उस्मान शीराज़ी जो मखदूम सय्यद मोहम्मद जौनपुरी के पिता थे । |
आपका जन्म १४४३ इ में जौनपुर के एक मोहल्ले पानदरीबा में हुआ और उनके घर को आज भी मीरघर के नाम से जाना जाता है । आप शेख दानियाल खिजरी के शिष्य थे और ज्ञानी इतने थे की उस समय के उलेमा ने उन्हें आसहुल उलेमा की पदवी से सम्मानित किया । उनके उपदेश सुनने के लिए दूर दूर से बादशाह और ऋषि आते और उनके ज्ञान से लाभान्वित हुआ करते हुआ करते थे ।
मखदूम सय्यद मोहम्मद जौनपुरी के पिता उस्मान शीराज़ी थे जो एक मशहूर ज्ञानी थे और उन्ही की शान में खालिस मुख्लिस मस्जिद बनवायी गयी जो आज पानदरीबा में स्थित है ।
मखदूम सय्यद मोहम्मद जौनपुरी एक दिन मक्का की तरफ हज करने गए तो वहीँ के हो के रह गए और सन १४६५ में जब इनकी उम्र ५२ की हुयी तो इनहोने मक्का में महदवी वर्ग की घोषणा कर दी । बहुत विरोध के बावजूद इनके चाहने वालो की तादात बढ़ती है और इनहोने गुजरात को अपना केंद्र बनाया ।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का कहना है की ।
सत्य प्रेम और हृदय की परिपक्वता के कारण मखदूम सय्यद मोहम्मद जौनपुरी ने थोड़े ही समय में बहुत से मुरीद बना लिए और यहां तक की बादशाहों को भी बना लिया । मौलाना का मानना था की इनका महदवी समूह सत्य पे आधारित था । मखदूम सय्यद मोहम्मद जौनपुरी और उनके सहयोगी ईश्वर भक्त और सदा जीवन व्यतीत किया करते थे ।
जब इनकी मृत्यु के बाद गुजरात महदियत का गढ़ हुआ और मिया के मुस्तफा ने इस समूह को आगे बढ़ाया और जब इसकी खबर बादशाह अकबर को १५७३ में मिली तो उसने मियाँ मुस्तफा को बुलवा भेजा इस ख्याल से की इनकी गर्दै उड़वा दी जाएगी लेकिन जब मिया मुसतफ़ा से बात हुयी तो वो इनका मुरीद हो गया ।
सय्यद मुहम्मद जौनपुरी की विचारधारा यह थी की जो भी गुण हज़रत मुहम्मद में थे वो प्रत्यछ रूप से इश्वेर की दें थे और वही सभी गुण सय्यद मोहम्मद जौनपुरी में भी हैं लेकिन हज़रत मुहम्मद के अनुसरण के कारन है । इनकी इस विचारधारा के कारण लोगो को ऐसा लगा की इन्होने इमाम मेहदी होने का दावा कर दिया है जिनमे मतभेद है ।
शेख अली मुनतक़ी जो उनके विरोधी थे उन्होंने भी इस बात को स्वीकार किया की मखदूम सय्यद मोहम्मद जौनपुरी ने खुद को इमाम मेहदी कभी घोषित नहीं किया बल्कि यह कहते थे की वो इमाम महदी का अनुसरण करने वाले हैं और उनके जैसे ही हो गए है ।
उन मानने वालो ने इसे गलत समझा और यह मान लिया की मखदूम सय्यद मोहम्मद जौनपुरी इमाम महदी होने का दावा कर दिया है ।
आपका देहांत १४६९ इ में या १५०४ इ में फराह में हुआ जहां आज भी वो दफन है । जौनपुर के उनके घर पानदरीबा मीर घर और उसके पास मखदूम सय्यद मोहम्मद जौनपुरी के पिता की क़ब्र पे आज भी मखदूम सय्यद मोहम्मद जौनपुरी के चाहने वाले गुजरात से आया करते है ।