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प्रतिवर्ष भैयादूज के दिन आयोजित होता है अखड़ो देवी का मेला

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जफराबाद। यम द्वितीया एवं भैया दूज के पर्व पर सिरकोनी विकास खण्ड क्षेत्र के जमैथा गांव में आदि गंगा गोमती के किनारे स्थित अखड़ों देवी का मेला शुक्रवार को शांति पूर्वक सम्पन्न हुआ। इस मेले में आये भक्तों ने मां अखण्डा ‘‘अखड़ो देवी‘‘ को नारियल, चुनरी, हलुवा, पूड़ी चढ़ाकर मां का दर्शन पूजन किया और मिन्नतें मांगी। भक्तों ने आदि गंगा गोमती के निर्मल धारा में डुबकी भी लगाई। मेले में आये लोगों ने मां का दर्शन-पूजन करने के बाद खूब खरीददारी की। उक्त मेला कार्यक्रम सुबह से प्रारम्भ होकर देर शाम तक चलता रहा और शांति व्यवस्था बनाये रखने हेतु जफराबाद पुलिस मौके पर डटी रही।


भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाली मां अखण्डा देवी ‘‘अखड़ो‘‘ का मेला प्रतिवर्ष यम द्वितीया/भैयादूज के दिन जमैथा गांववासियों द्वारा आयोजित किया जाता है। इस मेले की सुरक्षा में जफराबाद पुलिस के साथं ग्रामवासी भी सहयोग करते हैं। बताया जाता है कि इसी जमैथा गांव में आदि गंगा गोमती नदी के पावन तट पर ऋषि यमदग्नि का आश्रम था। पिता यमदग्नि के आदेश पर यमदग्नि पुत्र परशुराम ने माता रेणुका फरसे से सिर विच्छेदन किया था और वरदान के रूप में परशुराम जी ने पिता यमदिग्न ऋषि से माता को पुनः जिन्दा भी करवाया था और तब से माता रेणुका को लोग मां अखण्डा देवी ‘‘अखड़ों‘‘ के नाम से पूजते हैं और मनवान्छित फल प्राप्त करते हैं।




जौनपुर की तरक़्क़ी जौनपुरवासियो की तरक़्क़ी|

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मुझे गर्व है की मेरा वतन जौनपुर है | जौनपुर की तरक़्क़ी जौनपुरवासियो की तरक़्क़ी|

जौनपुर मेरा वतन है मेरी पहचान है और यहा के लोगो ने जो प्रेम मुझे दिया उसका मै आभारी हू | मेरा मिशन "हमारा जौनपुर"जो जौनपुर को विश्व से जोडने का है वो कामयाबी के साथ हर दिन आगे बढता जा रहा है वो यहा के लोगो के सहयोग के बिना संभव नही था|

शुक्रिया जौनपुर के साथियो आपके सहयोग का और उनका भी शुक्रिया जिन्होने "हमारा जौनपुर "को आगे बढाने मे मेरा साथ दिया| आशा करता हू कि आपसब का साथ और प्यार ऐसे ही आगे भी मिलता रहेगा और जौनपुर के साथ इन्साफ होगा और विश्व मे वो स्थान मिलेगा जो मिलना चाहिये था|

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की जौनपुर यात्रा से जुडी खबरें |

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 जौनपुर। प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय अखिलेश यादव आज अपरान्ह हेलीकाप्टर द्वारा जौनपुर जिले के मुगराबादशाहपुर थाना अन्तर्गत तरहटी ग्राम में डी0जी0पी0 जगमोहन यादव के आवास पर तिलकोतस्व कार्यक्रम में सम्मलित हुए। हेलीपैड पर डी0जी0पी0 जगमोहन यादव ने मुख्यमंत्री जी को बुके देकर स्वागत किया। इसीप्रकार प्रदेश के कैविनेट मंत्री पारस नाथ यादव, राज्यमंत्री जगदीश सोनकर, राज्यमंत्री शैलेन्द्र यादव उर्फ ’ललई’ विधायक जफराबाद सचिन्द्र नाथ त्रिपाठी, मडियाहॅू श्रीमती श्रृद्धा यादव युवा नेता विकाश यादव राजेन्द्र यादव अतुल यादव सुशील यादव अखिलेश श्रीवास्तव देव बोस प्रदीप तिवारी सुड्डू सिंह अमित श्रीवास्तव ने बुके देकर माननीय मुख्यमंत्री जी का स्वागत किया। जनता का अभिवादन एवं कुशलक्षेम मुख्यमंत्री जी ने जाना। इसके बाद उनके आवास पर जनप्रतिनिधियों एवं पार्टी पदाधिकरियों से मुलाकात किया। 

जौनपुर। सीएम अखिलेश यादव ने पार्टी से जीते जिला पंचायत सदस्यो से मुलाकात करके सभी को बधाईयां दिया। मौका  देखकर आधा दर्जन से अधिक जिला पंचायत सदस्यो ने अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने का मंशा जाहिर किया। मुख्यमंत्री ने किसी को हरी झण्डी नही दिया लेकिन सभी को चुनाव लड़ने की तैयारी करने को कहकर वापस भेज दिया।  


जौनपुर। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जहां पार्टी के नेताओ मंत्रियों से मुलाकात किया वही युवाओ को भी ज्यादा तरजीह देते दिखाई पड़े। सीएम ने युवाओ को खुद अपने पास बुलाकर उनका हालचाल लिया और युवाओ संग फोटो भी खिचवाया। मुख्यमंत्री का युवाओ के प्रति प्रेम देखकर सभी हैरत में थे। लोगो में चर्चा रहा कि मुख्यमंत्री युवा है इस लिए युवाओ पर मेहबान है। इतना ही नही जाते समय हेलीपैड पर युवा पत्रकारो को अपने पास बुलाकर फोटो खिचवाए।


गोमती किनारे ऐसे मनाया गया सूर्य उपासना का पर्व डाला छठ|

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जौनपुर। सूर्य उपासना के पर्व डाला छठ पर व्रती महिलाओं ने मंगलवार की शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जिसके पहले गोमती सहित अन्य नदियों, तालाबों, पोखरों के किनारे सहित जलाशयों के अलावा सार्वजनिक स्थानों पर बेदी बनाकर महिलाओं ने विधिपूर्वक पूजा अर्चन किया। इसके पूर्व बीती रात को नहायदृखाय के बाद माताओं ने पुत्रों के यशस्वी व दीर्घजीवी के लिये व्रत का शुभारम्भ किया। गन्ने के रस अथवा गुड़ की खीर बनाने के बाद देवकरी में रखकर हवन किया जिसके बाद उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। महिलाओं ने बांस की बनी बड़ी टोकरी में अगरबत्ती, धूप, देशी घी, मिट्टी के दीपक, बर्तन के अलावा फल, गेहूं के आटे, गुड़, ठेकुआ को वेदी पर रखने के साथ नारियल को कपड़े में लपेटकर सूप में रखा। घर से महिलाएं गीत गातीं पूजास्थलों पर पहुंचकर बेदी बनाकर पूजा कीं। तत्पश्चात् पानी में गन्ने को गाड़कर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद घर चली गयीं। लोगों के अनुसार डाला छठ पूजा सूर्योपासना का महापर्व है जो 4 दिवसीय होता है। सूर्य के व्रत में मामूली चूक भी क्षम्य नहीं, इसलिये पवित्रता का विशेष ख्याल रखा जाता है। नगर के विसर्जन घाट, गोपी घाट, हनुमान घाट, केरारवीर घाट, मां अचला देवी घाट, सूरज घाट, गूलर घाट, गोकुल घाट सहित अन्य घाटों पर व्रती महिलाओं की भीड़ रहीं जहां बच्चे पटाखे छुड़ाकर आनन्द लिये। नगर के गोपी घाट पर श्री संकट मोचन संगठन के कार्यकर्ताओं ने प्रकाश, सफाई आदि की विशेष व्यवस्था किया था जहां लगाये गये ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से मेले का संचालन हो रहा था। गोपी घाट की व्यवस्था इतनी सुदृढ़ थी कि किसी को कोई परेशानी नहीं हुई। वह विसर्जन घाट पर भी अच्छी व्यवस्था रही।

जौनपुर के पत्रकार और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की जौनपुर यात्रा |

पर्यटन के दृष्टिकोण से जौनपुर शहर को भी बढ़ावा दिया जायेगा--प्रमुख सचिव

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जौनपुर। प्रमुख सचिव, आवास एवं शहरी नियोजन उ0प्र0 शासन सदाकान्त और जिलाधिकारी भानुचन्द्र गोस्वामी ने आज नगर में लाइन बाजार, पालीटेक्निक चौराहा, सिटी स्टेशन, मछलीशहर पड़ाव, बदलापुर पड़ाव, कटघरा, कोतवाली, बड़ी मस्जिद, भण्डारी स्टेशन, अहियापुर चौराहा, चौकियाघाम, पचहटिया तिराहा, सिपाह, जेसीज, रोडवेज, सिविल लाइन आदि में सौन्दर्यीकरण एवं नाली निर्माण के कार्यों का निरीक्षण किया एवं ऐतिहासिक स्थलों शाहीपुल, शाही किला का निरीक्षण किया तथा जिलाधिकारी को इसके जीर्णोद्धार के लिए बजट का प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया। प्रमुख सचिव ने बताया कि शहर के सौन्दर्यीकरण के लिए पूर्व जिलाधिकारी सुहास एलवाई एवं वर्तमान जिलाधिकारी भानुचन्द्र गोस्वामी ने अच्छा कार्य करा रहे हैं। इसमें सभी का सहयोग अपेक्षित है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष सौन्दर्यीकरण के लिए 30 करोड़ रू0 तथा इस वर्ष 60 करोड़ रू0 उपलब्ध कराया गया है। शहर के सौन्दर्यीकरण के लिए धन की कमी नही है। आवश्यकता पड़ने पर 100 करोड़ रू0 और भी दिया जायेगा। जौनपुर एक पुराना ऐतिहासिक शहर है। पर्यटन के दृष्टिकोण से भी जौनपुर शहर को भी बढ़ावा दिया जायेगा। गोमती के जल को स्वच्छ बनाने के लिए भी प्रयास किये जायेंगे। प्रमुख सचिव ने जिलाधिकारी कैम्प कार्यालय पर समीक्षा किया जिसमंे अधि0अभि0 जल निगम एम0आई0 अन्सारी ने बताया कि जल निगम द्वारा 794.44 लाख रू0 के सापेक्ष 397.22 लाख की धनराशि स्वीकृति किया गया है। नगर क्षेत्र के रास्ते में विद्युत पोल व लाइन को परिवर्तक व स्थानान्तरित के लिए अधिशसी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड-तृतीय जौनपुर को 2 करोड़ 80 लाख 74 हजार 571 रू0 व्यय किया गया है। तिराहों एवं चौराहों की सड़कों की चौड़ीकरण के लिए 393.39 लाख रूपये अधिशसी अभियन्ता प्रान्तीय खण्ड-लोक निर्माण विभाग जौनपुर को उपलब्ध कराया गया है।


कार्य प्रगति पर है। उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद को नगर के सड़कों एवं नाली निर्माण कार्य के लिए 246.008 लाख रूपये उपलब्ध कराया गया है कार्य प्रगति पर है। नगर पालिका जौनपुर को नगर के तिराहों, चौराहों व सड़कों पर प्रकाश व्यवस्था पर 30.639 लाख रूपये व्यय किया गया है। अधि0अभि0 विद्युत एस0के0 सोनौदिया को निर्देशित किया कि शहर में व्यस्तम स्थानों पर अण्डरग्राउड विद्युत केविल बिछाने के लिए प्रस्ताव प्रेषित करें। जिलाधिकारी के निर्देश पर शहर में विद्युत पोल एवं ट्रास्फार्मर को सड़क से हटाकर किनारे करने का कार्य करें ताकि जनता को आवागमन में सुविधा मिल सके। अधि0अभि0 प्रान्तीय खण्ड कृष्ण गोपाल सारस्वत को सड़क के नाम का बोर्ड लगवाने, सड़क के बीचों-बीच डिवाइडर न बनवाने, शहर में सड़क किनारे वृक्ष न लगवाने का निर्देश दिया। अधि0अभि0 सी.डी. द्वितीय को निर्देशित किया कि जफराबाद बाजार से बाहर बाइपास का निरीक्षण कर प्रस्ताव प्रस्तुत करें ताकि जनता को जाम की समस्या से निजात मिल सके। जौनपुर-जफराबाद मार्ग, जफराबाद- बेलावघाट मार्ग नौ किलों मीटर सड़क एवं कबुलपुर बाजार से सिरकोनी बाजार तक पॉच किलों मीटर सड़क मरम्मत कराने का निर्देश दिया। जिलाधिकारी को सिटी स्टेशन से नईगंज तथा कोतवाली से भण्डारी स्टेशन तक रोड़ लाइट लगवाने का निर्देश दिया। अधि0अभि0 आर0ई0एस0 कमर अहमद को हुसेपुर महाविद्यालय के पास जलजमाव के प्रस्ताव उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। 20 नवम्बर 2015 को नेहरूनगर स्वास्थ्य केन्द्र का निरीक्षण प्रमुख सचिव द्वारा किया जायेंगा। जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 दिनेश यादव को प्रातः 9 बजे से 12 बजे तक सभी तैनात चिकित्सकों को उपलब्ध रहने का निर्देश दिया। बैठक में मुख्य राजस्व अधिकारी राम सिंह, नगर मजिस्टेªट उमाकान्त त्रिपाठी, सहायक अभियन्ता अशोक कुमार लोनिवि उपस्थित रहें।


गाजीपुर से वाया जौनपुर वाराणसी पैसेंजर ट्रेन को हरी झंडी

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पूर्वांचल में  रेल सुविधाओं के विस्तार के लिए रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने शुक्रवार को गाजीपुर सिटी रेलवे स्टेशन पर कई रेल परियोजनाओं का शिलान्यास किया। गाजीपुर के रेलवे को बड़ी सौगात देते हुए मनोज सिन्हा ने गाजीपुर मे वांशिग पिट बनाए जाने की परियोजना का शिलान्यास किया। साथ ही गाजीपुर औड़िहार रेल रूट को डबल लाइन किए जाने की परियोजना का भी शिलान्यास किया। इसके इलावा गाजीपुर से वाया जौनपुर वाराणसी पैसेंजर ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

गाजीपुर सिटी रेलवे स्टेशन पर लाइफ लाइन एक्सप्रेस का शुभारम्भ भी किया। लाइफ लाइन ट्रेन में शुक्रवार से अगले दस दिनों तक लोगों का मुफ्त इलाज किया जाएगा। गाजीपुर औड़िहार रेल रूट के 40 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग का दोहरीकरण का कार्य किया जाएगा। वहीं, गाजीपुर में ट्रेनों की सफाई के लिए वांशिंग पिट का निर्माण किया जाएगा। इस मौके पर मनोज सिन्हा ने कहा कि औड़िहार वाराणसी और छपरा बलिया रेल रूट के दोहरीकरण का काम तेजी से चल रहा है।

उन्होंने दावा किया कि वाराणसी से छपरा रेल रूट के विद्युतीकरण का काम भी तेजी से जारी है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि आगामी तीन वर्षों के अंदर छपरा से वाराणसी तक रेल रूट के विद्युतीकरण और डबल लाइन ट्रैक का काम पूरा कर लिया जाएगा। जिससे रेल यात्रियों की सुविधाओं में खासा इजाफा होगा। उन्होंने कहा कि गाजीपुर में वांशिंग पिट के निर्माण से पूर्वांचल में रेलवे के विस्तारीकरण को भी एक नया मुकाम मिलेगा। रेलवे के इस कार्यक्रम में पूर्वांचल रेलवे के जीएम राजीव मिश्रा भी मौजूद रहे। जिन योजनाओं का कार्यों का शिलान्‍यास किया गया उनके तहत गाजीपुर सिटी रेलवे स्टेशन पर 12.60 करोड़ रुपए की लागत से वाशिंग पिट, स्टेब्लिंग लाइन और सिक लाइन का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा सर्विस बिल्डिंग, साइकिल स्टैंड, आरसीसी टैंक और एप्रोच रोड का निर्माण किया जाएगा। साथ ही 197.44 करोड़ रुपए की लागत से गाजीपुर सिटी-औड़िहार (40 किमी) खंड के दोहरीकरण का कार्य किया जाएगा।

धर्मं के नाम पर भाई चारे की एक शुरुआत अच्छी शुरुआत |

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जौनपुर । आज जहा धर्मं के नाम पर केवल विवाद ही देखने को मिलता है वही अगर फिर से किसी धार्मिक कार्य में लोग आपसी द्वेष भूल कर एक साथ मिलकर योगदान देते हुए मानव मूल्यों की पुनः स्थापना करें तो ये निश्चित रूप से किसी आश्चर्य से कम नही होगा | ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है जौनपुर जिले के चन्दवक इलाके में चल रहे 108 कुण्डीय सीता राम महायज्ञ में जहा लोग एक दुसरे की दुश्मनी भूल एक साथ हवन पूजन कर रहे है | ग्राम प्रधान के चुनाव के कारन जहा गावों में गुट बंदियां हो जाती हैं वहीं इस गावं में यज्ञ के प्रभाव से लोगों में ऐसा भाईचारा का भाव बना की प्रधानी के लिए भी लोगो ने आपसी मतभेद भूल कर किसी  एक को प्रधान बनाने का मन बना लिया है और गावं में कोई गुटबंदी नहीं हुई | इस महायज्ञ से पुरे क्षेत्र में खुशियों का माहोल बना हुआ है |

जौनपुर और वाराणसी के बोर्डर पर स्थित चन्दवक के देवराई गाँव में 15 नवम्बर से 25 नवम्बर तक सीता राम महायज्ञ का आयोजन किया है | इस यज्ञ में सिर्फ देश की संत और महापुरुष नही बल्कि रसिया में धर्म का प्रचार करने वाले मुक्तानंद पूरी जी महाराज भी इस महायज्ञ में पहुच कर लोगो को सन्देश देनें का काम कर रहे है | स्वामी श्री श्री 1008 श्री अंजनी नन्दन दास जी महराज ने बताया की इस यज्ञ का मुख्य उदेश्य विश्व का कल्याण है लेकिन इस यज्ञ की जो खाश बात है वो ये है की जब से यहाँ पर यज्ञ मंडप बना है तबसे इस गाँव के लोगो ने हर तरह का नशा छोड़ दिया है और पूरी मनो भावना के साथ यज्ञ में जुड़ गये है | 

इस यज्ञ के लिए जमीन उपलबद्ध कराने वाले राघवेन्द्र सिंह ने बताया की ऐसा यज्ञ उनके क्षेत्र में पहले कभी नही हुआ था | इस यज्ञ में सिर्फ गाँव के ही नही बल्कि पुरे जनपद और आस पास के जनपद के लोग भी पहुच कर हवन पूजन कर रहे है |  मुफ्तीगंज से यज्ञ में शामिल होने पहुचे डॉ अशोक कुमार त्रिपाठी ने बतया की उन्होंने अपने 60 साल के जीवन में बहुत से यज्ञ देखे पर ऐसा यज्ञ कही देखने को नही मिला जहा प्रधान मंत्री मोदी के स्वच्छता अभियान की झलक देखने को मिलती हो जहा हर घर के लोगो ने नशा छोड़ दिया हो ऐसे में ये यज्ञ मील लका पत्थर साबित होगा |

कोई भी धर्मं जोड़ने की शिक्षा देता है तोड़ने की नही ऐसे  ही एक सकारात्मक सदेश इस यज्ञ के माध्यम से दृष्टिगत हो रहा है|



फातिमा हिन्द बालिका महाविद्यालय माहुल में सभी शिक्षक महिलाये ।

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इस बार जौनपुर से ५० किलोमीटर दूर माहुल जाने का मौक़ा मिला तो जा पहुंचा वहाँ के मशहूर समाजसेवक और प्रतिभाशाली आफ्ताब हुसैन साहब से मिलने जो माहुल के इंटर कॉलेज और महाविद्यालय चलाते हैं जिसका नाम  फातिमा हिन्द बालिका महाविद्यालय  है ।  इस कॉलेज को जनाब आफताब हुसैन साहब ने १९८१ में शुरू  किया था जिसमे आज लगभग हर धर्म की ३-४ हज़ार बालिकाएं पढ़ा करती है । जनाब आफताब साहब का मानना है की बालिका विद्यालय में पुरुष  शिक्षक की आवश्यकता नहीं हुआ करती ।

 इसी के साथ साथ इस स्कूल में ग़रीब और अनुसूचित जाती के बच्चो को मुफ्त शिक्षा भी दी जाते है जिसका सारा खर्च स्कूल खुद उठाता है ।



आफताब हुसैन साहब अपना स्कूल दिखाते हुए । 


जौनपुर शहर में बहती गोमती नदी की दुखद कहानी |

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जौनपुर शहर गोमती नदी के किनारे बसा एक सुंदर शहर है जो अपना एक वि‍शि‍ष्‍ट ऐति‍हासि‍क, धार्मिक  एवं राजनैति‍क अस्‍ति‍त्‍व रखता है| यहाँ पे गोमती नदी की सुन्दरता आज भी देखते ही बनती है और आज भी इसके शांतिमय  तट लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं |कभी यह तट तपस्‍वी, ऋषि‍यों एवं महाऋषि‍यों के चि‍न्‍तन व मनन का एक प्रमुख  स्‍थल हुआ करता था था। इसी कारण से आज भी गोमती किनारे यहाँ बहुत से मंदिर देखे जा सकते हैं जहां जा के शांति का एहसास हुआ करता है | यहीं महर्षि‍ यमदग्‍नि‍ अपने पुत्र परशुराम के साथ रहा करते थे |बौध सभ्यता से ले कर रघुवंशी क्षत्रि‍यों वत्‍सगोत्री, दुर्गवंशी तथा व्‍यास क्षत्रि‍य,भरो एवं सोइरि‍यों का यहाँ राज रहा है | कन्नौज से राजा  जयचंद जब यहाँ आया तो गोमती नदी की सुन्दरता से मोहित हो के उसने यहाँ अपना एक महल जाफराबाद जौनपुर में नदी किनारे बनाया जिसके खंडहर आज भी मौजूद हैं |
Beauty of Gomti  and view of Mandirs

गोमती नदी का उद्गम पीलीभीत जनपद के माधोटान्डा कसबे में होता है| "पन्गैली फुल्हर ताल"या "गोमत ताल" इस नदी का स्रोत्र है | इस ताल से यह नदी मात्र एक पतली धारा की तरह बहती है। इसके उपरान्त लगभग २० कि.मी. के सफ़र के बाद इससे एक सहायक नदी "गैहाई"मिलती है। लगभग १०० कि. मी. के सफ़र के पश्चात यह लखीमपुर खीरी जनपद की मोहम्मदी खीरी तहसील पहुँचती है जहां इसमें सहायक नदियाँ जैसे सुखेता, छोहा तथा आंध्र छोहा मिलती हैं और इसके बाद यह एक पूर्ण नदी का रूप ले लेती है। गोमती नदी की लंबाई उद्गम से लेकर गंगा में समावेश तक लगभग ९०० कि.मी. है। इसके जलग्रहण क्षेत्र में स्थित 15 शहर में से सबसे प्रमुख हैं लखनऊ, सुल्तानपुर तथा जौनपुर प्रमुख हैं। नदी जौनपुर शहर को दो बराबर भागों मे विभाजित करती है और जौनपुर में व्यापक हो जाती है।
Beauty of Gomti at Jaunpur

जौनपुर में तो गोमती नदी बेहद प्रदूषित है। इसका पानी तो सई नदी से भी खराब है।जौनपुर जिले के 80 किलोमीटर इलाके में गोमती अपना सफर तय करती है। इस दौरान यहां पर ये नदी इतनी गंदी हो जाती है कि वाराणसी के सैदपुर में गंगा में मिलने से पहले ये गंगा के लिए ही खतरा बनते जा रही है। जौनपुर में मौजूद रबड़ और बैटरी की कई छोटी-बड़ी कंपनियों का कचरा हो या शहर से निकलने वाले गंदे नाले सभी गोमती में मिलते हैं।
Gomti ki Sundarta aur aas paas ka pradushan

वर्षो से सुनता आ रहा हूँ की गोमती का पानी प्रदूषित है और इसी के साथ साथ  ना जाने कितनी संस्थाएं आयी ना जाने कितने शोध हुए , सरकार की तरफ से आश्वासन दिया गया लेकिन वर्षों से इसे प्रदूषित किया जा रहा है जिसपे आज तक कोई रोक नहीं लग सकी है और ना ही इसके प्रदूषण को ख़त्म करने का कोई सार्थक प्रयास ही हो रहा है |

आज भी जौनपुर में गोमती नदी का प्रवाह बहुत अधिक है और सुन्दरता देखते ही बनती  है बस आवश्यकता है किसी इमानदार प्रयास की और इसके किनारे घाट बनवा के पर्यटकों को आकर्षित करने की और तब देखिये कैसे यह गोमती आपकी प्यास के साथ साथ मानसिक शांति प्रदान करती है |

इस वीडियो में देखिये कैसे यह सुंदर गोमती प्रदूषित हुयी ?


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जौनपुर में ये है बड़े हनुमान जी की प्रतिमा

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जौनपुर में ये है बड़े हनुमान जी जब मैं इनकी दर्शन को गया  तब वहा के पुजारी ने बताया की ये मूर्ति पांचसौ साल पुरानी है इनकी स्थापना राजा हरिदत्त दुबे ने किया था हनुमान जी की ये प्रतिमा अपने आप में बड़ी ही दिव्य है I मूर्ति का मुख दक्षिण की तरफ है माँ चौकिय की भी प्रतिमा दक्षिण मुखी है Iदक्षिण मुखी प्रतिमा में बहुत तेज होती है हनुमान जी का ये बहुत सिद्ध पीठ है इनसे जो भी मनोकामना मांगों वो जल्द पूर्ण हो जाती है इनके यहा जो इग्यारह व इक्कीस बार दर्शन को जाता है उसपे हनुमान जी की कृपा बरसती है जय बजरंग बली हनुमान हें महाबीर करा कल्याण .....साभार मनीष  शुक्ला

   

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आगरा प्रकरण को लेकर पत्रकारों ने महामहिम राज्यपाल को भेजा ज्ञापन|

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 जौनपुर। आगरा में बीते मंगलवार को समाचार संकलन के दौरान पत्रकारों के ऊपर बर्बर लाठीचार्ज के विरोध में मंगलवार को जनपद भर के पत्रकारों में खासा रोष दिखाई पड़ा। इसी को लेकर जनपद भर के पत्रकार कलेक्टेªट में एकत्रित होकर आगरा में पुलिस द्वारा पत्रकारों व छायाकारों पर किये गये लाठीचार्ज की निंदा किया। इसके बाद सभी पत्रकार महामहिम राज्यपाल को सम्बोधित मांगों का ज्ञापन जिलाधिकारी की अनुपस्थिति में उनके प्रतिनिधि नगर मजिस्टेªट को सौपा। पत्रकारों ने आरोपी पुलिस अधिकारियांे और पुलिसकर्मियों के खिलाफ विधिक कार्यवाही करने के अलावा घायल पत्रकारों का समुचित उपचार व मुआवजा देने की मांग किया। नगर मजिस्टेªट से मिलने वाले प्रतिनिधिमण्डल में मुख्य रूप से अनिल पाण्डेय, आईबी सिंह, विनोद तिवारी, राजेश श्रीवास्तव, राजकुमार सिंह, हसनैन कमर दीपू, आरिफ हुसैनी, अजीत सिंह, मो. जावेद, विश्व प्रकाश श्रीवास्तव, जेडी सिंह, अजीत सोनी, राजन मिश्रा, मेराज अहमद, दीपक सिंह, राहुल, नीतिश, कृष्णा यादव, गौरव उपाध्याय, पंकज, मोहम्मद अरशद, सोहराब, राज बहादुर यादव के अलावाश्प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया के तमाम पत्रकार, छायाकार आदि शामिल रहे।


केरार बीर व किला मरीन का पूजन व यज्ञ से होती है मनोकामना पूर्ण|

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 करार बीर का  मंदिर गोमती नदी के उत्तरी तट पे क़िले पे पश्चिम और दख्खीन के कोने पे है | सद्भावना पुल के कोने पे ये मंदिर  स्थित है जो देखने में अब एक आम मंदिर जैसा ही दिखता  है ।  देख कोई ये नहीं कह सकता कि ये बहुत पुराना मंदिर है । वहां मौजूद  पुजारी जी ने बड़े प्रेम से इस मंदिर  के बारे में बताया लेकिन वो भी इसे १२५ साल पुराना  ही बता सके । ये जौनपुर का प्राचीनतम मंदिर है जो जौनपुर आबाद होने के बहुत पहले निर्माण हुआ था | इस समय मंदिर का प्राचीन भवन मौजूद नही है लेकिन पत्थर की ठोस मूर्ती जो बडे आकार की है आज भी मौजूद है |

इसके बारे मे मशहूर है की अयोध्या के राजा राम चंद्र जी के काल मे यहा करार बीर नामक दुष्ट रहता था जो आने जाने वाले यात्रियो को कष्ट पहुचाता था | राजा राम चंद्र को जब पता लगा तो यहा आ के उसकी हत्या कर दी और लोगो को कष्ट से मुक्ती दिल्वाई | सन ११६८ ईसवी मे राजा विजय चंद्र ने करार बीर का मंदिर बनवाया | लेकिन राजा विजय चंद्र ने करार बीर का मंदिर बनवाया इस संबंध मे मतभेद है |

गुरुनानक जयंती के एक दिन बाद दो दिन  दैत्य  केरार बीर व किला मरीन जो करार बीर दैत्य की बहन है दोनों लोगो का पूजन व यज्ञ बहुत भव्य होता है लोग दूर-दूर से अपना मनोकामना पूर्ण कर उनका दर्शन व उन्हें हलुवा पुड़ी चढाते है जैसे जिसने माना हो वो उस प्रकार से चढावा चढ़ता है इनको ज्यादा मुर्गा ,खसी व दारू दोनों लोगो को चढ़ता है यही उनको पसंद है इनके यहा जो सच्चे दिल से मांगता है उनकी मुराद अवस्य पूर्ण होता है क्यू की इनपे प्रभु श्री राम की कृपा है जा प्रभु ने दैत्य केरार बीर का वध किया तो उन्हों ने आशिर्वाद दिया की तुम्हे मेरे नाम से नहीं बल्कि लोग तुम्हे तुम्हारे नाम से ही पूजें गे इस लिए इस मन्दिर का नाम केरार बीर पड़ा|






जौनपुर में देव दीपावली

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जौनपुर में देव दीपावली की सुन्दरता देखते ही बनती है ऐसा  लगता है जैसे  जौनपुर की घाटों को मानो दुल्हन की तरह सजा दिया गया हो आज तो जौनपुर की सुन्दरता को जैसे चार-चाँद लग गया हो नक्खास की नवशिव दुर्गा मन्दिर ,अंचल घाट की घाट ,बड़े हनुमान जी घाट व चौकिया  मन्दिर की सजावट मनमोह लेने वाली थी मानो जैसे सारे देवी देवता एक साथ धरती पे उतर गए हो वहां  रंगोली प्रतियोगिता भी थी जिसकी  रंगोली सबसे सुन्दर थी उसे संस्था जन द्वारा सम्मानित किया गया साथ ही रंगा-रंग कार्यक्रम कई घाटों पे आयोजित थे । धार्मिक संस्था श्री संकट मोचन संगठन के बैनर तले नखास के गोपी घाट (शाही पुल के बगल) को बुधवार को देव दीपावली के दिन 10001 दीपों से सजाया गया। साथ ही बगल स्थित शिवमंदिर को भी सजाया गया जिसे देखने के लिये हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी। इस दौरान आयोजन समिति द्वारा हवन-पूजन के साथ आदि गंगा गोमती की आरती उतारी गयी जहां हुये जयघोष से पूरा वातावरण गूंज उठा। इसके पहले रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन हुआ जहां निर्णायक मण्डल द्वारा प्रथम, द्वितीय व तृतीय प्रतिभागी का चयन हुआ जिन्हें स्मृति चिन्ह देकर पुरस्कृत किया गया। प्रतियोगिता में कुल 15 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जहां निर्णायक मण्डल में सुरेन्द्र दूबे, साधना दूबे, सीमा तिवारी, डा. प्रीति सिंह, आदित्य चैधरी व विकास निषाद रहे। निर्णय के अनुसार शिवांगी कश्यप प्रथम, दिव्या रावत द्वितीय व तनुश्री साहू तृतीय आयी। इसके बाद शाम होते ही पूरे घाट को 10001 दीपों से सजाया गया जिसे देखकर लगा कि मानो आसमान के तारे जमीन पर उतर आये हैं। इस दौरान जनपद का प्राचीनतम आदर्श अखाड़ा द्वारा अद्भुत आतिशबाजी का नजारा पेश किया गया जो लोगों के लिये आकर्षण का केन्द्र बना रहा। 








जौनपुर का ऐति‍हासि‍क महत्व |

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जौनपुर शहर गोमती नदी के किनारे बसा एक सुंदर शहर है जो अपना एक वि‍शि‍ष्‍ट ऐति‍हासि‍क, धार्मिक  एवं राजनैति‍क अस्‍ति‍त्‍व रखता है| यहाँ पे गोमती नदी की सुन्दरता आज भी देखते ही बनती है और आज भी इसके शांतिमय  तट लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं |कभी यह तट तपस्‍वी, ऋषि‍यों एवं महाऋषि‍यों के चि‍न्‍तन व मनन का एक प्रमुख  स्‍थल हुआ करता था था। इसी कारण से आज भी गोमती किनारे यहाँ बहुत से मंदिर देखे जा सकते हैं जहां जा के शांति का एहसास हुआ करता है | यहीं महर्षि‍ यमदग्‍नि‍ अपने पुत्र परशुराम के साथ रहा करते थे | बौध सभ्यता से ले कर रघुवंशी क्षत्रि‍यों वत्‍सगोत्री, दुर्गवंशी तथा व्‍यास क्षत्रि‍य,भरो एवं सोइरि‍यों का यहाँ राज रहा है | कन्नौज से राजा  जयचंद जब यहाँ आया तो गोमती नदी की सुन्दरता से मोहित हो के उसने यहाँ अपना एक महल जाफराबाद जौनपुर में नदी किनारे बनाया जिसके खंडहर आज भी मौजूद हैं | उसके बाद आये यहाँ शार्की जिनके काल में हि‍न्‍दु - मुस्‍लि‍म साम्‍प्रदायि‍क सदभाव का अनूठा दि‍गदर्शन रहा और जो वि‍रासत में आज भी वि‍द्यमान है। बोद्ध सभ्यता के निशाँ तो अब यहाँ बाक़ी नहीं रहे लेकिन ऐतिहासिक  मंदिरों और शार्की काल में बने भव्‍य भवनों, मस्‍जि‍दों व मकबरों के निशाँ आज भी इस शहर के वैभव की कहानी कह रहे हैं |1484 ई0 से 1525 ई0 तक लोदी वंश का जौनपुर की गद्दी पर आधि‍पत्‍य रहा| इब्राहीम लोधी ने जौनपुर शहरकी सुन्दरता को ग्रहण लगा दिया और यहाँ की मस्जिदों और भव्य इमारतो को बेदर्दी के साथ तोडा | आज जौनपुर में जो खंडहर मिला करते हैं वो सभी इब्राहीम लोधी के ज़ुल्म की कहानी कहते हैं | यहाँ शाही पुल से पहले सड़क किनारे राखी एक गज सिंह की मूर्ति अपने आप में जौनपुर के इतिहास की एक ऐसी कहानी कह रही है जिसे आज तक कोई सुलझा नहीं पाया |

आज जौनपुर में गंगा जमुनी तहजीब और साम्‍प्रदायि‍क सदभाव  को महसूस किया जा सकता है | पुराने मंदिरों, मस्जिदों और इमामबाड़ों ने इसे हर तरफ से सजाया हुआ है | दशहरा दिवाली में नवरात्री, दुर्गा पूजा और रमजान ,मुहर्रम में इफ्तारी और अज़ादारी का माहोल रहता है और ऐसा लगता है पूरा जौनपुर इसके रंग में रंग गया है |


 जौनपुर शहर का नाम जौनपुर अपने संस्‍थापक जूना शाह के नाम पर सन् 1360 में रखा गया। मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने इसे शिराज़ ऐ हिन्द के खिलात से नवाज़ा | जनपद जौनपुर वाराणसी मण्‍डल के उत्‍तरी- पश्‍चि‍मी भाग में स्‍थि‍त है जिसका  भू-भाग 25.24 और 26.12 के उत्‍तरी अक्षांश तथा 82.7 और 83.5 पूर्वी देशान्‍तर के मध्‍य में है। यह समुद्र सतह से 261-290 फीट की उचॉई पर बसा हुआ है। गोमती एवं सई यहॉ की प्रमुख एवं अनवरत बहने वाली नदि‍यॉ है। इसके अति‍रि‍क्‍त वरूणा, बसुही, पीली, मामुर एवं गांगी यहॉ की छोटी नदि‍यॉ है। यहाँ के ऐतिहासिक स्थलों के करार बियर का मंदिर,शीतला चौकिय, मैहर देवी का मदिर, बड़े हनुमान का मंदिर ,शाही किला, बड़ी मस्जिद, अटला मस्जिद , खालिस मुखलिस मस्जिद,झझरी मस्‍जि‍द-, लाल दरवाज़ा, शाह पंजा ,हमजापुर का इमामबाडा ,सदर इमामबाडा ,बारादरी ,मकबरा ,राजा श्री कृष्‍ण दत्‍त द्वारा धर्मापुर में निर्मित शिवमंदिर, नगरस्‍थ हिन्‍दी भवन, केराकत में काली मंदिर, हर्षकालीनशिवलिंग गोमतेश्‍वर महादेव (केराकत), वन विहार, परमहंस का समाधि स्‍थल(ग्राम औका, धनियामउ), गौरीशंकर मंदिर (सुजानगंज), गुरूद्वारा(रासमंडल), हनुमान मंदिर(रासमंडल), शारदा मंदिर(परमानतपुर), विजेथुआ महावीर, कबीर मठ (बडैया मडियाहू) आदि महत्‍वपूर्ण है।


जौनपुर शहर की 6 फीट लम्बी मूली ,जमैथा का खरबूजा ,चमेली का तेल ,इत्र और इमरती बहुत मशहूर है | यहाँ की बेनीराम की इमरती देश विदेश तक जाती है | तम्बाकू और मक्के की खेती यहाँ अधिक होती है |सूती कपडे ,इत्र और चमेली के तेल के उद्योग के लिए जौनपुर बहुत प्रसिद्ध है | देश की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में प्रचलित काशी जनपद के निकट होने के कारण अक्सर पर्यटक यहाँ का रुख भी करते हैं और इसकी सराहना भी करते हैं लेकिन स्तरीय सुविधाओं के अभाव में पर्यटक न तो यहाँ ठीक से घूम पाते हैं और न ही यहाँ कुछ दिनों तक रह पाते हैं | हालांकि जनपद को पर्यटक स्थल के रूप में घोषित कराने का प्रयास कुछ राजनेताओं व जिलाधिकारियों द्वारा किया गया लेकिन वे प्रयास फिलहाल ना काफी ही साबित हुआ |महाभारत काल में वर्णित महर्षि यमदग्नि की तपोस्थली जमैथा ग्राम जहां परशुराम ने धर्नुविद्या का प्रशिक्षण लिया था। गोमती नदी तट परस्थित वह स्थल आज भी क्षेत्रवासियों के आस्था का केन्द्र बिन्दु बना हुआ है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण तो यह है कि उक्त स्थल के समुचित विकास को कौन कहे वहां तक आने-जाने की सुगम व्यवस्था आज तक नहीं की जा सकी है|


जौनपुर के शाही पुल से ये जलाल पुर का पुल लगभग १७५ साल पुराना है

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सिकंदर लोधी जब जौनपुर को तबाह कर के और हुसैन शाह शार्की को पराजित करके बंगाल चला गया तो उसने अपने लड़के जलालखा को को शार्की राज्य का प्रशासक बना दिया । लेकिन उस समय के हालात को देखते हुयी जलाल खा को जौनपुर में रहना उचित नहीं लगा और वो जौनपुर से १० किलोमीटर दूर पूर्व की ओर रहना पसंद किया और वहाँ पे एक महल बनाया और उस इलाक़े को अपने नाम पे जलालपुर नाम दिया और उसे रमणीक बनाने का   प्र त्न भी किया । सई नदी के किनारे उसने नौ  लाख का एक पथ्थर का पुल  का निर्माण करवाया । सिकंदर लोधी के बाद उसका बड़ा बेटा इब्राहिम लोधी गद्दी पे बैठा और उसने अपने भाई जलाल खा को जौनपुर से बुलवा लिया लेकिन  जलाल खा ने किसी  किसी भय के कारण उस आज्ञा का पालन नहीं किया और कालपी  भाग गया ।
इब्राहिम लोधी ने फिर दरया  खा लोहानी को जौनपुर का प्रशासक  बना के के खुद कालपी जलाल खा के पीछे चला गया  । जौनपुर के शाही पुल  से ये जलाल पुर का पल लगभग १७५ साल पुराना है ।


शाही पुल और गोमती का किनारा बेहतरीन नज़ारा

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 शर्कीकाल में जौनपुर में अनेकों भव्‍य भवनों, मस्‍जि‍दों व मकबरों का र्नि‍माण हुआ. फि‍रोजशाह ने 1393 ई0 में अटाला मस्‍जि‍द की नींव डाली थी, लेकि‍न 1408  ई0 में इब्राहि‍म शाह ने पूरा कि‍या.इब्राहि‍म शाह ने जामा मस्‍जि‍द एवं बड़ी मस्‍जि‍द का र्नि‍माण प्रारम्‍भ कराया, इसे हूसेन शाह ने पूरा कि‍या। शि‍क्षा, संस्‍क़ृति‍, संगीत, कला और साहि‍त्‍य के क्षेत्र में अपना महत्‍वपूर्ण स्‍थान रखने वाले जनपद जौनपुर में हि‍न्‍दू- मुस्‍लि‍म साम्‍प्रदायि‍क सद् भाव का जो अनूठा स्‍वरूप शर्कीकाल में वि‍द्यमान रहा है, उसकी गंध आज भी वि‍द्यमान है.

शाही पुल- तारीख  के अनुसार जौनपुर के इस वि‍ख्‍यात शाही पुल का र्नि‍माण अकबर के शासनकाल में उनके आदेशानुसार सन् 1564 ई0 में मुनइन खानखाना ने करवाया था. यह भारत में अपने ढंग का अनूठा पुल है और इसकी मुख्‍य सड़क पृथ्‍वी तल पर र्नि‍मित है. पुल की चौड़ाई 26 फीट है जि‍सके दोनो तरफ 2 फीट 3 इंच चौड़ी मुंडेर है. दो ताखों के संधि‍ स्‍थल पर गुमटि‍यां र्नि‍मित है.पहले इन गुमटि‍यों में दुकाने लगा करती थी. पुल के उत्‍तर तरफ 10 व दक्षि‍ण तरफ 5 ताखें है, जो अष्‍ट कोणात्‍मक स्‍तम्‍भों पर थमा है.

शाही पुल से गोमती ओर किले का नज़ारा देखने योग्य हुआ करता है .
















जौनपुर का शाही पुल एक नज़्म .अनीस मुनीरी

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एक हिंदू एक मुस्लिम यानि दो राजों का राज
अहले इल्मो-फ़ज़्ल का था जमघटा
हुक्म चलता था यहां शाहाने शरक़ी का कभी
फिर हुकूमत हो गई शाही मुग़ल सुल्तान की
दानिशो-हिकमत का यहां था ग़लग़ला

खि़त्ता ए यूनान इसको जानिए
देखिए मस्जिद अटाला और कहिए वाह वाह
सरवरों की सरवरी पहचानिए
शायरों की शायरी है आज भी
दूसरों से कम नहीं थी कम नहीं है आज भी

आते आते हुक्मरानी आई आलमगीर की
जिसको औरंगज़ेब भी कहते हैं लोग
आदिलो-मुन्सिफ़ था ग़ाज़ी उसको रिआया थी अज़ीज़
हां जौनपुरी रिआया यूं परेशां हाल थी

जो नदी गुज़री हुई है शहर से
धीरे धीरे बढ़ते बढ़ते थी वबाले जान भी
बेबसी बेचारगी में मुब्तला थी ज़िंदगी
रफ़्ता रफ़्ता बात पहुंची हज़रत ए सुल्तान तक


शाह के इंजीनियर थे हुक्म की तामील में
रोज़ो शब कोशां रहे हर वक्त सरगरदां रहे
हुक्म मामूली न था फ़रमाने औरंगज़ेब था
ऐसा पुल तामीर हो जिसकी न हो कोई मिसाल

नाम रौशन हो हर इक मज़्दूर का
ईंट गारे और पत्थर की हक़ीक़त कुछ नहीं
दिल अगर कारीगरों का मुख़लिसो बेबाक हो
है वही पुल जो बना था तीन सदियों पेशतर

किस मसाले से बनाया पत्थरों को जोड़कर
आज तक कोई समझ पाया नहीं
कीमियागर सर पटकते रह गए
थे वही सब संगो खि़श्त लेकिन जौनपुरी दिमाग़ ?

और शाही परवरिश के साथ वो नामो नुमूद
आज तक पैदा न कर पाया कोई भी नामवर
एक भी पत्थर निकल जाए अगर
जोड़ने वाला कोई पैदा नहीं
शहर के कारीगरों को कीजिए झुक कर सलाम
काम से रौशन हुआ करता है नाम

शायर
अनीस मुनीरी , एम. ए.
दीवान - रम ए आहू
पृष्ठ सं. 136-138
किताब मिलने का पता
मदरसा क़ासिम उल उलूम
अंसार नगर, रखियाल रोड
अहमदाबाद 23
साभार

जौनपुर का इतिहास शाही घरानों और ज़मींदार घरानों से भरा पड़ा है |

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जौनपुर का इतिहास शाही घरानों और ज़मींदार घरानों से भरा पड़ा है | बहुत से घराने ऐसे हैं जो देश के दुसरे हिस्सों में या विदेश में जा के बस गए लेकिन बहुत से ऐसे घराने से जुड़े लोग आज भी जौनपुर में रहते हैं | ऐसा ही एक घराना है खान बहादुर दीवान काशी नरेश अली जामिन का जिनकी पौत्री से मेरा विवाह हुआ | सय्यद अली जामिन का जन्म सन १८८४ में हुआ जो जौनपुर कजगांव के रहने वाले थे |उन्होंने अपना करियर डिप्टी कलेक्टर ही हैसीयत से शुरू किया और सन १९३९ में काशी नरेश राजा आदित्य नारायण सिंह ने अली जामिन को दीवान काशी नरेश बना दिया | अपने अंतिम समय में राजा आदित्य नारायण सिंह ने दीवान अली जामिन साहब को बुलाया और अपने १२ साल के पुत्र विभूति नारायण का हाथ उनके हाथ में दे दिया | जुलाई १९47 में विभूति नारायण के हाथ में काशी की सत्ता दे दी गयी | १९४८ में खान बहादुर दीवान काशी नरेश अली जामिन को रामनगर में अपने भाषण के दौरान दिल का दौरा पड़ा उसके बाद अपनी खराब सेहत के कारण उन्होंने त्यागपत्र दे दिया| उनका देहांत सन १९५५ में हुआ | 16 सितम्बर १९४८ को दीवान काशी नरेश अली जामिन के त्यागपत्र देने के बाद हादी अखबार ने लिखा बनारस राज्य एक हिन्दू राज्य होने के बाद भी अधिकतर वहाँ के दीवान जौनपुर के सय्यिद हुआ करते थे जिनके बनारस स्टेट में बहुत अधिक अधिकार प्राप्त थे और स्येद अली जामिन उनमे से अंतिम दीवान थे | 1788 से 1948 तक इस एक सय्येद परिवार के लोग बनारस स्टेट में उच्च पदो पे और दीवान रहे हैं |



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