की कि राह पे चल पड़े हैं | लेकिन इस तरक्की को देख के भी दुःख हुआ कि यहाँ के लोग अब अपनी पहचान भी खोते जा रहे हैं |

जौनपुर का मशहूर इत्र जिसका ज़िक्र विध्यापति की अपभ्रंश काव्य रचना में भी हुआ है | जौनपुर कोतवाली के पास कि नवाब युसूफ रोड जो कभी हमेशा इत्र कि खुशबु से महका करती थी आज सुनसान दिखती है | इक्का दुक्का इत्र कि दुकानें अभी भी दिख जाया करती है |

इस बार नवाब युसूफ रोड पे स्थित इत्र की  एक दूकान पे पहुँच और वहाँ पे बैठे जनाब ज़कारिया साहब से इत्र और चमेली के तेल के बारे में जानकारी हासिल की | ज़कारिया साहब का कहना है कि असली इत्र अब बहुत मंहगा होता जा रहा है इसलिए अब वो बनाया भी कम जाता है लेकिन बहार के मुल्कों में इसकी आज भी खपत अच्छी है |


आप भी लें  जनाब ज़कारिया साहब से जौनपुर के इत्र और चमेली के तेल के बारे में कुछ जानकारी |

जफराबाद सीट से कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व मंत्री जगदीश नारायण राय ने अपना नामाकंन लिया वापिस |

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जौनपुर। जफराबाद सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल करने वाले पूर्व मंत्री जगदीश नारायण राय ने आज अपना नामाकंन पत्र वापस ले लिया है।  मालूम हो कि इस सीट पर बीते 15 फरवारी को सपा विधायक सचिन्द्रनाथ त्रिपाठी ने साईकिल चुनाव निशान से अपना नामाकंन किया था। उसके बाद नामाकंन के अंतिम दिन कांग्रेस ने इस सीट पर पूर्व मंत्री जगदीश नारायण राय को अपना प्रत्याशी घोषित किया था। उनका सिम्बल हेलीकाप्टर द्वारा प्रदेश उपाध्यक्ष सिराज मेंहदी के हाथो जौनपुर भेजा था। सिम्बल मिलने के बाद जगदीश राय ने नामाकंन किया था।






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लखनऊ ब्लॉगर अस्सोसिअशन के अध्यक्ष सलीम खान की एस एम् मासूम से बात चीत |

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जौनपुर सिटी -हमारा जौनपुर के संचालक ,लखनऊ ब्लॉगर अस्सोसिअशन के उपाध्यक्ष और जौनपुर  ब्लॉगर अस्सोसिअशन के संयोजक , सोशल मीडिया के गहरे जानकार श्री एस एम् मासूम जी  से कुछ सवाल और उनके जवाबात |--सलीम खान  ( अध्यक्ष  लखनऊ ब्लॉगर अस्सोसिअशन) ( Interview taken 2011)


सवाल-1 सलीम खान --अपने बारे में कुछ बताएं, मसलन बचपन, पढाई और किशोरावस्था के बारे में?

जवाब एस एम् मासूम :-मेरा जन्म उत्तेर प्रदेश के जौनपुर शहर मैं  २६ अगस्त  १९६१  को जौनपुर के मशहूर  ज़मींदार ज़ुल्क़दर बहादुर नासिर अली के परिवार मैं हुआ | पिताजी रेलवे मैं इंजीनिअर थे और लिखने पढने मैं बहुत रूचि  रखते थे. बचपन मज़े मैं बीता, पढना लिखना और समाज सेवा करना इसी मैं  समय गुज़र जाता था |  मैं ना तो कोई साहित्यकार हूँ और ना ही बनना चाहता हूँ. बस सामाजिक सरोकारों से जुड़ के समाज के लिए कुछ करता रहता हूँ | यही कारण है कि इस ब्लोगिंग मैं भी शोहरत के सस्ते हथकंडों से दूर रहता हूँ और ज़मीनी स्तर पे काम करने मैं अधिक रूचि रखता हूँ|

सवाल  -2 आप ने अपनी शिक्षा कहाँ से प्राप्त कि?

मैंने अपना पढ़ाई  का ज़माना लखनऊ और वाराणसी मैं गुज़ारा और विज्ञानं से स्नातक कि डिग्री लखनऊ विश्वविद्यालय से ली, कंप्यूटर,इन्टरनेट,वेबसाइट,हार्डवेयर ,सॉफ्टवेयर, इत्यादि का ज्ञान  स्वम  प्राप्त किया| 

सवाल-3--आपका व्यवसाय क्या है?

मैं बैंक में मेनेजर था २७ वर्ष काम करने के बाद इस नौकरी से मन ऊब गया और खुद का बिज़नस शुरू कर दिया | पत्रकारिता और सोशल मीडिया से भी जुड़ा हूँ लेकिन इसका इस्तेमाल सामाजिक सरोकारों से जुड़ के समाज की उन्नति के लिए करता हूँ |

सवाल--4-बचपन का कोई ऐसा क़िस्सा जो आज भी आपने ज़ेहन में कौंधता रहता है?

जी हाँ एक दोस्त कि याद नहीं जाती दिल से. मैं उस समय नवी मैं लखनऊ के जुबली कॉलेज मैं था और मेरा एक मित्र था पंकज रस्तोगी. हम दोनों फिल्म देखने गए रंगीला रतन . मध्यांतर मैं हम दोनों बाहर आये एक फ़कीर ने पैसा माँगा दुआ के साथ कि तुम्हारा भविष्य उज्जवल हो , पंकज के कहा अरे जाओ भाई कल किसने देखा है. हम यह शो ३-६ देख रहे थे.  शो ख़त्म होने के बाद हम अपने अपने घर आ गए|

रात मैं खबर आयी कि पंकज घर कि छत   से गिर गया और अस्पताल मैं है. सुबह पंकज के घर वाले मेरे पास आये क्योंकि पंकज बेहोशी मैं मेरा नाम ले के पुकार रहा था, मैं ११ बजे उसके पास गया जैसे ही उसने मुझे देखा एक बार मुस्कराया और दम तोड़ दिया.यह बात मुझे कभी नहीं भूलती. और यह भी कि फ़कीर को वापस ना लौटाओ और ना दो तो कोई उलटी बात ना बोलो| 

सवाल-5--आप कई वर्षों से लिख रहे  हैं, लेखन सम्बन्धी कोई ऐसा वाकिया जो भुलाये न भूलता हो, बताईये?

जैसा मैंने पहले भी कहा कि मैं कोई साहित्यकार नहीं. अंग्रेजी ब्लोगिंग मैं १० वर्षों से काम कर रहा हूँ २०१० मैं हिंदी ब्लोगिंग मैं क़दम रखा है. अभी भी हिंदी ब्लॉगर  कि ज़हनियत को समझने कि कोशिश कर रहा हूँ| 

सवाल—6 -ब्लॉगर कैसे बने ? आप ब्लॉग-लेखन कब से कर रहे  हैं और क्यूँ कर कर रहे  हैं?

अंग्रेजी मैं ब्लोगिंग तो मैं पिछले १०-१२ साल से कर रहा हूँ. हिंदी ब्लॉग जगत में मुझे इस्मत जैदी साहिबा २०१० में लाई और तभी से दोनों ब्लॉग जगत में काम कर रहा हूँ| मैंने ैंअमंका पैगाम नामक ब्लॉग बनाया जिसे पूरी दुनिया के ब्लॉग जगत का सहयग मिला और आज भी मैं अपने ब्लॉग एस एममासूम डॉट कॉम से  ही इंसानियत और एकता के लिए काम करता हूँ. अभी मुझे अपने वतन का क़र्ज़ भी उतारना  है और अब उसी के लिए सक्रिय हूँ. जौनपुर ब्लॉगर असोसिअशन बनाया और हिंदी  और  अंग्रेजी  मैं  जौनपुर की पहली ऐतिहासिक वेबसाइट बनायी   | मैं  डॉ मनोज मिश्रा , डॉ पवन मिश्र  जैसे जौनपुर के ब्लॉगर भाइयों का उनके सहयोग के लिए आभारी हूँ |

सवाल—7 -वर्तमान हिन्दी ब्लॉग-जगत में सामूहिक ब्लॉग की कितनी महत्ता है?

साझा ब्लॉग की महत्ता तो बहुत है लेकिन केवल उन्हीको जोड़ना चाहिए जो ब्लॉग मैं रूचि रखते हों और ब्लॉग को समय दे सकें|  साझा ब्लॉग हम वतनो को, या एक विचार वालों को एक साथ जोड़ता है. इस से अधिक और क्या चाहिए?

सवाल—8 -किन्ही ५  ब्लॉगर का नाम बताईये जिनसे आप प्रभावित हुए बिना नहीं रहे ?

वैसे तो कई हैं इस ब्लॉगजगत मैं जिनसे मैं बहुत ही अधिक प्रभावित हूँ लेकिन आप 5 नाम मांगे हैं तो मैं डॉ मनोज मिश्रा जी का नाम सबसे पहले लूँगा. एक सुलझा हुआ इंसान जिसने चुप चाप अपने वतन के लिए बहुत काम केवल अपने ब्लॉग से किया. दूसरा नाम जनाब जीशान जैदी का है , यह भी विज्ञानं के छेत्र मैं चुपचाप  अपना काम किया करते हैं और तीसरा नाम है हमारे कवि मित्र  कुंवर कुसुमेश जी का ,जिनकी तारीफ शब्दों मैं बयान नहीं कि जा सकती ,चौथा नाम है डॉ  पवन मिश्रा जी का ,गहराई मैं जाकर किसी भी विषय पे लिखते है और बेहतरीन लिखते हैं. पांचवां नाम है असद जाफर साहब का  , बेहतरीन लेखनी और उच्च विचार. यहाँ यह भी कहता चलूँ ऐसे मेरी लिस्ट मैं २०-२१ ब्लॉगर हैं और २ तो ऐसे हैं जिनसे मेरे विचार नहीं मिलते लेकिन उनकी लेखनी कि धार का मैं कायल हूँ|

सवाल—9 -अपने व्यक्तिगत ब्लॉग में लेखन का मुख्य विषय / मुद्दा क्या है?

मेरे व्यक्तिगत ब्लॉग का मुख्य विषय सामाजिक सरोकार और विश्व में  अमन और शांति के लिए काम करना है और मैं सामाजिक सरोकारों पे ही लिखता हूँ. भ्रष्ट समाज को बदलने कि कोशिश  करता हूँ बस|

सवाल—10 -आप कि नज़र मैं बड़ा ब्लॉगर कौन है?

बड़ा ब्लॉगर वही है जो शोहरत से , गन्दी राजनीती से दूर हट के समाज के लिए कुछ काम अपनी लेखनी का इस्तेमाल करते हुए  कर रहा है|

सवाल--11-आज कल बड़े बड़े उत्सव, महोत्सव , ब्लॉगर मीट हुआ करती हैं, इनाम बांटे जाते हैं. सब अपना अपना देखते हैं. आप को कैसा लगता है?



हर इंसान को यह अधिकार है कि वो कहीं भी कोई भी मीटिंग करे, उत्सव या महोत्सव करे, खुद को ही इनाम दे डाले या अपने दोस्तों को ही इनाम दे. दूसरों के अधिकार छेत्र में जा के मैं कुछ कहना ठीक नहीं समझता.  ब्लॉगजगत को इस से बहुत फाएदा होता नहीं दिखाई देता. हाँ आपस के रिश्ते कुछ ब्लॉगर के मज़बूत होते है यह एक अच्छी बात है और आशा है इन रिश्तों का वो सही इस्तेमाल करेंगे.

सवाल—12 -धार्मिक-उपदेश और उनको अपने जीवन में उतारना, आज के युग में कहाँ तक सही है?

धार्मिक उपदेश कि महत्ता हर धर्म कि किताबों मैं है. आज हम ना तो ईमानदारी और सदाचारी होना पसंद करते हैं और ना ही धार्मिक उपदेशों को सुन ना . यह हमारी कमी है ना कि किसी धर्म या धार्मिक उपदेशों की . धार्मिक उपदेश हमारे जीवन का आईना हैं , जिसे हमेशा देखते रहना चाहिए|

सवाल--13 -एक भारतीय महिला को कैसा होना चाहिए, कोई महिला ऐसी है जिसे आप आदर्श के रूप में प्रस्तुत कर सकें?

भारतीय महिला ? शायद सवाल यह सही है कि एक महिला को कैसा होना चाहिए? आज  के  युग मैं जहाँ आधुनिक महिला कम वस्त्र धारण कर के गर्व महसूस करती है ,इस विषय पे कुछ कहना  सही नहीं है. ब्लॉगजगत की  तस्वीरों से देखा जाए तो रेखा श्रीवास्तव जी को देख ख़ुशी होती है. आदर्श महिलाएं इस विश्व मैं बहुत सी गुज़री हैं.  जिनमें से जनाब ए मरियम ,और जनाब ए फातिमा (स.ए) का नाम मैं अवश्य लूँगा.

सवाल..14..आप को जौनपुर को विश्व से जोड़ने  का ख्याल कैसे आया?

अपने वतन जौनपुर की मुहब्बत का एहसास मुझे जौनपुर से दूर रहने पे हुआ और इसी  एहसास ने मुझे जौनपुर को विश्व से जोड़ने की  प्रेरणा दी. मैंने परदेस मैं कहीं कोई  जब अपने देस का मिल जाता है तो कितनी ख़ुशी होती है यह मुझ जैसा एक परदेसी ही बता सकता है. जब कभी वतन की याद आती तो यह ख्याल आता "ओ देश से आने वाले बता क्या अब भी वतन में वैसे ही सरमस्त नजारें होते हैं"



महावीर शर्मा जीकी कुछ पंकियां याद आ रही हैं की
जब वतन छोड़ा, सभी अपने पराए हो गए
आंधी कुछ ऐसी चली नक़्शे क़दम भी खो गए
खो गई वो सौंधि सौंधी देश की मिट्टी कहां ?
वो शबे-महताब दरिया के किनारे खो गए



सवाल--15-जौनपुर निवासियों के लिए कोई सन्देश?

जौनपुर निवासियों का अपने वतन से और वहां के लोगों से प्रेम  जग ज़ाहिर है. अपने शहर मैं ही रोज़गार   के अवसर तलाशें और इसके लिए सरकार पे दबाव बनाएं|  बिजली की व्यवस्था को सही करने और गोमती नदी के प्रदुषण को कम करने , जौनपुर को पर्यटन स्थल घोषित करने की मुहीम मिल जुल  के चलाएं| गंगा जमुनी संस्कृति के लिए मशहूर इस जौनपुर का नाम विश्व मैं ऊंचा उठाने मैं सकारात्मक सोंच रखते हुए एक दूसरे का सहयोग  दें.|

जौनपुर के आस पास बलात्कार की घटनाएं और उसका कारण |

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बलात्कार की समस्याअब विकराल रूप लेती जा रही है | जौनपुर और आस पास के गाँव से ऐसे खबरें हर दिन आती रहती हैं जिनमे अधिकतर मामले प्रेम  प्रकरण के या बदले की भावना से हुआ करते हैं | जवानी के आते ही युवा मन एक नयी दुनिया को देखने लगता है | ऐसे में उनकी इच्छा विपरीत लिंग के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाने की होने लगती है और चलने लगता है प्यार व्यार का चक्कर } यह हकीकत में ना तो कोई प्यार होता है और ना कोई लगाव आपस में बल्कि सब कुछ शरीरिक संबंधों के आस पास  ही घूमता रहता है |


ऐसे में बहुत बार  शारीरिक संबंध बना लेने के बाद लड़का कहीं और लग जाता है या  बहुत बार लड़की को कोई और पसंद आ जाता है और शुरू हो जाता है आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला | बहुत बार दोस्तों में आपसी रजिश हो जाती है या माता पिता के सामने प्यार का मामला खुल  जाने पे लड़की की शादी कहीं और करने की कोशिश बलात्कार, हत्या या तेज़ाब फेंकने जैसे गुनाहों को जन्म देती है |

ये सब जवानी के जाते या परिपक्व होते ही ख़त्म हो जाता है और यदि युवाओं को अच्छे संस्कार और समय रहते उनको शारीरिक परिवर्तन का ज्ञान दिया जाए तो इस समस्या का हल संभव है | ये हकीकत में बलात्कारी या व्यभिचारी नहीं होते बल्कि सही परवरिश और अच्छे संस्कारों के अभाव में ग़लत रास्ते पे चले जाते हैं |

बलात्कार के विषय में डॉ रीताका मानना है की टीवी ,मोबाइल इत्यादि का चलन गाँवो में यदि सुविधा बन के आया है तो युवाओं को गुमराह भी करने में इसका हाथ है | बलात्कार की शिकार महिलाओं में आज भी समाज में बदनामी के डर से उसे छुपा जाना आम बात है और यह एक बड़ा कारण है ऐसी घटनाओं के बार बार होने का |लेकिन जितने केस रिपोर्ट होते हैं और उनकी जांच सदर अस्पताल में होती है उनके अनुसार अक्सर महिलाएं अपने ही घर ,पड़ोस या रिश्तेदारों की वासना का शिकरा होती है |अनजान व्यक्ति द्वारा बलात्कार की घटनाएं कम ही देखने को मिला करती हैं |


डॉ रीताकी बातों से यह बात भी सामने आयी की टीवी, इन्टरनेट और मोबाइल पे अश्लील फिल्मो का देखना और इसका आदान प्रदान एस समस्या बन के उभरा है |चीन की तरह हिन्दुस्तान में भी अश्लील फिल्मो (पोर्न) पे प्रतिबन्ध लगना चाहिए | इन पोर्न विडियो में औरतों के साथ क्रूर, हिंसक व्यवहार , बलात्कार ,कौटुम्बिक व्यभिचार ,बच्चों के साथ यौन सम्बन्ध इत्यादि दिखाए जाते हैं | युवामन उन अश्लील फिल्मो को देखकर विचलित होता है उसको व्यवहारिक रूप देने का अवसर तलाशता है, जिसका दुष्परिणाम आज रेप, गैंग रेप और कौटुम्बिक व्यभिचार में वृधि के रूप मे सामने आ रहा है |

ख़बरों  की मानेंतो अब जौनपुर जैसे छोटे  शहरों से और गाँव से भी  कौटुम्बिक व्यभिचार, और पतियों द्वारा अपनी पत्नियों पे  दुसरे व्यक्तियों के साथ सेक्स का दबाव बनाने जैसी खबरें भी अब सुनने में आने लगी है है जो हमारे हिन्दुस्तानी समाज के संस्कारों का हिस्सा नहीं बल्कि पोर्न फिल्मो की देन नज़र आता है | 

अपने बच्चों को जवानी की दहलीज पे क़दम रखते ही अच्छे संस्कार और उनमे आ रहे परिवर्तन के बारे में जागरूक करें और सरकार पे दबाव बनाएं की पोर्न फिल्मो पे मुकम्मल बैन लगाया जाए |

लेखक एस एम् मासूम 

जौनपुर में गंगा जमुनी तहजीब और साम्‍प्रदायि‍क सदभाव को महसूस किया जा सकता है

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जौनपुर शहर गोमती नदी के किनारे बसा एक सुंदर शहर है जो अपना एक वि‍शि‍ष्‍ट ऐति‍हासि‍क, धार्मिक  एवं राजनैति‍क अस्‍ति‍त्‍व रखता है| यहाँ पे गोमती नदी की सुन्दरता आज भी देखते ही बनती है और आज भी इसके शांतिमय  तट लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं |कभी यह तट तपस्‍वी, ऋषि‍यों एवं महाऋषि‍यों के चि‍न्‍तन व मनन का एक प्रमुख  स्‍थल हुआ करता था था। इसी कारण से आज भी गोमती किनारे यहाँ बहुत से मंदिर देखे जा सकते हैं जहां जा के शांति का एहसास हुआ करता है | यहीं महर्षि‍ यमदग्‍नि‍ अपने पुत्र परशुराम के साथ रहा करते थे | बौध सभ्यता से ले कर रघुवंशी क्षत्रि‍यों वत्‍सगोत्री, दुर्गवंशी तथा व्‍यास क्षत्रि‍य,भरो एवं सोइरि‍यों का यहाँ राज रहा है | कन्नौज से राजा  जयचंद जब यहाँ आया तो गोमती नदी की सुन्दरता से मोहित हो के उसने यहाँ अपना एक महल जाफराबाद जौनपुर में नदी किनारे बनाया जिसके खंडहर आज भी मौजूद हैं | उसके बाद आये यहाँ शार्की जिनके काल में हि‍न्‍दु - मुस्‍लि‍म साम्‍प्रदायि‍क सदभाव का अनूठा दि‍गदर्शन रहा और जो वि‍रासत में आज भी वि‍द्यमान है। बोद्ध सभ्यता के निशाँ तो अब यहाँ बाक़ी नहीं रहे लेकिन ऐतिहासिक  मंदिरों और शार्की काल में बने भव्‍य भवनों, मस्‍जि‍दों व मकबरों के निशाँ आज भी इस शहर के वैभव की कहानी कह रहे हैं |1484 ई0 से 1525 ई0 तक लोदी वंश का जौनपुर की गद्दी पर आधि‍पत्‍य रहा| इब्राहीम लोधी ने जौनपुर शहरकी सुन्दरता को ग्रहण लगा दिया और यहाँ की मस्जिदों और भव्य इमारतो को बेदर्दी के साथ तोडा | आज जौनपुर में जो खंडहर मिला करते हैं वो सभी इब्राहीम लोधी के ज़ुल्म की कहानी कहते हैं | यहाँ शाही पुल से पहले सड़क किनारे राखी एक गज सिंह की मूर्ति अपने आप में जौनपुर के इतिहास की एक ऐसी कहानी कह रही है जिसे आज तक कोई सुलझा नहीं पाया |

आज जौनपुर में गंगा जमुनी तहजीब और साम्‍प्रदायि‍क सदभाव  को महसूस किया जा सकता है | पुराने दिरों, मस्जिदों और इमामबाड़ों ने इसे हर तरफ से सजाया हुआ है | दशहरा दिवाली में नवरात्री, दुर्गा पूजा और रमजान ,मुहर्रम में इफ्तारी और अज़ादारी का माहोल रहता है और ऐसा लगता है पूरा जौनपुर इसके रंग में रंग गया है |


 जौनपुर शहर का नाम जौनपुर अपने संस्‍थापक जूना शाह के नाम पर सन् 1360 में रखा गया। मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने इसे शिराज़ ऐ हिन्द के खिताब से नवाज़ा |

जनपद जौनपुर वाराणसी मण्‍डल के उत्‍तरी- पश्‍चि‍मी भाग में स्‍थि‍त है जिसका  भू-भाग 25.24 और 26.12 के उत्‍तरी अक्षांश तथा 82.7 और 83.5 पूर्वी देशान्‍तर के मध्‍य में है। यह समुद्र सतह से 261-290 फीट की उचॉई पर बसा हुआ है। गोमती एवं सई यहॉ की प्रमुख एवं अनवरत बहने वाली नदि‍यॉ है। इसके अति‍रि‍क्‍त वरूणा, बसुही, पीली, मामुर एवं गांगी यहॉ की छोटी नदि‍यॉ है। यहाँ के ऐतिहासिक स्थलों के करार बियर का मंदिर,शीतला चौकिय, मैहर देवी का मदिर, बड़े हनुमान का मंदिर ,शाही किला, बड़ी मस्जिद, अटला मस्जिद , खालिस मुखलिस मस्जिद,झझरी मस्‍जि‍द-, लाल दरवाज़ा, शाह पंजा ,हमजापुर का इमामबाडा ,सदर इमामबाडा ,बारादरी ,मकबरा ,राजा श्री कृष्‍ण दत्‍त द्वारा धर्मापुर में निर्मित शिवमंदिर, नगरस्‍थ हिन्‍दी भवन, केराकत में काली मंदिर, हर्षकालीनशिवलिंग गोमतेश्‍वर महादेव (केराकत), वन विहार, परमहंस का समाधि स्‍थल(ग्राम औका, धनियामउ), गौरीशंकर मंदिर (सुजानगंज), गुरूद्वारा(रासमंडल), हनुमान मंदिर(रासमंडल), शारदा मंदिर(परमानतपुर), विजेथुआ महावीर, कबीर मठ (बडैया मडियाहू) आदि महत्‍वपूर्ण है।




जौनपुर शहर की 6 फीट लम्बी मूली ,जमैथा का खरबूजा ,चमेली का तेल ,इत्र और इमरती बहुत मशहूर है | यहाँ की बेनीराम की इमरती देश विदेश तक जाती है | तम्बाकू और मक्के की खेती यहाँ अधिक होती है |सूती कपडे ,इत्र और चमेली के तेल के उद्योग के लिए जौनपुर बहुत प्रसिद्ध है | देश की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में प्रचलित काशी जनपद के निकट होने के कारण अक्सर पर्यटक यहाँ का रुख भी करते हैं और इसकी सराहना भी करते हैं लेकिन स्तरीय सुविधाओं के अभाव में पर्यटक न तो यहाँ ठीक से घूम पाते हैं और न ही यहाँ कुछ दिनों तक रह पाते हैं | हालांकि जनपद को पर्यटक स्थल के रूप में घोषित कराने का प्रयास कुछ राजनेताओं व जिलाधिकारियों द्वारा किया गया लेकिन वे प्रयास फिलहाल ना काफी ही साबित हुआ |महाभारत काल में वर्णित महर्षि यमदग्नि की तपोस्थली जमैथा ग्राम जहां परशुराम ने धर्नुविद्या का प्रशिक्षण लिया था। गोमती नदी तट परस्थित वह स्थल आज भी क्षेत्रवासियों के आस्था का केन्द्र बिन्दु बना हुआ है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण तो यह है कि उक्त स्थल के समुचित विकास को कौन कहे वहां तक आने-जाने की सुगम व्यवस्था आज तक नहीं की जा सकी है|

कहीं आपके पति ‘फेसबुकिए’ तो नही |

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मुहल्ले कि चाय कि दुकान की जो जगह हुआ करती थी वही   आज  फेसबुक   को हासिल  है । अक्सर होता यह था कि जवानी के दिनों में चाय की दूकान पे बैठने वाला लड़का जब शादी करता था तो वहाँ बैठना बंद कर  देता था और अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी को निभाने लागता था ।

आज फेसबुक  कि जडे हर घर मे मौजूद है इसलिये यह एक चिंता का विषय बनता जा रहा है कि कही जिस से शादी होने वाली है वो फेसबुकिये तो नहीं जो  शादी के बाद भी सारा समय फेसबुक पे ही लगे रहे और पत्नी या परिवार के लिए समय ही नहीं बचे ।

हर ‘फेसबुकिए की एक पहचान हुआ करती है जिस से आप अपने होने वाले पति को  पहचान सकती हैं ।

अगर कोई व्यक्ति  तस्वीर खिंचवाते समय कोने में खड़ा रहना पसंद करे तो समझ जाएँ ये फसबुकिया है क्यू की वो इस तस्वीर को कवर फोटो बनाना चाहता है ।

यदि लज़ीज़ खाने की थाली सामने आते ही कोई उसे खाने के पहले उसकी तस्वीर उतारने लगे तो समझ जाएँ ये भी फेस बुकिया है फ़ौरन इसे शेयर  करेगा फिर खायेगा ।

अगर कोई सुबह जॉगिंग पे अपने साथ कैमरा या कमरे वाला मोबाइल लेता जाय तो समझ लें यह भी फसबुकिया है ।

अगर कोई शादी के पहले अपनी होने वाली पत्नी को पल पल की खबर दे जैसे की फीलिंग सैड..हैप्पी..कंफ्यूज इत्यादि तो समझ लें यह घोर फेस बुकिया  है ।

अगर कोई आपकी कई तस्वीर मांगे तो समझ लें यह फेस बुकिया है यह शादी के पहले अपनी होने वाली पत्नी की तस्वीर सबको दिखा के लाइक गिनेगा ।

अगर किसी को अपने घर की पुरानी एल्बम से बहुत प्रेम हो और उनकी तस्वीर खींचता दिखे तो समझ लें यह भी फेसबुकिया है और यह अपनी पुरानी तस्वीर फेसबुक पे वन्स अपॉन ए टाइम लिखे डाल  देगा ।

यदि आप शादी के पहले पहचान नहीं पायी है कि आपके पति ‘फेसबुकिए’ है या नहीं तो बाद में भी पहचान सकती है । अगर शादी के बाद वो आपके साथ ऐसी तस्वीर आपको पकड़ के खिंचवाए जैसे की छूटते ही आप भाग जाएगी तो समझ लें यह फेसबुकिया है ।

अगर बच्चे के जन्म होते ही कोई मिठाई बांटने से पहले बच्चे की तस्वीर लेने की कोशिश करे तो समझ लें यह भी फेसबुकिया है ।

लेकिन डरिये नहीं चिंता की कोई बात नहीं क्यू की यह बीमारी छूटती नहीं बल्कि जो छुड़ाना चाहता है उसे भी लग जाती है ।

जौनपुर की सबसे बड़ी रंगोली देखिये आप सभी मतदाता |

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अबतक की सबसे बड़ी रंगोली बनाकर किया मतदाताओं को जागरुक जौनपुर 21 फरवरी 2017 (सू0वि0)- जिला निर्वाचन अधिकारी भानुचन्द्र गोस्वामी के निर्देशन में चलाये जा रहे मतदाता जागरुकता अभियान के अन्तर्गत आज विकास खण्ड शाहगंज क्षेत्र के अन्तर्गत वासदेव तपेस्वरी इ.गर्ल्स कालेज एवं आदर्श भारती विद्यापीठ खेतासराय के प्रांगण में ऐतिहासिक व जनपद में अबतक की सबसे बड़ी रंगोली बनी। खण्ड शिक्षाधिकारी आर पी यादव के देख-रेख व संचालन में ज्योति श्रीवास्तव अनुदेशक पू.मा.वि.गुरैनी की टीम के 21 सदस्यों ने कड़ी मेहनत कर मतदाता जागरुकता पर लगभग पॉच हजार इस्क्वयर फीट की रंगोली बनाकर जनपद में नया क्रीतिमान स्थापित किया। खण्ड शिक्षाधिकारी आर पी यादव ने बताया कि इस रंगोली को बनाने में 310 किलों रंग व लगभग 5 घण्टे का समय लगा। रंगोली का अवलोकन एसडीएम शाहगंज रामसकल मौर्य, प्रभारी अधिकारी स्वीप संजय पाण्डेय, जिला विद्यालय निरीक्षक भाष्कर मिश्र, स्वीप को-आडिनेटर सै.मोहम्मद मुस्तफा, प्रभारी अधिकारी सूचना के.के.त्रिपाठी, सर्वोदय इ.कालेज के प्रधानाचार्य डॉ अनिल उपाध्याय, शिक्षकों, क्षेत्रवासियों व हजारों छात्र, छात्राओं ने अवलोकन किया। इस अवसर पर खण्ड शिक्षाधिकारीगण महेन्द्र मौर्य, ममता सरकार, राजेश कुमार, राजनारायण पाठक, चन्द्र शेखर यादव आदि उपस्थित रहे।


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जोगी बाबा आये हैं रे कक्का के हियाँ सिरिंगी बजा रहे ।

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जोगी बाबा आये हैं रे कक्का के हियाँ सिरिंगी बजा रहे ।


तौन आया है अम्मा ? मुन्नू पूछता है। जोदी आया है, हमता तहूँ धुछाय दे ए आजी। जोदिया झोली में भलि के हमते उथाय ले जाई।  छोटा मुन्नू अपनी दादी की गोद में घुट्टी मुट्टी मार के छुप जाता है। 

सारंगी के स्वर ऊंचे होते जा रहे। 

सीता सोचईं अपने मनवा 
मुंदरी कहँवा से गिरी 
रीईं  रीईं  रीईं  रीईं
मुंदरी कहँवा से गिरी 
मुंदरी  कहँवा से गिरी 
रीईं  रीईं  रीईं  रीईं

कक्का के दुवारे भीड़ लगी है। औरतें जोगी से भभूत मांग रही तो  बच्चों में भय मिश्रित कौतूहल है। कक्का बोले , अरे सिधा पिसान लेई आउ रे !

जोगी ने अपनी बड़ी बड़ी लाल आँखे खोली पगड़ी ठीक करते हुए एक तरफ का  होंठ बिचुका के बोला "हम गुदरी लेबे मिसिर "  आसमान देखते हुये जोगी हुचक हुचक सारंगी बजाते हुए गाने लगता है। 

माई मोर गुदरिया रे भईले 
जोगी गोपीचंद हो 
रीईं  रीईं  रीईं  रीईं
हमरे बुढ़इया  के मोर बेटवा 
तू त जोगी गोपीचंद हो 
रीईं  रीईं  रीईं  रीईं
तोहरे  बुढ़इया के दूसर बेटवा 
हम तो जोगी गोपीचंद हो। 
रीईं  रीईं  रीईं  रीईं

लावा मिसिराइन गुदरी। 

औरतों में खुसुर फुसुर।  जा रे बड़की कउनो पुरान धुरान लूगा उठाय ला। बिना गुदरी  लिहे माने ना ई नदिग्गाड़ा। दो तीन पुरानी साड़ियां जोगी के सामने पटक दी  जाती हैं। 

ऐ का मिसिर ? सोक्खे सोक्खे। 

कक्का बोले "मुन्नू के माई अई जा बीस आना ले आवा " घूँघट के अंदर से भुनभुनाते मुन्नू की अम्मा बीस आने लाकर जोगी के कटोरे में दाल देती है। टन्न टन्न। 

जोगी ने अपने बड़े से झोले में धोतियाँ डाली एक जेब में पईसे। सब समेट समाट कर जैसे ही वह उठने को हुआ भीड़ से एक ढीठ  बच्चे ने कहा  हे जोगी माठा पियाय दा। 

जोगी मुसकाया और सारंगी उठायी 

हे सिरिंगी 
रें रीं 
माठा पीबू 
रां रां रीं रुं 
केतना 
रें  र रां 
दुई लोटा 
रुं रां रां 

बच्चे तालियां बजाने लगते हैं जोगी दूसरा घर देखता है। 

......डॉ पवन विजय 

राजा प्रताप बहादुर का किला प्रतापगढ़|

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 एक स्थानीय राजा, राजा प्रताप बहादुर, जिनका कार्यकाल सन् 1628 से लेकर 1682 के मध्य था, उन्होने अपना मुख्यालय रामपुर के निकट एक पुराने कस्बे अरोर में स्थापित किया। जहाँ उन्होने एक क़िले का निर्माण कराया और अपने नाम पर ही उसका नाम प्रतापगढ़ (प्रताप का किला) रखा। धीरे-धीरे उस क़िले के आसपास का स्थान भी उस क़िले के नाम से ही जाना जाने लगा यानि प्रतापगढ़ के नाम से।

आज यह किला पुराने प्रतापगढ़ में स्थित है जिसे लोग प्रतापगढ़ सिटी के नाम  से जानते हैं | जब 1858 में जिले का पुनर्गठन किया गया तब इसका मुख्यालय बेल्हा में स्थापित किया गया जो अब बेल्हा-प्रतापगढ़ के नाम से विख्यात है। ये नया  प्रतापगढ़ पुराने  प्रतापगढ़ से केवल ३ किलोमीटर की दूरी पे है |बेल्हा नाम वस्तुतः सई नदी के तट पर स्थित बेल्हा देवी के मंदिर से लिया गया था।



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