जौनपुर तो वैसे भी मकबरों और क़ब्रों का शहर है | जिधर देखिये मकबरे और कब्रें बनी पड़ी हैं जिनका इतिहास अब बहुत की कम लोगों को मालूम है | हाँ यह अवश्य यहाँ के लोग जानते हैं की यह कब्रें ,मकबरें शार्क़ि समय की या तुगलक और लोधी परिवार की होती है| जौनपुर के सिपाह मोहल्ले के पास एक इलाका है बल्लोच टोला जहां आपको अनगिनत कब्रें और मकबरे मिल जायेंगे | जिनके बारे में आप अगले लेख में बताया जाएगा |
इनमे से एक मकबरा है लोधी समय के जौनपुर के फौजदार जमाल खान का जो अफगानिस्तान से हिन्दुस्तान आया और सिकंदर लोधी के बेटे जलाल के टीचर बने बाद में सुलतान बर्बख्श ने शाज़दा जलाल को जौनपुर का हाकिम बना दिया और उसके अपने टीचर जमाल खान को जौनपुर का फौजदार बनाया और बाद में वज़ीरों में शामिल कर लिया |
जमल खान इब्राहीम लोधी के समय में मारे गए और शहजादा जलाल फरार हो गया | जमल खान का मकबरा आज भी जौनपुर के बल्लोच टोला में हैं जिसकी हालत बदहाल है और कभी भी खंडहर में बदल सकता है |
इनमे से एक मकबरा है लोधी समय के जौनपुर के फौजदार जमाल खान का जो अफगानिस्तान से हिन्दुस्तान आया और सिकंदर लोधी के बेटे जलाल के टीचर बने बाद में सुलतान बर्बख्श ने शाज़दा जलाल को जौनपुर का हाकिम बना दिया और उसके अपने टीचर जमाल खान को जौनपुर का फौजदार बनाया और बाद में वज़ीरों में शामिल कर लिया |
जमल खान इब्राहीम लोधी के समय में मारे गए और शहजादा जलाल फरार हो गया | जमल खान का मकबरा आज भी जौनपुर के बल्लोच टोला में हैं जिसकी हालत बदहाल है और कभी भी खंडहर में बदल सकता है |
जौनपुर के फौजदार जमाल खान का मकबरा सिपाह-बल्लोच टोला |