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जौनपुर के शिवाला घाट और पानदरीबा में है प्राचीन ऐतिहासिक पांच शिवाला मन्दिर|

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शिव का शाब्दिक अर्थ कल्याण, सुख व आनंद वेदों व शास्त्रों में बताया गया है | जौनपुर और आस पास बहुत से प्राचीन और ऐतिहासिक शिव मंदिर पाए जाते है जिनमे से पानदरीबा और शिवाला घाट के मंदिर का बहुत महत्व है | 
यह मंदिर जौनपुर के पानदरीबा मोहल्ले में स्थित है जिसे दीवान काशी नरेश बन्धुलाल के बनवाया था । ये पहले वहाँ पे उप दीवान थे फिर जब  राजा चेट सिंह ने रियासत संभाली तो इन्हे दीवान बना दिया ।इन्होने दीवान रहते समय प्रचुर धन एकत्रित किया और जौनपुर के पुरानी बाजार इलाक़े में कुछ भवन और एक शिवाला बनवाया जिसमे से आज केवल शिवाला बचा है बाक़ी सब उनके घराने वालों ने बेच दिया ।


दूसरा शिवाला गोमती किनारे शिवाला घाट  पे है का रास्ता मियांपुर से है इनके घाट को शिवाला घाट के नाम से जाना जाता है
शिवाला घाट का शिव मंदिर 




जौनपुर के शाही घराने -ज़ुल्क़दर बहादुर सय्यद नासिर अली |

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सय्यद नासिर अली ज़ुल्क़द्र बहादुर जौनपुर के मशहूर ज्ञानी संत सय्यद अली दाऊद की नस्ल से थे जो आज से ७०० वर्ष पहले जौनपुर पे बस गए थे | जनाब सय्यद अली दाऊद  साहब हजरत मुहम्मद (स.अ.व) की 21 वीं नस्ल थे और बहुत ज्ञानी थे | 

शार्की  समय में हुआ जौनपुर में महान संतो का आगमन जिनकी नस्ले आज भी यहां रहती है ।  जौनपुर में इब्राहिम शार्की का नाम ,उसका इन्साफ और नेकदिली की बातें सुन के तैमूर के आक्रमण के कारण बहुत से अमीर ,विद्वान, प्रतिष्ठित व्यक्ति ,कलाकार जौनपुर में शरण लेने आने लगे । इब्राहिम शाह ने हर महान संतो, विद्वानो और कलाकारों को इज़्ज़त दी और पद,जागीर इत्यादि दे के सम्मानित किया और जौनपुर में बसाया ।

बहुत मशहूर है कि इब्राहिम शाह के दौर में ईद और बकरईद पे नौ सौ चौरासी विद्वानो की पालकियां निकला करती थी जिनमे से एक सय्यद अली दाऊद भी थे जिनकी नस्ल से सय्यद नासिर अली ज़ुल्क़द्र बहादुर का सम्बन्ध था |
सय्यद अली दाऊद एक मशहूर  संत थे लाल दरवाज़ा मस्जिद के मदरसे हुसैनिया में पढ़ाते थे और उनको शार्की  महारानी बीबी राजे ने चित्रसारी के पास रहने को घर और कुछ गाँव दिए थे | आज यह इलाका जहां सय्यद अली दाऊद रहा करते थे मुहम्मद हसन कॉलेज पे पीछे पड़ता है जिसका नाम आज बी सदल्ली पुर (सय्यद अली पुर) है और यंही पे सय्यद अली दाऊद  क़ुतुबुद्दीन साहब की कब्र भी मौजूद है जिसपे कुछ हिन्दू घर चादर और फूल आज भी अकीदत से चढाते हैं | REF: Tajalli e Noor  and Ibid

सय्यद अली दाऊद को लाल दरवाज़ा के सामने मुहल्लाह सिपाह गाह में भी रहने का एक घर दिया गया था जिसके निशाँ आज भी मौजूद हैं | इनके  घराने वाले इब्राहिम लोधी द्वारा उस इलाके को नष्ट करने के बाद वहाँ नहीं रहे और लाल दरवाज़ा से अलग हमाम दरवाज़ा पे आ गए फिर कटघरे से होते हुए आज पान दरीबा में बस गए जहां आज भी उनका खानदान रहता है  |

सय्यद नासिर अली ज़ुल्क़द्र बहादुर  ने  दीवान काशी नरेश मौलवी गुलशन अली कजगाँवी से इन्होने शिक्षा प्राप्त की और बाद में अंग्रेज़ी सरकार में उच्च पद पे नौकरी  कर ली । अपनी योग्यता और कुशलता के चलते उस समय इन्हे डिप्टी कलक्टर का पद प्राप्त हुआ जहाँ इनकी तख्वाह ७०० रुपये महीना थी । इनको बाद में ज़ुल्क़द्र बहादुर और खान बहादुर का खिताब भी मिला | अपने अंतिम समय में  १८६६ पे जिलाधीश की पदवी पे रहते इनका देहांत इलाहबाद में हो गया । 

उनके घराने का एक घर जिसे आज मदरसा नासरिया के नाम से जाना जाता है आज भी मौजूद है जिसे उन लोगों ने वहाँ से पानदरीबा जाते वक़्त वक्फ कर दिया था|  यह घराना जौनपुर में ७०० साल पुराना है जिसे आज लोग अपने समय के मशहूर सय्यद ज़मींदार खान बहादुर ज़ुल्क़द्र के घराने के नाम से जानते हैं | इनके रिश्तेदार पानदरीबा,सिपाह और कजगांव में फैले हुए हैं |  लाल दरवाज़े के पास एक मुहल्लाह सिपाह गाह है जिसे बीबी राजे ने बसाया था और वहाँ पे एक विहार और महिलाओ का कॉलेज १४४१ में बनवाया और उसके बाद यह लाल दरवाज़ा मस्जिद बनवाई |

जौनपुर के इस ७०० साल पुराने घराने का ज़िक्र इतिहास की किताबो में मिलता है जिनमे से "IBID"जौनपुर नामा कुछ ख़ास किताबें  है | १९६५ में एक शजरा (Race Chart} कजगांव  में सय्यद मुहम्मद जाफ़र साहब ने छपवाया और ऐसा ही एक शजरा इंग्लैण्ड से भी छपा है जो इस खानदान वालों के पास देखा जा सकता है |





आज की प्रदूषित सईं नदी का उल्लेख श्री राम चरित मानस में भी है

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रिवर सईं 

हमारे जौनपुर जिला मुख्यालय से ५० किलोमीटर दूर एक बाज़ार है नाम है सुजानगंज इसी बाज़ार के पास से ही प्राचीन नदी "सई"गुजरती है जो कि पूरे क्षेत्र के लिए वरदान से कम नहीं है ,लेकिन वह वरदान अब अभिशाप होने जा रहा है .पूरी की पूरी नदी का पानी काला पड़ गया है .इंसानों की बात तो दूर जानवर भी आस-पास नहीं फटकते .मछलियाँ ही नहीं , नदी में कोई भी जलीय जीव नहीं दिखाई पड़ता है| यह नदी काफी प्राचीन है इसका उल्लेख गोस्वामी तुलसी दास जी नें अपने श्री राम चरित मानस में भी किया है ,जब भरत जी चित्रकूट से वापस आ रहे थे -

सई उतरि गोमती नहाए ,चौथे दिवस अवधपुर आये |
जनकु रहे पुर बासर चारी ,राज काज सब साज सम्भारी ||
(अयोध्या कांड, दोहा संख्या ३२१)


कई सामाजिक संगठन इस नदी में व्याप्त प्रदूषण के निवारण लिए संघर्ष कर रहें हैं पर कोई नहीं सुन रहा है मुझे लगता है यह हालात तो वाकई चिंता जनक है लेकिन सरकारी महकमें को और जल प्रदूषण विभाग को यह भयावह हालात क्यों नहीं दिख रहा है

ये नदियाँ हमारी जिंदगानी हैं ,इनके बगैर हमारा भी कोई अस्तित्व न रहेगा .कौन हरेगा सई की पीडा को ? क्या इस दौर में फिर कोई भागीरथ पैदा होगा ? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो कि मुझे कल से ही बेचैन किये हैं . गंगा के लिए तो आवाज़ उठाने वाले कई हैं ,इन नदियों के लिए आवाज़ कौन उठाएगा ?


साभार ..... डॉ मनोज मिश्रा



हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षाएं 18 फरवरी से शुरू |

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उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षाएं 18 फरवरी से शुरू होंगी। यूपी बोर्ड सचिव शैल यादव ने बताया कि परीक्षाएं लगभग डेढ़ महीने तक चलेंगी।

18 फरवरी से शुरू होने पर हाईस्कूल के सीमित विषयों की परीक्षाएं लगभग 10 दिन में पूरी हो जाएंगी। इस बार होली मार्च के अंतिम पखवाड़े 23-24 मार्च को पड़ेगी। इससे परीक्षार्थियों को छुट्टी के दौरान परेशान नहीं होना पड़ेगा।




आज हो रहा है जौनपुर का तारीखी और चमत्कारी चहल्लुम|

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ताजिया  रखते वक़्त का मंज़र 

सलाम ऐ  आखिर  जिसे सुन की आँखें  रो उठती है । 









इतना बड़ा जन सैलाब पहले कहीं नहीं देखा |

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मौलाना सफ़दर हुसैन जैदी साहब किबला के बड़े पुत्र मौलाना शाज़ान जैदी साहब कर्बला में सैय्यदा के लाल हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और 72 शहीदों का चेहलुम करने इरान से पैदल कर्बला के सफर पर गये है | इस वक़्त मौलाना शाज़ान जैदी कर्बला पहुच गए है | मौलाना शाज़ान जैदी साहब किबला इस वक़्त इरान के कुम शहर में दर्स हासिल कर रहे है | उनके कर्बला जाने की ख़ुशी हम अपने लफ्जों में बयान नहीं कर सकते |  अल्लाह उनकी जियारत कबूल करे | और उनकी तौफिकात में इजाफा हो | आमीन |







फोटो : चेहल्लुम इमाम हुसैन (अ.स) जौनपुर

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जौनपुर | सैयदा के लाल कर्बला के शहीद हजरत इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों का चेहलुम शिराज़ेहिंद में गंगा जमुनी तहजीब के साथ मनाया जा रहा है | विश्वविख्यात इस्लाम मरहूम की चौक पर आज रात 8 बजे एतिहासिक चमत्कारी ताजिया जैसे ही रखा गया लोगो का हुजूम उमड़ पड़ा | लोग दहाड़े मारकर रोने बिलखने लगे | अंजुमन गुलशने इस्लाम के तत्वाधान ,में चमत्कारी ताजिया इमाम चौक पर स्थापित किया गया जिसमे लाखो की संख्या में पुरे विश्व से लोग मौजूद रहे | जिसके बाद अंजुमन गुलशने इस्लाम ने "चेहलुम तेरा करने के लिए आई हु भैय्या "नौहा पढ़ा तो पूरा वातावरण ग़मगीन हो गया |

विदित हो की  सैकड़ो साल से जौनपुर में चेहलुम के 2 दिन पूर्व इस्लाम मरहूम के चौक पर चमत्कारी चेहलुम मनाया जाता है | जिसका विश्व के क्षितिज पर अपना एक अलग मुकाम है | ताजिया रखने के बाद लोगो का मन्नतो का मांगना और नज़र नियाज़ का कार्यक्रम जारी रहता है जिसमे हिन्दू मुस्लिम सभी संप्रदाय के लोग शिरकत करते है | पूरी रात जिले की मातमी अंजुमने नौहा मातम करेगी तो वही अंजुमन ज़ुल्फेकारिया और अंजुमन गुलशने इस्लाम आग में दहकती हुयी ज़ंजीर का मातम करेगी | इस मौके पर चेहलुम कमेटी के संयोजक हाजी असगर जैदी , कबीर हसन जैदी , लाडले जैदी , अकबर हुसैन जैदी एडवोकेट , मीर बहादुर अली , हैदर अब्बास अफताब सहित दर्जनों लोग जायरीन की खिदमत में लगे है | इस मौके पर धर्मगुरु मौलाना सफ़दर हुसैन जैदी भी मौजूद रहे |








विडियो : जौनपुर इस्लाम चौक से उठा ऐतिहासिक चेहलुम का जुलूस

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जौनपुर इस्लाम चौक से उठा ऐतिहासिक चेहलुम का जुलूस ......-यू तो पूरी दुनिया में चेहलुम कल मनाया जायेगा लेकिन शिराज़े हिंद जौनपुर मे एक दिन पहेले मनाया जाता है कर्बला के शहीद हजरत इमाम हुसैन व उनके ७१ साथियों की याद मे इस्लाम चौक का एतिहासिक चेहलुम की शबेदारी मे देश के कोने कोने से आये हाजरो अज़दारो ने पूरी रात नौहा मातम क़र नजराने अकीदत पेश किया इस्लाम चौक पर इमाम हुसैन का ताजिया रखने के बाद लोगो ने अपनी अपनी मन्नते मांगी व उतारी इस शबेदारी व चहलुम ने सभी मज़हबो मिल्लत के लोगशामिल होते है ]
-इस्लाम के चौक पर इकठा हुए यह अज़ादार उस मजलूम इमाम हुसैन का चहलुम मनाने के लिए आये है जिन्हे १४०० साल पहले कर्बला मे यज़ीदी हुकूमत ने तीन दिन का भूखा शहीद क़र दिया था ,वैसे तो पूरी दुनिया इमाम का चहलुम बीस सफ़र को मनाती है पर यहाँ दो दिन पहले से लोग चहलुम मनाना शुरू क़र देते है ,यहाँ १७४६ मे शेख इस्लाम के दवरा ताजिया १० मोहरम को रखा गया था ,पर उन्हे हुकूमत ने कैद क़र जेल मे ड़ाल दिया था ,जब उन्हे रिहा किया गया तो इसी ताजिया को दफनाए वे सदर इमामबाड़े ले गए ,आज वही परम्परा जारी है ,इमामबाड़े से ताजिये को निकाल क़र जैसे ही चौक पर रखा गया ,हिन्दू हो या मुसलमान सभी ने नम आखो से नौहा मातम करते हुए अपनी अपनी मन्नते मागी व उतारी
इस शबेदारी मे देश ही नहीं विदेशो से भी लोग आते है हिन्दू भी मातम क़र इमाम को नजराने अकीदत पेश करते है
पूरी रात अज़दारो ने नौहा मातम क़र इमाम को पुरसा दिया ज़ंजीरो व छुरियो से मातम क़र लोगो ने अपना लहू भी बहाया आज यही से ताजिया व तुर्बत का विशाल जुलूस निकले गया और सदर इमामबाड़े मे लेजा क़र दफनाया , सायद यही वजह है की इस चहलुम मे आज भी लोग अपना सब कुछ छोड़ क़र शामिल होने आते है 

.........कमर हसनैन दीपू 

ताजिया  रखते वक़्त का मंज़र 

सलाम ऐ  आखिर  जिसे सुन की आँखें  रो उठती है । 






"जौनपुर का इतिहास"के लेखक और पूर्व सूचना उप निदेशक त्रिपुरारी भास्कर जी का लखनऊ में आकस्मिक निधन |

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त्रिपुरारी भास्कर
दुःख की खबर है की "जौनपुर का इतिहास"के लेखक और पूर्व सूचना उप निदेशक त्रिपुरारी भास्कर जी का लखनऊ में आकस्मिक निधन लखनऊ में २५/११ २०१५  को रात ११ :४५ पे हो गया । त्रिपुरारी भास्कर जी ८४ वर्ष के थे ।

अभी २ महीने पहले ही मेरी मुलाक़ात गुलरघाट जौनपुर निवासी त्रिपुरारी भास्कर जी से उनके लखनऊ के निवास स्थान पे हुयी थी जिसे मैंने "हमारा जौनपुर "पे पेश किया था ।  त्रिपुरारी भास्कर जी को अपने वतन जौनपर से बड़ा प्रेम था और उन्होंने जौनपुर पे एक किताब १९६० में बड़े गहन अध्ध्यन के बाद लिखी जिसका नाम उन्होंने "जौनपुर का इतिहास" रखा ।

८४ वर्ष के  त्रिपुरारी जी के सामने जब मैंने मुलाक़ात के समय जौनपुर का नाम लिया तो उनकी बूढी आँखों में एक चमक सी आ गयी और जब उन्हें पता चला की मैं भी जौनपुर के लिए काम कर रहा हूँ तो उनकी आँखों में मैंने एक आशा की किरण देखी कि जौनपुर को विश्व पटल  पे उसका सही स्थान दिलवाने की जो मुहीम उन्होंने चलायी थी शायद वो मेरे ज़रिये पूरी हो जाय और बात चीत के दौरान उन्होंने ये कह ही दिया कोशिश करें की जौनपुर पर्यटक छेत्र घोषित हो जाय और इसकी तरक़्क़ी हो सके ।

आज त्रिपुरारी जी हमारे  बीच नहीं  रहे लेकिन उनका  काम जौनपुर के  लिए हमेशा याद किया जाता  रहेगा रहेगा

मुझसे मुलाक़ात के  समय  उन्होंने अपने वतन जौनपुर के लोगों के लिए एक संदेश भी  दिया था  जो आप  लोगो के सामने है ।
....... एस एम मासूम

 

जानिये जौनपुर शाही क़िले के रहस्यों के बारे में |

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जौनपुर का शाही क़िला अपने मूल अकार में आज नहीं है ।

इस क़िले का निर्माण फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ने जौनपुर आबाद करने के बाद १३६२ इ०  में किया । इसमें अलग अलग काल में परिवर्तन किये जाते रहे इसलिए इसका मूल अकार अब समझ में नहीं आता है । लेकिन आज भी ये क़िला बहुत ही भव्य और अच्छी हालत में है ।

शार्की बादशाहो ने क़िले के अंदर मिश्री ढंग की एक मस्जिद और तुर्की स्नानगृह का निर्माण करवाया । सिकंदर लोधी ने इस क़िले को बहुत नुकसान पहुंचाया लेकिन हुमांयू बादशाह ने इसकी मरम्मत बाबा जलयर बेग से करवाई । इस  क़िले में अकबर बादशाह अक्सर आया करता था और राजगद्दी पे भी बैठता था । जौनपुर के प्रबंधक मुनीम खानखाना ने नए सिरे से इसी बनवाया।

 शाही क़िले के गेट पे लगे खम्बे पे फारसी में क्या लिखा है । 

शाही क़िले के गेट पे ही एक खम्बा लगा है  जिसपे फारसी में कुछ लिखा है और बचपन से सुना जो उसपे लिखे वाक्यों को पढ़ लेगा खज़ाना पा जायगा ।


जौनपुर शाही किले का बाहरी हिस्सा जिसे मुइन खान खाना ने बाद में बनवाया था |

जौनपुर के भव्य शाही किले  का निर्माण  फि‍रोज शाह ने 1362 में कराया था और इसका इस्तेमाल केवल शाही फ़ौज के लिए किया जाता था |  इसके सामने के शानदार फाटक को मुनीम खां ने सुरक्षा की दृष्‍टि‍ से बनवाया था तथा इसे नीले एवं पीले पत्‍थरों से सजाया गया था।

इसी बाहरी फाटक में दाखिल होने के पहले एक 6 फीट लम्बा खम्बा है जो एक गोल से चबूतरे पे लगा हुआ है | बचपन से सुना करता था की इस खम्बे पे लिखी इबारत को जिसने पढ़ लिया उसे दुनिया का खजाना मिल जायेगा |

इस बार जब मैं जौनपुर पहुंचा और ऐसे ही एक दिन किले की तरफ से होता हुआ मित्र से मिलने जा रहा था तो नज़र उसी खम्बे पे पद गयी और बचपन की बात याद आ गयी | जब मैं खम्बे पे पहुंचा तो वहाँ फारसी में कुछ इबारत लिखी मिली | मेरे साथ मेरे मित्र जनाब कैसर साहब भी थे जो पर्शियन (फ़ारसी) के अच्छे जानकार भी हैं मैंने उन्ही से पुछा भाई आप क्या इसे पढ़ सकते हैं तो खजाना मिल जाएगा |

उन्होंने भी कोशिश की और बाद में ताज्जुब की इबारत साफ़ है और इसे पढना भी आसान फिल जहालत भरी बातें समाज में कैसे फैल गयीं की खजाने का पता लिखा है ?



इस 6 फीट के खम्बे पे 17 लाइन की इबारत लिखी हुयी है | ये  शिला लेख गोलाकार चबुतरे पे लगा हुआ है और उस पे फारसी मे कुछ लिखा हुआ  है | इस शिला लेख की लिखावट सन ११८० हिजरी की है | इसको सैयेद मुहम्मद बशीर खां क़िलेदार ने शाह आलम जलालुद्दीन बादशाह तथा नवाब वज़ीर के समय मे लगवाया था |


यदि आप फ़ारसी जानते हैं तो आप भी इसे आसानी से पढ़ सकते हैं |


सय्यद मुहम्मद बशीर खान ने यहा के शासक और कोतवाल ,फौजदार और निवासियो को चेतावनी दी कि जौनपुर की आय मे सैयदो  व बेवाओं  तथा उनसे संबंधित और दीन की सहायता हेतू जो धन निश्चित है उसमे कोई कमी ना की जाय | हिन्दुओ को राम गंगा और त्रिवेणी और मुसलमानो को खुदा व रसूल (स.अ व ) व पंजतन पाख ,सहाबा और चाहारदा मासूम और सुन्नी हजरात को चार यार की क़सम है कि यदि उन्होंने इसका पालन नहीं किया तो खुदा और रसूल की उसपे  धिक्कार होगी और प्रलय के दिन मुख पे कालिमा  लगी होगी तथा नर्क निवासियो की पंक्ती मे शामिल होगा | बारह रबिउल अव्वल  ११८० हिजरी को इस शुभ कार्य का पत्थर  सैयेद मुहम्मद बशीर खां क़िलेदार ने लगवाया  |


   

जौनपुर शाही क़िले की दो क़ब्रो का राज़ क्या है ?

१८५७ की आज़ादी की लड़ाई का जौनपुर से पहला क्रांतिकारी थे राजा इदारत जहा जो १८५७ में  जौनपुर ,आज़मगढ़ ,बनारस, बलिया, तथा मिर्ज़ापुर प्रबंधक थे ।  जब अंग्रेज़ों ने राजा इदारत जहां से मालग़ुज़ारी मांगी तो उन्हने इंकार कर दिया और कहा हमने दिल्ली के बादशाह बहादुर शाह ज़फर को  बादशाह स्वीकार कर लिया है और  से मालग़ुज़ारीउन्ही को दी जाएगी ।

इस अस्वीक्रति पे अंग्रेज़ों ने जौनपुर के शाही क़िले पे जो राजा इदारत जहां की सत्ता का केंद्र था उसपे हमला कर दिया । राजा इदारत जहां उस समय चेहल्लुम के सिलसिले में मुबारकपुर गए हुए थे लेकिन दीवान महताब राय से अंग्रेजी फौज का सामना हो गया जो बहुत बहादुरी से लड़े लेकिन बाद में क़ैद कर लिए गए । इस झड़प में बहुत से लोग शहीद  हुए जिनकी क़ब्रें आज भी क़िले में मिलती हैं ।

आप जैसे ही क़िले में दाखिल होते हैं तो आप को बाए तरफ क़िले के ऊपर पथ्थरो के बीच बनी एक क़ब्र दिखाई देती है जिसपे हरे रंग की चादर चढ़ी रहती है । जब भी  आप किसी से पूछे तो वो आपको यही बताएगा की कोई बाबा या सूफी की मज़ार है । 

क़ब्र जिसे आज दरबार  ऐ  शहीद के नाम  से जाना जाता है  इनका नाम मेहदी जहाँ था और  इनका सम्बन्ध राजा इदारत जहां के परिवार से था जो इसी  क़िले की फ़ौज के कमांडर इन चीफ थे ।



इस बारे में जब मैंने  जनाब अंजुम साहब से  पूछा तो उन्होंने बताया की  ये क़ब्र जिसे आज दरबार  ऐ  शहीद के नाम  से जाना जाता है  इनका नाम मेहदी जहाँ था और  इनका सम्बन्ध राजा इदारत जहां के परिवार से था जो इसी  क़िले की फ़ौज के कमांडर इन चीफ थे ।
 राजा अंजुम साहब ने बताया कि अंग्रेज़ो के हमले में जब ये दोनों कमांडर शहीद हो गए तो लोगो ने इन्हे क़ब्रिस्तान में ले जाने की कोशिश की लेकिन इनको हटा नहीं सके और मजबूर हो के क़िले के उसी हिस्से में दफ़न किया जहाँ ये शहीद हुए थे । 
 
दूसरी क़ब्र  जो क़िले के अंदरूनी हिस्से में मस्जिद के दाई सामने की ओर बनी है सफ़दर जहा की है जिनका रिश्ता भी राजा राजा इदारत जहां के परिवार से था और वो भी फ़ौज के कमांडर थे । 



जनाब अंजुम साहब, जिन्हे जौनपुर राजा अंजुम  के नाम से जानता है और इनके छोटे भाई जिन्हे  प्रिंस तनवीर शास्त्री के नाम से जानता है राजा इदारत जहां के खानदान से सम्बन्ध रखते है और जौनपुर में ही अटाला मस्जिद के  पास रहते हैं ।  जनाब राजा अंजुम और प्रिंस तनवीर शास्त्री साहब राजा इदारत जहां की सातवी नस्ल है ।

झंझरी मस्जिद सिपाह जौनपुर

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झंझरी मस्जिद सिपाह जौनपुर में  गोमती के दाहिने किनारे पे स्थित  है । इसको  इब्राहिम शाह  शार्की  ने अटाला तथा खालिस मुख्लिस मस्जिद के समय में बनवाया था । यह सिपाह मोहल्ला खुद इब्राहिम शाह शार्की ने बसाया था और यहां पे फौजी  ,सिपाही रहा करते थे । लेकिन इस इलाक़े में उस समय के कई मशहूर संत क़ाज़ी नसीरुद्दीन गुम्बदी ,हज़रत अबुल फतह सोब्रिस ,सय्यद सदर जहां अजमल ,मौलाना सिराजुद्दीन मिन्हाज इत्यादि रहा करते थे और इनके मदरसे और ख़ानक़ाहें भी  यही पे थी इसी लिए शर्क़ी बादशाहो को यहां पे एक मस्जिद बनवाने  की ज़रुरत हुयी ।

इस मस्जिद को के मेहराब की सुंदरता ऐसी है की कोई भी इसे देखे बिना यहां से नहीं जाता । इसीलिये इसका नाम झंझरी मस्जिद पड़ा । सिकंदर लोधी ने इसे ध्वस्त किया था लेकिन फिर भी इसका एक हिस्सा बच गया जिसपे आयतल कुर्सी लिखी हुयी है ।
आज भी आप इसकी सुंदरता को मोहल्ला सिपास जौनपुर में जा  के देख सकते हैं ।


अनगिनत रहस्य अपने में समेटे है यह जौनपुर |

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अनगिनत रहस्य अपने में समेटे है यह जौनपुर इसलिए यह कोशिश "हमारा  जौनपुर "अवश्य करेगा की उन रहस्यों से पर्दा  उठाया जा सके  ? 

जौनपुर के जलवायु यहां की मेहमान नवाज़ी , यहां की संस्कृति यहां का इतिहास अपने आपमें बहुत से रहस्यों को अपने आपमें समेटे हुए है जो आज रहस्य केवल इसीलिये बने हुए हैं क्यों की इतिहासकारो ने उसे अपने फायदे के अनुसार पेश किया कुछ छुपाया कुछ जोड़ा ,किवदंतियों को सच बताया जाने लगा और हकीकत को छुपाया जाने लगा । आज उन रहस्यों को समझने की आवश्यकता इसलिए महसूस की जाने लगी है क्यों की बहुत से चीज़ें अब विलुप्त होने लगी है जिन्हे सामने लाने और बचाने की आज आवश्यकता है । 

इतिहास की बातों की तो जाने दें पहले यहां के इंसानो के स्वभाव को ही देख लें सामने से देख के ऐसा लगता है जैसे यहां के रहने वाले या तो बड़े रूखे स्वभाव के हैं या चाटुकार है लेकिन ऐसा है नहीं । यहां के निवासी बहुत ही भोले स्वभाव के है और उन्हें वर्षों बेवक़ूफ़ बनाया जाता रहा है इसलिए वो जब लोगो से मिलते हैं तो अंदर से एक दर सा रहता है की कहीं सामने वाला उन्हें बेवक़ूफ़ न बना जाय । जिसके दिल में चोर नहीं होता वो सामने वाले  पे विशवास जल्द कर लेता है और अगर सामने वाला शातिर हुआ तो बेवक़ूफ़ बना के निकल जाता है । बार बार ऐसा होने से यहां के लोगों में यह कमी पैदा हो गयी की वो अब किसी पे विश्वास जल्द नहीं करते और सामने वाले से उनका फायदा होगा इसकी जगह यह सोंचते हैं की सामने वाला उन्हें बेवक़ूफ़ बना के निकल जाएगा । यहां के लोगो को वर्षों से लूटा जाता रहा और मूली मक्का और मक्कारी का नाम दे के बदनाम किया जाता रहा । सत्य यही है की एक बार आपने यहां के किसी व्यक्ति का विश्वास हासिल कर लिया तो समझिए आपके लिए अपनी जान भी दे देगा और इज़्ज़त तो इतने देगा की आपने जीवन में सोंचा भी नहीं होगा और इसके लिए न वो धर्म देकगेगा जा जाती बस उसे चाहिए विश्वासी और भरोसेमंद मित्र ।  

जौनपुर में जो भी बाहर से आया वो बोध हों आर्य हों ,मुग़ल ,तुग़लक़ हो या शर्क़ी यहां के लोगों ने उन्हें प्यार दिया ,यहां की सुंदरता देख यही बस गया । जौनपुर के लोगों ने कभी किसी को नहीं भगाया बल्कि वो आपस में ही आते गए बसाते है और एक दुसरे की सभ्यता को ख़त्म करते गए जिनके सुबूत आज भी खुदाई करते समय मिला करते है । 

तम्बाकू ,मूली हो या मक्का सब आज विलुप्त होने की कगार पे है जबकि पूरी दुनिया में जौनपुर जैसी ६ फ़ीट  की मूली कहीं नहीं पैदा होती और ना ही ऐसा मीठा मक्का मिलता है । यहां की नदियों के किनारे का शांत वातावरण जिसे हज़ारो सूफियों और ऋषियो को यहां बसने पे मजबूर कर दिया आज प्रदुषण से परेशान है ।  यहां की पुरानी इमारतें आज बदहाल हैं और उनका इतिहास छुपा हुआ है । 

आज आवश्यकता है जौनपुर की सच्ची पहचान को खोजने की और यहां की शान को वापस लाने की । 






जौनपुर के लोग क्या सच में मक्कार होते हैं ?

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अनगिनत रहस्य अपने में समेटे है यह जौनपुर इसलिए यह कोशिश "हमारा  जौनपुर "अवश्य करेगा की उन रहस्यों से पर्दा  उठाया जा सके  ?  


जौनपुर के जलवायु यहां की मेहमान नवाज़ी , यहां की संस्कृति यहां का इतिहास अपने आपमें बहुत से रहस्यों को अपने आपमें समेटे हुए है जो आज रहस्य केवल इसीलिये बने हुए हैं क्यों की इतिहासकारो ने उसे अपने फायदे के अनुसार पेश किया कुछ छुपाया कुछ जोड़ा ,किवदंतियों को सच बताया जाने लगा और हकीकत को छुपाया जाने लगा । आज उन रहस्यों को समझने की आवश्यकता इसलिए महसूस की जाने लगी है क्यों की बहुत से चीज़ें अब विलुप्त होने लगी है जिन्हे सामने लाने और बचाने की आज आवश्यकता है । 

इतिहास की बातों की तो जाने दें पहले यहां के इंसानो के स्वभाव को ही देख लें सामने से देख के ऐसा लगता है जैसे यहां के रहने वाले या तो बड़े रूखे स्वभाव के हैं या चाटुकार है लेकिन ऐसा है नहीं । यहां के निवासी बहुत ही भोले स्वभाव के है और उन्हें वर्षों बेवक़ूफ़ बनाया जाता रहा है इसलिए वो जब लोगो से मिलते हैं तो अंदर से एक दर सा रहता है की कहीं सामने वाला उन्हें बेवक़ूफ़ न बना जाय । जिसके दिल में चोर नहीं होता वो सामने वाले  पे विशवास जल्द कर लेता है और अगर सामने वाला शातिर हुआ तो बेवक़ूफ़ बना के निकल जाता है । बार बार ऐसा होने से यहां के लोगों में यह कमी पैदा हो गयी की वो अब किसी पे विश्वास जल्द नहीं करते और सामने वाले से उनका फायदा होगा इसकी जगह यह सोंचते हैं की सामने वाला उन्हें बेवक़ूफ़ बना के निकल जाएगा । यहां के लोगो को वर्षों से लूटा जाता रहा और मूली मक्का और मक्कारी का नाम दे के बदनाम किया जाता रहा । सत्य यही है की एक बार आपने यहां के किसी व्यक्ति का विश्वास हासिल कर लिया तो समझिए आपके लिए अपनी जान भी दे देगा और इज़्ज़त तो इतने देगा की आपने जीवन में सोंचा भी नहीं होगा और इसके लिए न वो धर्म देकगेगा जा जाती बस उसे चाहिए विश्वासी और भरोसेमंद मित्र ।  

जौनपुर में जो भी बाहर से आया वो बोध हों आर्य हों ,मुग़ल ,तुग़लक़ हो या शर्क़ी यहां के लोगों ने उन्हें प्यार दिया ,यहां की सुंदरता देख यही बस गया । जौनपुर के लोगों ने कभी किसी को नहीं भगाया बल्कि वो आपस में ही आते गए बसाते है और एक दुसरे की सभ्यता को ख़त्म करते गए जिनके सुबूत आज भी खुदाई करते समय मिला करते है । 

तम्बाकू ,मूली हो या मक्का सब आज विलुप्त होने की कगार पे है जबकि पूरी दुनिया में जौनपुर जैसी ६ फ़ीट  की मूली कहीं नहीं पैदा होती और ना ही ऐसा मीठा मक्का मिलता है । यहां की नदियों के किनारे का शांत वातावरण जिसे हज़ारो सूफियों और ऋषियो को यहां बसने पे मजबूर कर दिया आज प्रदुषण से परेशान है ।  यहां की पुरानी इमारतें आज बदहाल हैं और उनका इतिहास छुपा हुआ है ।

 




"हमारा जौनपुर "के हुए पांच वर्ष पूरे - एस एम् मासूम

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वतन से मुहब्बत  और  सोशल मीडिया  जब दोनों मिल जाएँ तो "हमारा जौनपुर डॉट कॉम  "जौनपुर सिटी डॉट इन "और "जौनपुर अज़ादारी डॉट कॉम"जैसे वेब पोर्टल का जन्म हुआ करता है |

आज से पांच वर्ष पहले जब मैं अंतरजाल की रहस्यमयी ,ताक़तवर दुनिया और मीडिया की ताक़त को समझने लगा था तो मैंने सोंचा क्यूँ ना अपने वतन जौनपुर के लिए कुछ किया जाय जिस से जौनपुर जिसे शिराज़ ऐ हिन्द कहा जाता है उसे विश्व में वो स्थान हासिल हो सके जो उसे मिलना चाहिए था और जौनपुर वासियों की प्रतिभाओं को विश्व के सामने लाया जा सके |

मैंने २०१० में जौनपुर को आगे लाने के लिए तीन वेब पोर्टल बनाए "हमारा जौनपुर डॉट कॉम  "जौनपुर सिटी डॉट इन "और "जौनपुर अज़ादारी डॉट कॉम"बनाय और केवल इतना ही नहीं जौनपुर में मीडिया से जुड़े प्रतिभाशाली लोगों को भी इस सोशल मीडिया की ताक़त से पहचान करवाई और उन्हें मैदान में उतारा जिनमे से कुछ बहुत कामयाबी के साथ आगे बढ़ रहे हैं |


आज हमारे इन वेबपोर्टल पे आने वालों की संख्या एक दिन में ही पूरे विश्व से सोलह से बीस हज़ार हो जाया करती है जिस से आप सभी समझ सकते हैं की इसकी आवाज़ कितनी दूर तक पहुँच रही है |

मेरी पूरी कोशिश रहती है की इन  जौनपुर से जुड़े वेब पोर्टल द्वारा  यहाँ का इतिहास यहाँ के लोगों की समस्याएं ,यहाँ की प्रतिभाओं  को पूरी दुनिया तक पहुंचा सकूँ |


यह भी सच है की पांच साल का यह कामयाब सफ़र पाठको सहयोगियों और शुभचिंतको के बिना संभव नहीं था |आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद इस आशा के साथ की आप का सहयोग आगे भी बना रहेगा क्यूँ की ये  मेरे वेबपोर्टल नहीं बल्कि हम सबका "हमारा जौनपुर "है |


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डीजे की आवाज सुनकर हाथी भड़क गया। देखिये विडियो

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जौनपुर। महराजगंज थाना क्षे के विझवट गांव में बारात के समय डीजे की आवाज सुनकर हाथी भड़क गया। उसने अपनी सूड़ से डीजे को वाहन समेत गढ्ढे में फेक दिया उसके बाद जमकर उत्पात मचाना शुरू कर दिया हाथी का रौद्र रूप देखकर बाराती घराती सभी दूर भाग गये। करीब तीन घंट बाद महावत के अथक प्रयास के बाद उसे काबू में किया गया।

मिली जानकारी के अनुसार महराजगंज थाना क्षेत्र विझवट गांव के निवासी श्याम नाराण सिंह के पुत्री की कल शादी थी। बारात सिगरामऊ  थाना क्षेत्र से आयी हुई थी। बारात हाथी घोड़े साथ जब द्वारचार के लिए जनवासे से निकली तो डीजे की तेज आवाज सुनकर हाथ भड़क गया। जब तक महावत उस पर काबू पाता तब तक हाथी डीजे को गाड़ी समेत उठाकर फेक दिया। हाथी का रौद्र रूप देखकर डीजे पर डांस कर रहे युवा और बाराती दूर भाग गये जिसके कारण पूरे इलाके मे दहशत का माहौल कायम हो गया। इस दौरान लखनऊ - वाराणसी राष्ट्रिय राज्य मार्ग भी कुछ देर के लिए जाम रहा | हलाकि हाथी को काबू में करने के लिए लोगो ने उसपर पत्थर ,लाठी और बरछी से प्रहार किया जिसके चलते हाथी बेहोश हो गया और उसे बेडियो में जकड कर बाधा गया | घायल हाथी देर रात में दम तोड़ दिया | करीब तीन घंटे तक महावत ने कड़ी मशकत करके उसको काबू में किया।









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जानिये हाथी और डीजे की पूरी दर्दनाक कहानी - विडियो और फोटो |

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डीजे का शोर  एक ऐसा शोर होता  है  जिसपे  इंसान नाचता  दिखाई देता  है और जो उस समारोह में हिस्सा नहीं  ले  रहा होता वो अपने कमरे  बंद  कर के डीजे के  आगे  बढ़  जाने  का इंतज़ार  डीजे वालों को कोसते हुए नज़र  आया  करता है |

बात कुछ भी हो  लेकिन डीजे का शोर इंसान  के  लिए नुकसानदायक होता  है और बहुत बार  असहनीय हो जाता हिया अगर कोई बीमार हो या हार्ट का मरीज़ हो | इस पे रोक लगाने की बातें भी हुआ करती हैं और बहुत बार रोक लगाने पे डीजे के शोर पे नाचने वालों की तरफ से एतराज़ भी हुआ करते हैं | मेरा खुद का मानना है  की  इस कर्कश आवाज़ वाले डीजे पे या तो प्रतिबन्ध लगे या फिर इसकी आवाज़ को कम किया जाय जिस से ये किसी के लिए असहनीय न हो पाए |

इंसान तो फिर भी सामाजिक दबाव में आ के बहुत सी बातो को सहन कर जाता है जो उसे नुकसान पहुंचाती हैं लेकिन जानवर तो फिर जानवर है उसका  तो मिज़ाज है जो असहनीय हो उसके खिलाफ शोर मचाओ |

कुछ ऐसा ही हुआ महराजगंज थाना क्षेत्र के विझवट गांव में बारात के समय डीजे की आवाज सुनकर हाथी भड़क गया। उसने अपनी सूड़ से डीजे को वाहन समेत गढ्ढे में फेक दिया उसके बाद जमकर उत्पात मचाना शुरू कर दिया |

हाथी को काबू में करने के लिए लोगो ने उसपर पत्थर ,लाठी और बरछी से प्रहार किया जिसके चलते हाथी बेहोश हो गया और उसे बेडियो में जकड कर बाधा गया |हाथी को काबू में करने के लिए किये गए वार से हाथी इतना घायल हो गया की बुधवार को रात में हाथी उठकर पास में ही एक सूखे तालाब में जाकर लेट गया वही  हाथी ने दम तोड़ दिया | मौत की खबर सुनकर वहा भारी संख्या में लोग उमड़ पड़े | आज सुबह जे सी बी से हाथी की कब्र खोदी गयी | जिसके बाद लोगो ने नम आँखों से हाथी को अंतिम विदाई दी | हाथी को दफन करते समय सभी की आँखों से आंसू निकल रहे थे | हाथी के मालिक राम आधार पाण्डेय अपने परिजनों के साथ मौजूद रहे |

हाथी  तो एक जानवर  है उसे ना तो हाथों से अधिक शोर सुनके कान बंद करना आता है और ना ही वो अपने वश में है की दूर चला जाया | उसे तो बस सहना था जो वो सह ना सका और विरोध करने लगा | नतीजे में उसकी जान चली गयी लेकिन हाथी की इस जान जाने का ज़िम्मेदार तो यही इंसानों का शौक़  डीजे है |



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बक्शा ब्लाक के रन्नो गांव से अज़ीज़ सुहेल अगर खां 123 मतों से विजयी हुए|

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जौनपुर । बक्शा ब्लाक के रन्नो गांव से राष्ट्रीय सहारा के समाचार प्रभारी हर दिल अज़ीज़ सुहेल अगर खां 123 मतों से विजयी हुए उन्हे कुल 388 मत प्राप्त हुये ।

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आज का युवा शक्ति ही जौनपुर और समाज को सही दिशा दे सकती है - एस एम मासूम

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आज का युवा शक्ति ही जौनपुर को सही दिशा दे सकती है । 



 आज के दिन हमारे घर जौनपुर की युवा शक्ती के पैर पडे और उनकी बाते और उनकी  समाज के लोगो  के हर वर्ग के लोगो  के प्रति  प्रेम और चिंता देख के ऐसा लगा कि इनकी सोंच तो अच्छी  है और अगर सही दिशा  मिलती  रहे तो आने वाले दिनो मे जौनपुर के समाज को  बदलने के ताक़त इनमे है । 



आज नौजवान छात्र संगठन के जिलाध्यक्ष प्रभारी पूर्वाचल जोन अनुराग मिश्र प्रिंस जिनकी लगन सोंच और मेहनत की सराहना आज जौनपुर मे हर तरफ हो रही है , मनीष तिवारी अध्यक्ष बंदेमातरम जनसेवा ट्रस्ट और  अमित शुक्ला  सामाजिक कार्यकर्ता मुझसे  मिलने  के लिये घर पे आये । 

राजनीति , जौनपुर  का समाज और आस पास के गांव की समस्या पे बात हुई और इन युवाओं की बातो से मैं काफी प्रभावित हुआ क्यों की यह इस समाज को स्वनिर्भर और मानसिक शांति के हँसता खेलता देखने की तमन्ना रखते है और इसी मक़सद के लिए प्रयत्नशील भी हैं । 

 जिलाध्यक्ष प्रभारी पूर्वाचल जोन अनुराग मिश्र प्रिंस  मे एक जोश है और समाज के कमजोर और गरीब तब्क़े की  समस्याओं को समझने की सलाहियत भी उनमे मौजूद है । 

बस एक आशा है की शायद ये युवा आज के समाज में जो भ्रष्टाचार , अशांति फैली हुयी है उसे बदल  सकेंगे और जौनपुर को उसका उचित स्थान विश्व में दिला सकने में सहयोगी होंगे । 

मेरी शुभकामनाएं इन युवाओं के साथ है क्यूंकि मुझे मालूम है की आज का युवा शक्ति ही जौनपुर को सही दिशा दे सकती है ।

...............  एस एम मासूम 


टीडी कालेज के छात्र संघ चुनाव के लिए आज प्रत्याशियों ने नामाकंन पत्र दाखिल किया।

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 जौनपुर। टीडी कालेज के छात्र संघ चुनाव के लिए आज प्रत्याशियों ने धुमधड़ाके साथ अपना अपना नामाकंन पत्र दाखिल किया। अध्यक्ष पद के लिए  6 उपाध्यक्ष पद  के लिए 6 और  महामंत्री पद के लिए सात पर्चे दाखिल किया गया।
अध्यक्ष पद पर अनुराग मिश्रा विकाश पाण्डेय सिध्दार्थ सिंह सोलंकी सिध्दार्थ सिंह टोनी नवनीत यादव प्रवीण सिंह ने पर्चा भरा। उपाध्यक्ष पद पर शिवम सिंह यादव  शिवम श्रीवास्तव अभिषेक यादव ऋशभ सिंह कौशल यादव और अंकित श्रीवास्तव ने नामाकंन  किया। महामंत्री पद के लिए सद्दाम हुसैन अश्वनी तिवारी अवनीश पाण्डेय सनी यादव राहुल नितिन जायसवाल और राहुल यादव ने पर्चा दाखिल किया।
तिलकधारी महाविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के नामांकन में समाजवादी छात्रसभा के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी नवनीत यादव ‘बिट्टू’ के नामंाकन में छात्रों, नौजवनों का भारी हुजूम उमड़ा। जिसमें घोड़े, गाड़ी, बैण्डबाजे के साथ सपा कार्यकर्ताओं ने व छात्रों ने भव्य जुलूस निकाला।
    गत मंगलवार को तिलकधारी महाविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के नामांकन की तिथि नियत की गयी थी। जिसमें समाजवादी छात्रसभा के पैनल से लड़ रहे अध्यक्ष पद के प्रत्याशी नवनीत यादव ‘बिट्टू’ के समर्थन में सैकड़ो कार्यकर्ता प्रत्याशी के जगदीशपुर स्थित छात्रावास पर प्रातः 9 बजे इकट्ठा हो गये। जहां से फूल मालाओं से लदी हण्टर गाड़ी, घोड़े, करीब 200 दो पहिया वाहन से प्रत्याशी के समर्थक व छात्रसभा के पदाधिकारियों ने नामांकन के लिए जुलूस रवाना किया। हण्टर जीप पर प्रत्याशी के साथ सपा छात्रसभा के जिलाध्यक्ष अतुल सिंह, युवजन सभा के विरेन्द्र यादव, लोहिया वाहिनी के धर्मेन्द्र मिश्र सवार होकर जगदीशपुर से नाथूपुर चैराहा होते हुए पिलीकोठी से अम्बेडकर तिराहा, दीवानी कचहरी होकर रोडवेज तिराहे के पास जुलूस का काफिला रुका। वहां से प्रत्याशी को घोड़े पर बैठाकर नामांकन के लिए ले जाया जा रहा था। जिस पर लाइन बाजार थानाध्यक्ष मयफोर्स ने घोड़े को रोक दिया। समर्थकों की जिद थी कि हमारा प्रत्याशी घोड़े पर सवार होकर महाविद्यालय प्रवेश द्वार तक जायेगा। इसी बीच छात्रसभा के जिलाध्यक्ष व लाइनबाजार थानाध्यक्ष के बीच तिखी नोक-झोक भी हुयी, तत्पश्चात श्री सिंह ने कप्तान से बात की उसके बाद जिला प्रशासन ने घोड़े को अन्दर जाने दिया।
    पत्रकारों से बातचीत में सछास जिलाध्यक्ष अतुल सिंह ने बताया कि अभी तक के इतिहास में छात्रसंघ चुनाव के नामांकन में छात्रों, नौजवनों का इतना बड़ा हुजूम कभी देखने को नहीं मिला। उन्होंने कहा कि इससे यह निश्चित रुप से स्पष्ट हो जाता है कि इस बार के छात्रसंघ चुनाव परिणाम ऐतिहासिक होगा और छात्रसभा के सभी पदाधिकारी अपनी जीत दर्ज करायेंगे।
    इस मौके पर बाबा यादव, प्रीतम यादव, सत्यजीत यादव मिन्टू, शेखर यादव, संजय सोनकर गोपाल, दिलीप यादव, हरिकेष सिंह, निरज शुक्ला, निलेश पाल, विभव सिंह, दीपक यादव, जैकी सिंह, विशाल यादव, विकास सिंह, विमल यादव, सूरज सिंह, आशीष चैबे, अबुजर जैदी, राकेश यादव, बड़े लाल यादव, अमित यादव, छोटू के साथ-साथ सैकड़ो की तादात में छात्र नौजवान उपस्थित रहे।





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जामिया इमाम जाफर सादिक में एह्तिजाज़ी जलसा

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जौनपुर | नाईजीरिया में शिया समुदाय के कत्ले आम और आयतुल्लाह मौलाना इब्राहीम ज़कज़की साहब की गिरफ़्तारी एवम इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मोहम्मद साहब की शान में तौहीन करने वाले कमलेश तिवारी के विरोध में बेगमगंज स्थित जामिया इमाम जाफर सादिक में एह्तिजाज़ी जलसा और मजलिस धर्मगुरु मौलाना सफ़दर हुसैन जैदी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ | जिसमे दर्जनों धर्मगुरूओ सहित अन्जुमनो के लोगो ने कुरानखानी किया साथ ही जालिमो के खिलाफ सख्त कार्यवाही किये जाने की मांग किया |

इस मौके पर धर्मगुरु मौलाना सफ़दर हुसैन ज़ैदी ने कहाकि इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मोहम्मद साहब को पूरी दुनिया अमन का प्रतिक मानती है , अल्लाह ने उन्हें सारी दुनिया के लिए रहमत बनाकर भेजा है | हजरत मोहम्मद साहब ने पूरी ज़िन्दगी में अपनी सवारी को भी कभी नहीं मारा , साथ ही अपने एखलाक से अरब के लोगो को सही रास्ता दिखाया , एक खुदा का कलमा पढाया , ऐसे अज़ीम खुदा के पैगम्बर की शान में अगर कोई गुस्ताखी करता है तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा | कमलेश तिवारी जैसे लोग सस्ती शोहरत पाने के लिए कभी कभी इस तरह की बाते मुल्क के अमन चैन को ख़राब करने के लिए करते है , उन्होंने कहा की हमारा सरकार से मुतालबा है की इन्हें या इन जैसे लोगो को सख्त से सख्त सजा दे ताकि सस्ती शोहरत पाने के लिए आइन्दा लोग हिम्मत न करे |


मौलाना जैदी ने कहा की नाईजीरिया में बेगुनाह शियों के ऊपर फ़ौज के ज़रिये से बेगुनाह लोगो पर क्रूरता और बर्बरता पूर्वक हमला किया है जिसमे सैकड़ो लोग शहीद हुए , हम ऐसे कृत्य की सख्त मज़म्मत करते है | और सयुक्त राष्ट्र एवम भारत सरकार से मांग करते है की नाईजीरिया सरकार पर शियों पर अत्याचार और आयतुल्लाह मौलाना ज़कज़की एवम उनके साथियों की रिहाई के लिए दबाव डाले |

शिया जागरण मंच के राष्ट्रिय अध्यक्ष मौलाना हसन मेहदी ने कहा की रसूले इस्लाम की शान में गुस्ताखी करने वाले पर सरकार जल्द ही कार्यवाही करे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओ की पुनरावृत्ति न हो सके |
उन्होंने कहा की नाईजीरिया में बोको हराम जैसे दहशतगर्दो से अकेले मोर्चा लेने वाले आयतुल्लाह ज़कज़की और उनके साथियों की मदद करने के बजाय नाईजीरिया की फ़ौज खुद उन्ही लोगो पर हमला कर के ये साबित कर दिया की वहा अमन पसंदों को संरक्षण नहीं बल्कि दहशतगर्दो को संरक्षण है | मौलाना ने कहा की सयुक्त राष्ट्र अगर इस मामले में  शीघ्र हस्तक्षेप कर नाईजीरिया सरकार पर दबाव नहीं बनाया तो इसका परिणाम अच्छा नहीं होगा |

इस मौके पर मौलाना बाकिर रज़ा खा आसिफ , मौलाना अहमद अब्बास , मौलाना आसिफ अब्बास , मौलाना फजले मुमताज़ मौलाना हैदर मेहदी , मोहम्मद हनीफ , संजय मेहदी , मेरे बहादुर अली , आकिफ , असलम , मौलाना दिलशाद खान आदि के साथ भारी संख्या में लोग मौजूद रहे |



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